शिमला: राजधानी के उपनगर टुटू के मज्याठ वार्ड में एंबुलेंस रोड न होने पर स्थानीय नागरिकों ने हिमाचल हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नाम पत्र लिखकर गुहार लगाई थी कि यहां रोड निर्माण के लिए राज्य सरकार को आदेश दिए जाएं. हिमाचल हाइकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से ताजा स्टेट्स रिपोर्ट तलब की है.
राज्य सरकार को 8 हफ्ते की मोहलत: इस मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने अदालत से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय दिए जाने का आग्रह किया था. इस पर अदालत ने राज्य सरकार को आठ सप्ताह का समय दिया और कहा कि इस अवधि में ताजा स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की जाए. उल्लेखनीय है कि हिमाचल हाइकोर्ट पहले भी इसी मामले पर राज्य सरकार और पीडब्ल्यूडी को मज्याठ वार्ड में एंबुलेंस सड़क बनाने के लिए जल्द से जल्द जरूरी कदम उठाने के आदेश जारी कर चुका है.
21 नवंबर को होगी सुनवाई: मामले की सुनवाई हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ कर रही है. सरकार के आग्रह पर ताजा स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए खंडपीठ ने आठ हफ्ते का समय देते हुए मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर को तय की है. मामले की सुनवाई के दौरान हिमाचल हाइकोर्ट को बताया गया कि नगर निगम शिमला के वार्ड मज्याठ के लिए एंबुलेंस सड़क बनाने की राह में नार्थ रेलवे की जमीन साथ लग रही है. इस पर हाइकोर्ट ने नार्थ रेलवे को लोक निर्माण विभाग से पत्राचार करने के आदेश भी दिए थे.
टैक्स देने के बाद भी सुविधाएं नहीं: सीजे को लिखे गए पत्र में स्थानीय जनता ने आरोप लगाया है कि मज्याठ के लिए कोई एंबुलेंस सड़क नहीं है. ये वार्ड नगर निगम में शामिल तो कर लिया गया है, लेकिन यहां मूलभूत सुविधाएं अब तक लोगों को नहीं मिल पाई हैं. वार्ड में न तो एंबुलेंस रोड है और न ही सामुदायिक केंद्र. यहां की जनता टैक्स देने के बावजूद महंगी व्यावसायिक दरों पर पानी पीने को मजबूर है. वार्ड में सीवरेज लाइन न होने से गंदा पानी नालों में बहता है. इससे उन घरों के लोग परेशान हैं, जिनके मकान नालों के साथ बने हुए हैं. जनता ने हिमाचल हाइकोर्ट से आग्रह किया है कि उनको सुविधाओं प्रदान करने के लिए राज्य सरकार को उचित आदेश जारी किए जाएं.