शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal Pradesh High Court) ने परिवहन अपीलीय अथॉरिटी स्थापित न करने पर सख्ती दिखाई है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इसे स्थापित करने के लिए अंतिम मौका दिया है. अदालत ने सरकार को 29 मार्च तक अंतिम अवसर दिया है. हाईकोर्ट ने पहले एक महीने के भीतर यह न्यायाधिकरण स्थापित करने को कहा था, लेकिन एक माह बीत जाने पर भी सरकार इसे स्थापित नहीं कर पाई.
कोर्ट ने हैरानी जताई थी कि बार-बार पारित किए गए विभिन्न आदेशों के बावजूद राज्य सरकार ने एक स्वतंत्र राज्य परिवहन अपीलीय न्यायाधिकरण स्थापित करने पर कोई निर्णय नहीं लिया. हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई कि चार साल से इस मामले को टाला जा रहा है. न्यायालय ने कहा कि कानून सचिव ट्रिब्यूनल के अर्ध न्यायिक कार्यों का निर्वहन नहीं कर सकते हैं. उनके लिए राज्य के कानून सचिव के रूप में काम करते हुए परिवहन ट्रिब्यूनल की अध्यक्षता करना कठिन हो रहा है.
मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार के लिए यह कानूनी तौर भी जरूरी है कि वह हिमाचल प्रदेश राज्य के लिए कार्यभार के आधार पर ट्रिब्यूनल के गठन को अधिसूचित करे. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि एक बार जब ट्रिब्यूनल (Transport Appellate Authority ) का गठन हो जाता है, तो उसे भवन और आवश्यक कर्मचारियों सहित सभी सामग्री देनी होती है.
बता दें कि प्रशासनिक तौर पर उच्च न्यायालय के परामर्श से राज्य सरकार द्वारा ट्रिब्यूनल के गठन को लेकर निर्णय लिया जाएगा. प्रदेश उच्च न्यायालय ने ट्रिब्यूनल के गठन से जुड़ी सारी प्रक्रिया पूरी करने के एक महीने की अवधि के भीतर ट्रिब्यूनल के गठन के आदेश जारी किए थे. अब कोर्ट ने सरकार को एक अतिरिक्त मौका देते हुए आदेशों की अनुपालना के लिए मामले की सुनवाई 29 मार्च को तय की है.
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