शिमला: यदि सरकार ने जनहित में कोई फैसला लिया है तो उसे चुनौती नहीं दी जा सकती. हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने करसोग उपमंडल में बगशाड़ की जगह तत्तापानी को सब-तहसील का दर्जा दिए जाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश कैंथला ने याचिका को खारिज करते हुए अपने फैसले में कहा कि जनहित में किए गए सरकार के फैसलों को चुनौती नहीं दी जा सकती है.
मामले के अनुसार जन कल्याण संघर्ष समिति नामक संस्था ने करसोग के बगशाड़ को उप-तहसील का दर्जा दिए जाने के फैसले को हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी. समिति की तरफ से आरोप लगाया गया था कि पंचायत से प्रस्ताव पारित करने के बावजूद भी तत्तापानी को उप-तहसील का दर्जा नहीं दिया जा रहा है. दरअसल, तत्तापानी को सब-तहसील का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर पंचायत से प्रस्ताव पारित किया गया था.
वहीं, राज्य सरकार ने 24 अगस्त 2021 को करसोग के बगशाड़ को सब-तहसील का दर्जा दिए जाने संबंधी अधिसूचना जारी की गई थी. अदालत ने कहा गया कि बगशाड़ को ये दर्जा दिए जाने से छह पटवार सर्किल को मुश्किल हो रही है. कोर्ट को बताया गया था कि याचिकाकर्ता-समिति का गठन ग्राम पंचायत बिंदला, परलोग, शाकरा, थली, सहज, सांवीधार और तत्तापानी के निवासियों ने किया था.
अगस्त 2021 को समिति ने तत्तापानी को उप तहसील का दर्जा दिए जाने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री को प्रतिवेदन किया था, लेकिन याचिकाकर्ता समिति के प्रतिवेदन को स्वीकार किए बगैर ही बगशाड़ को उप तहसील का दर्जा दे दिया गया. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सरकार के नीतिगत फैसले में हस्तक्षेप करने के साफ इंकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया.
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