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क्षमता से अधिक सवारियों वाले वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने पर पीड़ितों को नहीं मिल सकता मुआवजा- HC

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने 2 जून 2013 में हुए सड़क दुर्घटना मामले में अहम फैसला सुनाया है. हाई कोर्ट ने कहा है कि क्षमता से अधिक सवारियों वाले वाहन के दुर्घटना ग्रस्त होने पर पीड़ितों को मुआवजा नहीं मिल सकता है. (Himachal Pradesh High Court)

Himachal Pradesh High Court
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट
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Published : Dec 4, 2022, 8:35 PM IST

शिमला: बैठने की अधिकृत क्षमता से अधिक यात्रियों को गाड़ी में बैठाना गैरकानूनी है. हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसे वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने से बेवजह और क्षमता से अधिक बैठे पीड़ित अथवा उनके आश्रितों को बीमा कंपनी से कोई मुआवजा नहीं मिलेगा. कोर्ट ने आईसीआईसीआई लॉमबर्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी की अपीलों को स्वीकारते हुए कहा कि कोई भी कार्य जो गैरकानूनी हो. उसे वैधानिक प्रावधान की आड़ में कानूनी नहीं बनाया जा सकता.

न्यायाधीश सत्येन वैद्य ने मामले का निपटारा करते हुए कहा कि एक गाड़ी जिसमें ड्राइवर के साथ केवल एक व्यक्ति के बैठने की इजाजत हो, उसमें एक से अधिक व्यक्ति को कानूनन बैठने की इजाजत नहीं दी जा सकती. मामले के अनुसार 2 जून, 2013 को एक बोलेरो कैंपर चम्बा जिले के भलग धार में दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. इस दुर्घटना में 3 व्यक्तियों की मौत हो गई थी. मालवाहक गाड़ी होने के नाते इसमें किसी यात्री को बैठाने की इजाजत नहीं थी. वाहन के पंजीकरण सर्टिफिकेट के अनुसार गाड़ी में ड्राइवर के साथ केवल एक अन्य व्यक्ति के बैठने की इजाजत थी, वो व्यक्ति या तो गाड़ी मालिक या वाहन में ले जाए जा रहे सामान का मालिक होना चाहिए था.

दुर्घटना के पश्चात सभी मृतकों के आश्रितों ने बीमा कंपनी पर मुआवजे का दावा किया. दावे में कहा गया कि उक्त वाहन को घटना में मृतक रेखा देवी ने कांगड़ में दुर्घटना वाले दिन आयोजित होने वाले धार्मिक आयोजन जातर के लिए भाड़े पर लिया था. दावेदारों का कहना था कि सभी लोग गाड़ी में जातर के आयोजन से जुड़ी वस्तुओं के मालिक होने के नाते बैठे थे. मोटर वाहन दुर्घटना मुआवजा ट्रिब्यूनल ने बीमा कंपनी पर मुआवजे का जिम्मा डाला था, जिसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी.

बीमा कंपनी का कहना था कि गाड़ी में सभी लोग बे वजह बैठे थे, क्योंकि वाहन एक मालवाहक गाड़ी थी, जिसमें ड्राइवर के अलावा केवल एक व्यक्ति के बैठने की इजाजत थी. बीमा कंपनी ने बीमा शर्तों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए क्लेम की जिम्मेदारी को गलत ठहराने की गुहार लगाई थी. कोर्ट ने बीमा कंपनी की दलीलों से सहमति जताते हुए कंपनी को जातर का आयोजन करने वाली महिला के आश्रितों को छोड़कर अन्य आश्रितों के मुआवजे से मुक्त करने के आदेश पारित किए. (over riding of vehicle) (High Court on over ride)

ये भी पढ़ें- Solan Fake Drug Case: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का एक्शन, हाई कोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी समेत 7 को बनाया प्रतिवादी

शिमला: बैठने की अधिकृत क्षमता से अधिक यात्रियों को गाड़ी में बैठाना गैरकानूनी है. हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसे वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने से बेवजह और क्षमता से अधिक बैठे पीड़ित अथवा उनके आश्रितों को बीमा कंपनी से कोई मुआवजा नहीं मिलेगा. कोर्ट ने आईसीआईसीआई लॉमबर्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी की अपीलों को स्वीकारते हुए कहा कि कोई भी कार्य जो गैरकानूनी हो. उसे वैधानिक प्रावधान की आड़ में कानूनी नहीं बनाया जा सकता.

न्यायाधीश सत्येन वैद्य ने मामले का निपटारा करते हुए कहा कि एक गाड़ी जिसमें ड्राइवर के साथ केवल एक व्यक्ति के बैठने की इजाजत हो, उसमें एक से अधिक व्यक्ति को कानूनन बैठने की इजाजत नहीं दी जा सकती. मामले के अनुसार 2 जून, 2013 को एक बोलेरो कैंपर चम्बा जिले के भलग धार में दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. इस दुर्घटना में 3 व्यक्तियों की मौत हो गई थी. मालवाहक गाड़ी होने के नाते इसमें किसी यात्री को बैठाने की इजाजत नहीं थी. वाहन के पंजीकरण सर्टिफिकेट के अनुसार गाड़ी में ड्राइवर के साथ केवल एक अन्य व्यक्ति के बैठने की इजाजत थी, वो व्यक्ति या तो गाड़ी मालिक या वाहन में ले जाए जा रहे सामान का मालिक होना चाहिए था.

दुर्घटना के पश्चात सभी मृतकों के आश्रितों ने बीमा कंपनी पर मुआवजे का दावा किया. दावे में कहा गया कि उक्त वाहन को घटना में मृतक रेखा देवी ने कांगड़ में दुर्घटना वाले दिन आयोजित होने वाले धार्मिक आयोजन जातर के लिए भाड़े पर लिया था. दावेदारों का कहना था कि सभी लोग गाड़ी में जातर के आयोजन से जुड़ी वस्तुओं के मालिक होने के नाते बैठे थे. मोटर वाहन दुर्घटना मुआवजा ट्रिब्यूनल ने बीमा कंपनी पर मुआवजे का जिम्मा डाला था, जिसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी.

बीमा कंपनी का कहना था कि गाड़ी में सभी लोग बे वजह बैठे थे, क्योंकि वाहन एक मालवाहक गाड़ी थी, जिसमें ड्राइवर के अलावा केवल एक व्यक्ति के बैठने की इजाजत थी. बीमा कंपनी ने बीमा शर्तों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए क्लेम की जिम्मेदारी को गलत ठहराने की गुहार लगाई थी. कोर्ट ने बीमा कंपनी की दलीलों से सहमति जताते हुए कंपनी को जातर का आयोजन करने वाली महिला के आश्रितों को छोड़कर अन्य आश्रितों के मुआवजे से मुक्त करने के आदेश पारित किए. (over riding of vehicle) (High Court on over ride)

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