शिमला: कर्मचारियों से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बड़ी व्यवस्था दी है. हाईकोर्ट की व्यवस्था के अनुसार अनुबंध के आधार पर दी गई सेवाओं को नियमित सेवा के साथ जोड़ते हुए प्रमोशन के लिए काउंट किया जाएगा. ये व्यवस्था हाईकोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति सबीना व न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने दी है. खंडपीठ ने सुशांत सिंह नेगी व अन्य की तरफ से दाखिल की गई एक याचिका को स्वीकार किया और साथ ही ये व्यवस्था दी है. (Himachal Pradesh High Court)
याचिका में दर्ज किए गए तथ्यों के अनुसार उक्त प्रार्थीगण अनुबंध के आधार पर नियुक्त किए गए थे. अनुबंध आधार पर भी उन्हें निर्धारित चयन प्रक्रिया का पालन करने के बाद नियुक्ति मिली. प्रार्थियों को ये नियुक्ति हिमाचल प्रदेश राज्य उद्योग विकास निगम लिमिटेड में हासिल हुई थी. इनकी नियुक्ति सहायक अभियंता के पद पर की गई थी. हिमाचल प्रदेश स्टेट इंडस्ट्रियल डवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड ने नियुक्ति के लिए बाकायदा चयन समिति का गठन किया था.
प्रार्थियों को 30 जुलाई 2013 को अनुबंध के आधार पर सहायक अभियंता के पद पर नियुक्त किया गया था. इसके बाद 17 मई 2017 व 18 मई 2017 को दोनों की सेवाओं को नियमित कर दिया गया. प्रार्थियों ने अपनी सेवाओं व प्रमोशन से जुड़े सवालों को लेकर हाईकोर्ट में याचिका डाली थी. याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पूर्व में बलदेव सिंह के मामले में पारित निर्णय के आधार पर यह स्पष्ट कर दिया था कि अनुबंध के आधार पर दी गई सेवाओं को तदर्थ यानी एडहॉक के आधार पर दी गई सेवाओं के बराबर माना जाए.
यही नहीं, हिमाचल हाईकोर्ट ने अपनी व्यवस्था के तहत आदेश में ये भी कहा कि अनुबंध के आधार पर दी गई सेवा को अगर नियमित सेवा के साथ मिला लिया जाता है, तो दोनों प्रार्थी अधिशासी अभियंता के पद के लिए जरूरी सेवाकाल पूरा करते हैं. इस कारण हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड को यह आदेश जारी किए कि दोनों प्रार्थियों को कारपोरेशन में खाली पदों के खिलाफ अधिशासी अभियंता के पद पर प्रमोशन के लिए रोस्टर पॉइंट को ध्यान में रखते हुए विचार किया जाए. (Industrial Development Corporation Limited)
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