शिमला: 75 हजार करोड़ के कर्ज में डूबे हिमाचल में सरकारी खर्चों में कटौती होगी. सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने तय किया है कि सरकारी खर्चों को कम करने के साथ ही नेताओं और अधिकारियों की सुविधाओं में भी कटौती की जाएगी. मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों को निर्देश दिए हैं कि सरकारी खर्चों को कम करने और राजस्व बढ़ाने के लिए क्या क्या कदम उठाए जा सकते हैं, इस पर एक रिपोर्ट एक माह के भीतर उनको पेश की जाए.
गंभीर आर्थिक स्थिति का सामना कर रही सुखविंदर सरकार ने सरकारी खर्चों में कटौती करने का बड़ा फैसला लिया है. सरकार नेताओं और अफसरों मिलने वाली सरकारी सुविधाओं को कम कर सकती है. मुख्यमंत्री ने इस बारे में भी मंत्रियों को साफ निर्देश दे दिए हैं. संबंधित मंत्रियों को अपने विभागों में खर्चे को कम करने के कदम उठाने होंगे और इस बारे में सीएम को रिपोर्ट भी मंत्रियों को देनी होगी.
मंत्रियों को यह बताना होगा कि उनके विभाग में किस स्तर पर खर्चों में कम किया जा सकता है. साथ में विभागों में कहां से राजस्व को बढ़ाया जा सकता है. सरकारी विभागों के साथ-साथ सभी बोर्डों और निगमों में भी खर्चे कम करने होंगे. संबंधित मंत्री इनके बारे में भी रिपोर्ट देंगे.
'खर्च कम और राजस्व बढ़ाने को कदम उठाएंगे विभाग'
हिमाचल में सरकारी विभाग और बोर्ड न केवल खर्चे कम करेंगे बल्कि वह राजस्व बढ़ाने के लिए भी कदम उठाएंगे. ऐसे में सरकारी स्तर पर नेताओं और अधिकारियों को मिलने वाली सुविधाओं में कटौती की जा सकती है. हिमाचल में अवैध खनन पर अंकुश लगाने का काम भी किया जाएगा. इसके लिए उद्योग विभाग को कदम उठाने के निर्देश दिए जा चुके हैं. इसके अलावा सरकार शराब सहित अन्य तंबाकू उत्पादों को महंगा करके भी अतिरिक्त राजस्व जुटा सकती है. मुख्यमंत्री पहले ही कह चुके हैं कि कुछ कड़े फैसले सरकार को लेने पड़ेंगे, जिसके लिए सभी को तैयार रहना होगा. सरकारी गाड़ियों में तेल और मरम्मत कार्य पर होने वाले खर्चों की भी निगरानी के साथ नेताओं और सरकारी अधिकारियों के टुअर को भी कम किया जा सकता है.
'75 हजार करोड़ के कर्ज में डूबा है हिमाचल'
उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री सिंह ने हिमाचल में सरकारी खर्चों में कटौती करने के निर्देश दिए हैं. इसको लेकर मंत्रियों को एक माह के भीतर रिपोर्ट देनी होगी. उन्होंने कहा कि आज हिमाचल की आर्थिक स्थिति खराब है. पूर्व की भाजपा सरकार हिमाचल पर करीब 75 हजार करोड़ रुपए का कर्ज छोड़ गई है. इसके अलावा कर्मचारी और पेंशनरों को नए वेतनमान और डीए का करीब 11 हजार करोड़ रुपए पेंडिंग है. ऐसे में सरकारी खर्चे में कटौती कर राजस्व को बढ़ाया जाएगा.
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