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Himachal Dam: डैम से भारी मात्रा में पानी छोड़ने पर बिजली कंपनियों को नोटिस, हिमाचल सरकार ने मांगा जवाब - हिमाचल बांध

हिमाचल में बरसात के दौरान बिना पूर्व सूचना दिए डैम से भारी मात्रा में पानी छोड़ने मामले में राज्य सरकार ने बिजली कंपनियों को नोटिस भेजा है. सरकार ने कंपनी से इसको लेकर जवाब मांगने के साथ ही अर्ली वार्निंग सिस्टम के बारे में भी कंपनियों से ब्यौरा मांगा है. (Himachal Dam) (Himachal Government Sent notice to Dam Company)

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 8, 2023, 12:32 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में इस बार बिजली कंपनियों के डैमों से भारी मात्रा में पानी छोड़ा गया, जिससे इनके डाउन स्ट्रीम में भारी तबाही आई. डैम से बिना सूचना एकाएक इस तरह का पानी छोड़ने के मामले को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है और बिजली कंपनियों को नोटिस जारी किए है. कंपनियों से इसको लेकर जवाब मांगा गया है. सरकार ने अर्ली वार्निंग सिस्टम के बारे में भी कंपनियों से ब्यौरा मांगा है.

हिमाचल प्रदेश में मानसून सीजन के दौरान भारी बारिश से जान और माल का काफी नुकसान हुआ है. इस नुकसान को बढ़ाने में डैम से छोड़े गए पानी ने भी भूमिका निभाई है. प्रदेश में बीबीएमबी के पंडोह और पौंग डैम के पानी के कारण मानसून सीजन में भी काफी नुकसान हुआ है. इसी तरह लारजी, भाखड़ा, चमेरा, नाथपा, कोल डैम, पार्वती और बजोली डैम भी से भी डाउनस्ट्रीम में नुकसान किया है. कुल्लू जिला के मलाणा-2 में डैम में भी भारी मात्रा में पानी आया और इसके गेट अभी भी तक बंद हैं. मंडी जिला के पंडोह डैम ने इस बार भी हिमाचल को चिंता में ही डाल दिया था.

साल 2014 में पंडोह डैम से अचानक पानी छोड़ने से हैदराबाद के विज्ञान ज्योति इंजीनियरिंग कॉलेज के 24 छात्र बह गए थे. प्रदेश में बांधों से हुए नुकसान को प्रदेश सरकार ने गंभीरता से लिया है. मुख्यमंत्री ने इसको लेकर अधिकारियों को कदम उठाने के निर्देश दिए थे. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के निर्देश पर मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने इस मामले में संबंधित अधिकारियों के साथ कुछ दिन पहले बैठक की थी. इस बैठक में मुख्य सचिव ने बांध सुरक्षा अधिनियम-2021 (डीएसए) और केंद्रीय जल आयोग द्वारा वर्ष 2015 में जारी दिशा-निर्देशों की अनुपालना न करने पर बांध परियोजनाओं में विफलता के लिए डैम मैनेजमेंट की जिम्मेदारी भी तय करने के आदेश दिए गए थे.

इसके बाद अब बिजली कंपनियों को नोटिस जारी किए गए हैं. इसमें एकाएक पानी छोड़ने पर पानी को लेकर स्थिति साफ करने को कहा गया है. यही नहीं अर्ली वार्निंग सिस्टम को लेकर भी बिजली कंपनियों से जवाब मांगा गया है. प्रदेश में 23 डैम हैं, जिनमें से अधिकतर के पास या तो अर्ली वॉर्निंग सिस्टम ही नहीं या पूरी तरह से एडवांस नहीं है. जबकि केंद्रीय जल आयोग ने वर्ष 2014 में पंडोह डैम के पानी के बहाव में 24 छात्रों के डूब जाने के बाद बांधों से पानी छोड़े जाने के साथ-साथ अर्ली वार्निंग सिस्टम को मजबूत करने के दिशा-निर्देश जारी किए थे.

बांध सुरक्षा अधिनियम-2021 (डीएसए) के निर्देशों में भी सभी बांधों की निगरानी, निरीक्षण, संचालन और रखरखाव के लिए उचित प्रावधान है, लेकिन बिजली कंपनियां इन आदेशों के अनुपालन में विफल रही है. इस बरसात में बिजली कंपनियों ने अपने डैम से एकदम पानी छोड़ा है. जबकि डैमों से समय-समय पर पानी छोड़ना जरूरी है. लेकिन ये कंपनियां बिजली उत्पादन के लिए अपने डैम को पूरा भरती हैं और फिर एकाएक पानी छोड़ रही हैं. इस बार भी ऐसा ही देखने को मिला है.

यही वजह है कि अब सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है और कंपनियों को नोटिस जारी किया है. इन कंपनियों ने बिना पूर्व सूचना के ही पानी डाउन स्ट्रीम में छोड़ा है. इसमें निजी कंपनियों के साथ सरकारी कंपनियां भी शामिल हैं. सरकार नियमों का न पालन वाली कंपनियों से नुकसान की भरपाई भी करवा सकती है.

ये भी पढ़ें: Plastic Waste: हिमाचल में इस साल अब तक 45000 किलो प्लास्टिक कचरा निकला, पर्यावरण वैज्ञानिकों ने जताई चिंता, बोले- ईको सिस्टम पर पड़ रहा बुरा असर

शिमला: हिमाचल प्रदेश में इस बार बिजली कंपनियों के डैमों से भारी मात्रा में पानी छोड़ा गया, जिससे इनके डाउन स्ट्रीम में भारी तबाही आई. डैम से बिना सूचना एकाएक इस तरह का पानी छोड़ने के मामले को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है और बिजली कंपनियों को नोटिस जारी किए है. कंपनियों से इसको लेकर जवाब मांगा गया है. सरकार ने अर्ली वार्निंग सिस्टम के बारे में भी कंपनियों से ब्यौरा मांगा है.

हिमाचल प्रदेश में मानसून सीजन के दौरान भारी बारिश से जान और माल का काफी नुकसान हुआ है. इस नुकसान को बढ़ाने में डैम से छोड़े गए पानी ने भी भूमिका निभाई है. प्रदेश में बीबीएमबी के पंडोह और पौंग डैम के पानी के कारण मानसून सीजन में भी काफी नुकसान हुआ है. इसी तरह लारजी, भाखड़ा, चमेरा, नाथपा, कोल डैम, पार्वती और बजोली डैम भी से भी डाउनस्ट्रीम में नुकसान किया है. कुल्लू जिला के मलाणा-2 में डैम में भी भारी मात्रा में पानी आया और इसके गेट अभी भी तक बंद हैं. मंडी जिला के पंडोह डैम ने इस बार भी हिमाचल को चिंता में ही डाल दिया था.

साल 2014 में पंडोह डैम से अचानक पानी छोड़ने से हैदराबाद के विज्ञान ज्योति इंजीनियरिंग कॉलेज के 24 छात्र बह गए थे. प्रदेश में बांधों से हुए नुकसान को प्रदेश सरकार ने गंभीरता से लिया है. मुख्यमंत्री ने इसको लेकर अधिकारियों को कदम उठाने के निर्देश दिए थे. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के निर्देश पर मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने इस मामले में संबंधित अधिकारियों के साथ कुछ दिन पहले बैठक की थी. इस बैठक में मुख्य सचिव ने बांध सुरक्षा अधिनियम-2021 (डीएसए) और केंद्रीय जल आयोग द्वारा वर्ष 2015 में जारी दिशा-निर्देशों की अनुपालना न करने पर बांध परियोजनाओं में विफलता के लिए डैम मैनेजमेंट की जिम्मेदारी भी तय करने के आदेश दिए गए थे.

इसके बाद अब बिजली कंपनियों को नोटिस जारी किए गए हैं. इसमें एकाएक पानी छोड़ने पर पानी को लेकर स्थिति साफ करने को कहा गया है. यही नहीं अर्ली वार्निंग सिस्टम को लेकर भी बिजली कंपनियों से जवाब मांगा गया है. प्रदेश में 23 डैम हैं, जिनमें से अधिकतर के पास या तो अर्ली वॉर्निंग सिस्टम ही नहीं या पूरी तरह से एडवांस नहीं है. जबकि केंद्रीय जल आयोग ने वर्ष 2014 में पंडोह डैम के पानी के बहाव में 24 छात्रों के डूब जाने के बाद बांधों से पानी छोड़े जाने के साथ-साथ अर्ली वार्निंग सिस्टम को मजबूत करने के दिशा-निर्देश जारी किए थे.

बांध सुरक्षा अधिनियम-2021 (डीएसए) के निर्देशों में भी सभी बांधों की निगरानी, निरीक्षण, संचालन और रखरखाव के लिए उचित प्रावधान है, लेकिन बिजली कंपनियां इन आदेशों के अनुपालन में विफल रही है. इस बरसात में बिजली कंपनियों ने अपने डैम से एकदम पानी छोड़ा है. जबकि डैमों से समय-समय पर पानी छोड़ना जरूरी है. लेकिन ये कंपनियां बिजली उत्पादन के लिए अपने डैम को पूरा भरती हैं और फिर एकाएक पानी छोड़ रही हैं. इस बार भी ऐसा ही देखने को मिला है.

यही वजह है कि अब सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है और कंपनियों को नोटिस जारी किया है. इन कंपनियों ने बिना पूर्व सूचना के ही पानी डाउन स्ट्रीम में छोड़ा है. इसमें निजी कंपनियों के साथ सरकारी कंपनियां भी शामिल हैं. सरकार नियमों का न पालन वाली कंपनियों से नुकसान की भरपाई भी करवा सकती है.

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