शिमला: हिमाचल प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण और ग्रीन कवर बढ़ाने की दिशा में प्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. प्रदेश सरकार ने ‘मुख्यमंत्री वन विस्तार योजना’ आरंभ की है. हिमाचल कैबिनेट ने हाल ही में इसको मंजूरी दी है. इस योजना का लक्ष्य राज्य में वन क्षेत्र का विस्तार करना है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र और सामाजिक-आर्थिक जनजीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश अपने अद्भुत सौंदर्य और जैव विविधता के लिए जाना जाता है. इस योजना के तहत हिमाचल प्रदेश की बंजर हो चुकी पहाड़ियों में पौधारोपण करके मिट्टी के कटाव जैसी समस्या से कुशलतापूर्वक निपटा जा सकता है. नेशनल फॉरेस्ट पॉलिसी-1988 के अनुसार पहाड़ी और पर्वतीय क्षेत्रों को अपने भौगोलिक क्षेत्र का 2/3 हिस्सा वन और वृक्ष आवरण के तहत बनाए रखना जरूरी है. 'मुख्यमंत्री वन विस्तार योजना के तहत इस साल हिमाचल सरकार प्रदेशभर में लगभग 257 हेक्टेयर बंजर पहाड़ियों पर एनवायरनमेंट फ्रेंडली प्रजातियों के पौधों का रोपण करेगी.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि ये कैंपेन पूरी से सफल रहे, इसके लिए हिमाचल सरकार ने वनीकरण के लिए क्षेत्र चयनित कर लिए हैं और इनमें नए पौधों की देखभाल करने के लिए सरकार ने सात सालों के लिए स्थानीय लोगों की सेवाएं लेने का फैसला लिया है. इसके अलावा कार्यक्रम के उचित कार्यान्वयन, देखरेख और निगरानी के लिए वन विभाग द्वारा एक समर्पित टास्क फोर्स की स्थापना की जाएगी.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अभियान के तहत लगाए गए पौधों की देखभाल के महत्व पर जोर दिया. सीएम ने कहा कि टास्क फोर्स पौधारोपण सीजन के दौरान हर पखवाड़े में कम से कम एक बार बैठक करेगी, ताकि काम की प्रगति की समीक्षा की जा सके. इसके साथ ही वनीकरण कार्यों का समय पर निष्पादन सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्रीय इकाइयों के साथ समन्वय किया जा सके, इसे भी सुनिश्चित किया जाएगा.
इसके अलावा हिमाचल सरकार पर्यावरण संरक्षण के प्रयास में सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न गैर-सरकारी एजेंसियों, व्यक्तियों, स्वयं सहायता समूहों और संयुक्त वन प्रबंधन समितियों को पौधारोपण की जगहों को अपनाने व उनकी सही देखभाल के लिए प्रोत्साहित करेगी. 'मुख्यमंत्री वन विस्तार योजना' से न सिर्फ फॉरेस्ट एरिया बढ़ेगा बल्कि इससे पहाड़ी की चोटियों पर जंगली खरपतवार को खत्म करने में बेहद मददगार साबित होगा. जिससे एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन को भी बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा इस खास पहल से हिमाचल के लोगों के लिए रोजगार और स्वरोजगार के सुनहरे अवसर मिलेंगे. जिससे पूरे हिमाचल प्रदेश का विकास होगा.
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