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Himachal Crypto Currency Scam: लाखों की लालच में नौकरी छोड़ी, 1000 पुलिस कर्मी हुए क्रिप्टो करेंसी धोखाधड़ी के शिकार, लगा करोड़ों का चूना

हिमाचल क्रिप्टो करेंसी घोटाले में 1,000 से भी ज्यादा पुलिसकर्मी धोखाधड़ी के शिकार हुए हैं. कुछ पुलिस वालों ने इसे बढ़ावा देने के लिए नौकरियां भी छोड़ दी थी. वहीं, मामले की एसआईटी जांच कर रही है. अब तक दो मुख्य आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं. जबकि इस स्कैम का सरगना फरार चल रहा है. (Himachal Crypto Currency Scam) (Himachal policemen victims of crypto currency fraud )

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By PTI

Published : Oct 20, 2023, 3:34 PM IST

शिमला: यह कहावत आपने जरूर सुनी होगी कि लालच बुरी बला है. हिमाचल पुलिस के जवान भी ज्यादा लालच की चक्कर में करोड़ों की ठगी का शिकार हुए हैं. हिमाचल में क्रिप्टो करेंसी के नाम पर पैसा डबल करने का लालच देकर धोखेबाजों ने आम लोगों से लेकर हिमाचल पुलिस जवानों को भी अपना शिकार बनाया. ठगी के इस जाल में प्रदेश के एक-दो या सौ नहीं, बल्कि 1000 से भी ज्यादा पुलिस कर्मी फंस गए. वहीं, इनमें से कईयों ने तो ज्यादा पैसे पाने की लालच में अपनी नौकरी तक छोड़ दी और ठगों के नेटवर्क में फंसकर धोखाधड़ी के शिकार हो गए.

हिमाचल के मंडी जिले में एक हजार से अधिक पुलिस कर्मी क्रिप्टो करेंसी ठगी का शिकार हो गए. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है. विशेष जांच दल के जांचकर्ताओं के अनुसार, ठगों ने क्रिप्टो करेंसी में निवेश के नाम पर अधिकांश पुलिस कर्मियों को करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया है, लेकिन वहीं, उनमें से कुछ ने बहुत ज्यादा लाभ कमाया और योजना के प्रवर्तक बन गए. इसके लिए इन पुलिस कर्मियों ने अधिक निवेशकों को अपने साथ जोड़ लिया. मामले में करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आने के बाद जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया.

पुलिस के मुताबिक क्रिप्टो करेंसी फ्रॉड में जालसाजों ने कम से कम एक लाख लोगों को ठगा है. इस ठगी में करीब 2.5 लाख आईडी मिली हैं, जिनमें एक ही व्यक्ति की कई आईडी शामिल हैं. घोटालेबाजों ने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए दो क्रिप्टो करेंसी 'कोरवियो कॉइन' (या केआरओ) और डीजीटी कॉइन' लॉन्च की. साथ ही इन डिजिटल मुद्राओं की कीमतों में हेरफेर के साथ नकली वेबसाइटें बनाई. इस ठगी में शुरुआत में निवेशकों को कम समय में उच्च रिटर्न का वादा करके ठगों ने लुभाया. उन्होंने निवेशकों का एक नेटवर्क भी बनाया, जिन्होंने अपने-अपने दायरे में श्रृंखला का और विस्तार किया.

वहीं, कम समय में ज्यादा रिटर्न पाने के चक्कर में पुलिसकर्मी, शिक्षक और अन्य लोग योजना में शामिल होते चले गये. हालांकि, इसमें शामिल अधिकांश पुलिस कर्मियों को नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन योजना के उनके प्रचार ने निवेशकों के बीच विश्वास पैदा किया और निवेश योजना को विश्वसनीयता प्रदान की. एक पुलिस अधिकारी ने नाम नहीं बताने की की शर्त पर पीटीआई को जानकारी दी कि क्रिप्टो करेंसी योजना में शामिल कुछ पुलिसकर्मियों ने ज्यादा लाभ कमाने के लिए वीआरएस तक ले लिया और फर्जी क्रिप्टो करेंसी स्कीम के प्रवर्तक बन गए.

मामले में हिमाचल प्रदेश के डीजीपी संजय कुंडू ने कहा जांच संगठित और योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ रही है. हम सभी गलत काम करने वालों ठगों को पकड़ लेंगे. घोटाले में शामिल सभी लोगों से सख्ती से निपटा जाएगा.

बता दें कि क्रिप्टो करेंसी एक डिजिटल मुद्रा है, जिसे ब्लॉकचेन आधारित कंप्यूटर नेटवर्क के माध्यम से विनिमय के माध्यम के रूप में काम करने के लिए डिजाइन किया गया है. जो इसे बनाए रखने के लिए सरकार या बैंक जैसे किसी केंद्रीय प्राधिकरण पर निर्भर नहीं है. यह घोटाला 2018 में शुरू हुआ, जिसमें अधिकांश पीड़ित मंडी, हमीरपुर और कांगड़ा जिलों से थे. कुछ मामलों में एक अकेले व्यक्ति ने 1,000 लोगों को शामिल किया.

पुलिस ने पहले कहा था कि आरोपियों ने अपनी योजना पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए गलत सूचना, धोखे और धमकियों के संयोजन का इस्तेमाल किया. साथ ही क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में हेरफेर करके निवेशकों से पैसा निकालना जारी रखा, जिससे इसमें निवेश करने वालों को भारी वित्तीय नुकसान हुआ. क्रिप्टोकरेंसी घोटालेबाजों ने क्रिप्टोकरेंसी जिसे कोर्वियो कॉइन या केआरओ कॉइन के नाम से जाना जाता है, उससे संबंधित निवेश योजना के साथ लोगों से संपर्क किया और उनके खातों को सक्रिय करने के लिए प्रारंभिक एक्टिवेशन शुल्क लिया. इसमें तीन से चार तरह की क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल किया गया.

घोटालेबाजों ने अपने सिक्कों को सूचीबद्ध करने के लिए नकली वेबसाइटें बनाईं और उनकी कीमतों में हेरफेर किया. बाद में उन्होंने 'डीजीटी कॉइन' नाम से एक नया सिक्का लॉन्च किया. जब पर्याप्त लोगों ने इन सिक्कों को ऊंची कीमत पर खरीद लिया, तो जानबूझकर इसकी कीमत कम कर दी गई, जिससे निवेशकों को बड़े पैमाने पर वित्तीय नुकसान हुआ. पुलिस ने कहा जांच से यह भी पता चला है कि क्रिप्टोकरेंसी के अलावा अन्य जमा योजनाएं भी चलाई गईं. जिसमें 90,000 रुपये की जमा राशि पर 10 प्रतिशत मासिक रिटर्न भी शामिल है.

पुलिस ने लोगों को आगाह किया है कि यदि कोई योजना 12 प्रतिशत से अधिक वार्षिक रिटर्न का वादा करती है तो सावधान रहें. वहीं, मामले में अब तक दो मुख्य आरोपियों सुखदेव और हेमराज को गुजरात से गिरफ्तार किया गया है. दोनों से पुलिस पूछताछ कर रही है. पूछताछ में दोनों आरोपियों ने कबूल किया कि उन पर ₹400 करोड़ रुपये की देनदारियां बकाया है. घोटाले का कथित सरगना सुभाष अभी भी फरार चल रहा है. बताया जा रहा है कि वह दूबई में है. हिमाचल पुलिस उसकी गिरफ्तारी के लिए प्रयास कर रही है.

ये भी पढ़ें: Himachal Crypto Currency Scam: 'पुलिस वालों ने लोगों से जमकर करवाई है क्रिप्टो करेंसी में इन्वेस्टमेंट', शातिरों के जाल से Police भी नहीं बच पाई

ये भी पढ़ें: Himachal Crypto Currency Scam: 2.5 लाख लोगों से ₹2000 करोड़ की ठगी, निवेशकों के ₹400 करोड़ डूबे: DGP संजय कुंडू

ये भी पढ़ें: Hamirpur Cryptocurrency Scam: हमीरपुर में क्रिप्टो करेंसी के जरिए करोड़ों की ठगी, जानें किन कंपनियों के नाम पर किया फ्रॉड

शिमला: यह कहावत आपने जरूर सुनी होगी कि लालच बुरी बला है. हिमाचल पुलिस के जवान भी ज्यादा लालच की चक्कर में करोड़ों की ठगी का शिकार हुए हैं. हिमाचल में क्रिप्टो करेंसी के नाम पर पैसा डबल करने का लालच देकर धोखेबाजों ने आम लोगों से लेकर हिमाचल पुलिस जवानों को भी अपना शिकार बनाया. ठगी के इस जाल में प्रदेश के एक-दो या सौ नहीं, बल्कि 1000 से भी ज्यादा पुलिस कर्मी फंस गए. वहीं, इनमें से कईयों ने तो ज्यादा पैसे पाने की लालच में अपनी नौकरी तक छोड़ दी और ठगों के नेटवर्क में फंसकर धोखाधड़ी के शिकार हो गए.

हिमाचल के मंडी जिले में एक हजार से अधिक पुलिस कर्मी क्रिप्टो करेंसी ठगी का शिकार हो गए. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है. विशेष जांच दल के जांचकर्ताओं के अनुसार, ठगों ने क्रिप्टो करेंसी में निवेश के नाम पर अधिकांश पुलिस कर्मियों को करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया है, लेकिन वहीं, उनमें से कुछ ने बहुत ज्यादा लाभ कमाया और योजना के प्रवर्तक बन गए. इसके लिए इन पुलिस कर्मियों ने अधिक निवेशकों को अपने साथ जोड़ लिया. मामले में करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आने के बाद जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया.

पुलिस के मुताबिक क्रिप्टो करेंसी फ्रॉड में जालसाजों ने कम से कम एक लाख लोगों को ठगा है. इस ठगी में करीब 2.5 लाख आईडी मिली हैं, जिनमें एक ही व्यक्ति की कई आईडी शामिल हैं. घोटालेबाजों ने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए दो क्रिप्टो करेंसी 'कोरवियो कॉइन' (या केआरओ) और डीजीटी कॉइन' लॉन्च की. साथ ही इन डिजिटल मुद्राओं की कीमतों में हेरफेर के साथ नकली वेबसाइटें बनाई. इस ठगी में शुरुआत में निवेशकों को कम समय में उच्च रिटर्न का वादा करके ठगों ने लुभाया. उन्होंने निवेशकों का एक नेटवर्क भी बनाया, जिन्होंने अपने-अपने दायरे में श्रृंखला का और विस्तार किया.

वहीं, कम समय में ज्यादा रिटर्न पाने के चक्कर में पुलिसकर्मी, शिक्षक और अन्य लोग योजना में शामिल होते चले गये. हालांकि, इसमें शामिल अधिकांश पुलिस कर्मियों को नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन योजना के उनके प्रचार ने निवेशकों के बीच विश्वास पैदा किया और निवेश योजना को विश्वसनीयता प्रदान की. एक पुलिस अधिकारी ने नाम नहीं बताने की की शर्त पर पीटीआई को जानकारी दी कि क्रिप्टो करेंसी योजना में शामिल कुछ पुलिसकर्मियों ने ज्यादा लाभ कमाने के लिए वीआरएस तक ले लिया और फर्जी क्रिप्टो करेंसी स्कीम के प्रवर्तक बन गए.

मामले में हिमाचल प्रदेश के डीजीपी संजय कुंडू ने कहा जांच संगठित और योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ रही है. हम सभी गलत काम करने वालों ठगों को पकड़ लेंगे. घोटाले में शामिल सभी लोगों से सख्ती से निपटा जाएगा.

बता दें कि क्रिप्टो करेंसी एक डिजिटल मुद्रा है, जिसे ब्लॉकचेन आधारित कंप्यूटर नेटवर्क के माध्यम से विनिमय के माध्यम के रूप में काम करने के लिए डिजाइन किया गया है. जो इसे बनाए रखने के लिए सरकार या बैंक जैसे किसी केंद्रीय प्राधिकरण पर निर्भर नहीं है. यह घोटाला 2018 में शुरू हुआ, जिसमें अधिकांश पीड़ित मंडी, हमीरपुर और कांगड़ा जिलों से थे. कुछ मामलों में एक अकेले व्यक्ति ने 1,000 लोगों को शामिल किया.

पुलिस ने पहले कहा था कि आरोपियों ने अपनी योजना पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए गलत सूचना, धोखे और धमकियों के संयोजन का इस्तेमाल किया. साथ ही क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में हेरफेर करके निवेशकों से पैसा निकालना जारी रखा, जिससे इसमें निवेश करने वालों को भारी वित्तीय नुकसान हुआ. क्रिप्टोकरेंसी घोटालेबाजों ने क्रिप्टोकरेंसी जिसे कोर्वियो कॉइन या केआरओ कॉइन के नाम से जाना जाता है, उससे संबंधित निवेश योजना के साथ लोगों से संपर्क किया और उनके खातों को सक्रिय करने के लिए प्रारंभिक एक्टिवेशन शुल्क लिया. इसमें तीन से चार तरह की क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल किया गया.

घोटालेबाजों ने अपने सिक्कों को सूचीबद्ध करने के लिए नकली वेबसाइटें बनाईं और उनकी कीमतों में हेरफेर किया. बाद में उन्होंने 'डीजीटी कॉइन' नाम से एक नया सिक्का लॉन्च किया. जब पर्याप्त लोगों ने इन सिक्कों को ऊंची कीमत पर खरीद लिया, तो जानबूझकर इसकी कीमत कम कर दी गई, जिससे निवेशकों को बड़े पैमाने पर वित्तीय नुकसान हुआ. पुलिस ने कहा जांच से यह भी पता चला है कि क्रिप्टोकरेंसी के अलावा अन्य जमा योजनाएं भी चलाई गईं. जिसमें 90,000 रुपये की जमा राशि पर 10 प्रतिशत मासिक रिटर्न भी शामिल है.

पुलिस ने लोगों को आगाह किया है कि यदि कोई योजना 12 प्रतिशत से अधिक वार्षिक रिटर्न का वादा करती है तो सावधान रहें. वहीं, मामले में अब तक दो मुख्य आरोपियों सुखदेव और हेमराज को गुजरात से गिरफ्तार किया गया है. दोनों से पुलिस पूछताछ कर रही है. पूछताछ में दोनों आरोपियों ने कबूल किया कि उन पर ₹400 करोड़ रुपये की देनदारियां बकाया है. घोटाले का कथित सरगना सुभाष अभी भी फरार चल रहा है. बताया जा रहा है कि वह दूबई में है. हिमाचल पुलिस उसकी गिरफ्तारी के लिए प्रयास कर रही है.

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