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सुखविंदर सरकार के गले की फांस बन रहे मंत्रियों के बयान, सीएम को सांसत में डाल रहे कैबिनेट मंत्री - हिमाचल के मंत्रियों के विवादित बयान

हिमाचल के कैबिनेट मंत्रियों के बयान मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू के लिए लगातार मुसीबतें पैदा कर रहे हैं. ताजा बयान उनके सबसे खास मंत्रियों में शुमार हर्षवर्धन चौहान ने दिया है. जिसके बाद से सरकार पर क्षेत्रवाद तक के आरोप लग रहे हैं. इससे पहले भी कुछ और मंत्री सरकार के लिए मुसीबतें पैदा करने वाले बयान दे चुके हैं. आखिर कौन-कौन से मंत्रियों ने क्या बयान दिए थे. पढ़ें...

हिमाचल सरकार के मंत्रियों के विवादित बयान
हिमाचल सरकार के मंत्रियों के विवादित बयान
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Published : Jun 21, 2023, 7:32 PM IST

शिमला: हिमाचल में सुखविंदर सिंह सरकार को सत्ता में आए छह महीने ही हुए हैं, लेकिन सरकार के कैबिनेट मंत्री अपने बयानों से सीएम को सांसत में डाल रहे हैं. ताजा मामला मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के सबसे करीबी समझे जाने वाले मंत्रियों में से एक अनिरुद्ध सिंह का है. पंचायती राज विभाग संभाल रहे अनिरुद्ध सिंह ने शिमला में दो टैक्सी यूनियन के आपसी झगड़े में एक ऐसा बयान दिया, जिसके बाद हिमाचल में सियासत तेज हो गई है. विपक्षी दल भाजपा ने कैबिनेट मंत्री के बयान को तुरंत लपकते हुए सरकार पर निशाना साध दिया. वहीं, सरकार के भीतर भी दो मंत्रियों ने इस मामले में अपना पक्ष रखा है. सोशल मीडिया पर सुपर एक्टिव लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने एक साथ मिलकर चलने की बात कही तो उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि शिमला में रह रहे सिरमौर के निवासियों के हितों की रक्षा करना उनकी जिम्मेदारी है.

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क्या है पूरा मामला- दरअसल समर टूरिस्ट सीजन के दौरान शिमला में लाखों सैलानी आते हैं. यहां टैक्सी यूनियनों के बीच विवाद आम है. इसी तरह का एक विवाद शिमला में दो टैक्सी यूनियनों के बीच पैदा हुआ. चूड़ेश्वर टैक्सी यूनियन के जरिए सिरमौर जिला के युवा रोजी-रोटी कमा रहे हैं. अन्य टैक्सी यूनियन जय मां पधाई के नाम से है. इनके बीच सवारियों को लेकर अकसर टकराव होता रहता है. इसी तरह का टकराव 16 जून को हुआ था. शिमला में ऑकलैंड टनल के पास गाडियों के शीशे तोड़े गए. उसके बाद पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह का बयान आया, जिसमें उन्होंने सिरमौर के लोगों के खिलाफ कुछ शब्द कहे. उसके बाद बवाल बढ़ गया. शिमला में रोजगार में लगे सिरमौर के युवाओं ने डीसी ऑफिस के समीप विरोध प्रदर्शन किया. जिला प्रशासन ने कमेटी गठित कर विवाद सुलझाने के प्रयास शुरू किए. सिरमौर निवासी पंचायती राज मंत्री के इस्तीफे की मांग भी कर रहे हैं.

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नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने भी जताया कड़ा विरोध- सिरमौर के लोगों को शिमला में काम नहीं करने दिया जाएगा, पंचायती राज मंत्री के इस आशय वाले बयान पर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी कड़ा एतराज जताया है. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि शिमला में सभी को रोजगार का हक है. शिमला किसी एक व्यक्ति की जागीर नहीं है, बल्कि प्रदेश के सभी नागरिकों का यहां समान हक है. नेता प्रतिपक्ष ने कानून व्यवस्था की स्थिति पर भी चिंता जताई और कहा कि पुलिस के मुखिया अवकाश पर हैं और प्रदेश में कानून-व्यवस्था का जनाजा निकला हुआ है.

ये भी पढ़ें: सुक्खू सरकार की फजीहत करवा रहे कैबिनेट मंत्री, कोई विभाग से तो कोई दुनिया से अनजान, कोई कमेंट करके हुआ ट्रोल

ये भी पढ़ें- सरकार के मंत्री कान खोलकर सुन लें, हिमाचल सबका है, किसी की जागीर नहीं: नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर

बवाल मचा रहे मंत्रियों के बयान- वैसे अनिरुद्ध सिंह इकलौते मंत्री नहीं हैं जिनके बयान सीएम सुक्खू के लिए गले की फांस बने हुए हैं. मुख्यमंत्री समेत कैबिनेट में अभी तक कुल 9 मंत्री हैं. इनमें से बीते एक महीने में ही चार मंत्री अपनी बयानबाजी के कारण सरकार की फजीहत करवा चुके हैं. सबसे पहले मई महीने में हिमाचल सरकार ने डॉक्टर्स के एनपीए से जुड़ा फैसला लिया तो स्वास्थ्य मंत्री को इससे संबंधित अधिसूचना का ही पता नहीं था. स्वास्थ्य मंत्री कर्नल डॉ. धनीराम शांडिल से मीडिया ने डॉक्टर्स का एनपीए बंद करने से जुड़ा सवाल किया तो उन्होंने अनभिज्ञता जताई. मंत्री को ये भी मालूम नहीं था कि अधिसूचना जारी हो गई है. बाद में साथ खड़े अफसरों ने किसी तरह स्थिति को संभाला.

धनीराम शांडिल और चंद्र कुमार के बयान

इसी तरह का वाकया कृषि मंत्री चौधरी चंद्र कुमार के साथ हुआ. धर्मशाला में उनसे चंबा में हुए मनोहर हत्याकांड पर सवाल किया गया तो उन्हें मालूम ही नहीं था कि ऐसा कोई जघन्य हत्याकांड हुआ है. यहां पर भी मंत्री के साथ मौजूद कांग्रेस नेताओं ने उनके कान में मनोहर केस के बारे में फुसफुसाया, लेकिन मंत्री को फिर भी बात समझ में नहीं आया. हैरानी की बात है कि कैबिनेट मंत्री चंद्र कुमार का संबंध उसी कांगड़ा संसदीय सीट से है, जिसमें चंबा जिला भी आता है. चंबा मर्डर केस देशभर की मीडिया की सुर्खियों में बना हुआ है.

एक अन्य विवाद युवा कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने खड़ा कर दिया था. उनकी एक सोशल मीडिया पोस्ट पर यूजर्स ने कमेंट कर कर्मचारी चयन आयोग के पैंडिंग रिजल्ट निकालने के लिए सीएम तक बात पहुंचाने का आग्रह किया तो मंत्री ने तल्खी भरा जवाब दिया कि हम डाकिया नहीं हैं. हालांकि उन्होंने ये कमेंट हटा दिया था, लेकिन तब तक यूजर्स ने स्क्रीन शॉट्स ले लिए थे. जिनके जरिये उन्हें सोशल मीडिया पर खूब ट्रोल किया गया, यूजर्स ने उन्हें खूब खरी खोटी भी सुनाई.

डाकिया वाले कमेंट पर सोशल मीडिया पर खूब ट्रोल हुए विक्रमादित्य सिंह
डाकिया वाले कमेंट पर सोशल मीडिया पर खूब ट्रोल हुए विक्रमादित्य सिंह

अब पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने अपने बयान से सरकार को सांसत में डाल दिया है. वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा का कहना है कि कैबिनेट मंत्री किसी भी सरकार का चेहरा होते हैं और वो किसी वर्ग, धर्म या जिला विशेष का प्रतिनिधित्व नहीं करते. प्रदेश सरकार का मंत्री होने के नाते उनकी जवाबदेही हर नागरिक के लिए है इसलिये उन्हें संभल कर बयान देने चाहिए. ऐसे बयानों से सरकार की छवि को आघात पहुंचता है.

ये भी पढ़ें: सुक्खू सरकार ने बंद कर दिया डॉक्टर्स का NPA, हेल्थ मिनिस्टर बोले 'नॉट टू माई नॉलिज'

ये भी पढ़ें: यूजर ने कहा CM तक बात पहुंचा दो, विक्रमादित्य सिंह बोले 'हम डाकिया नहीं', कमेंट हुआ वायरल

ये भी पढ़ें: सुखविंदर सरकार के कृषि मंत्री चंद्र कुमार को मनोहर हत्याकांड के बारे अभी भी नहीं कोई जानकारी

शिमला: हिमाचल में सुखविंदर सिंह सरकार को सत्ता में आए छह महीने ही हुए हैं, लेकिन सरकार के कैबिनेट मंत्री अपने बयानों से सीएम को सांसत में डाल रहे हैं. ताजा मामला मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के सबसे करीबी समझे जाने वाले मंत्रियों में से एक अनिरुद्ध सिंह का है. पंचायती राज विभाग संभाल रहे अनिरुद्ध सिंह ने शिमला में दो टैक्सी यूनियन के आपसी झगड़े में एक ऐसा बयान दिया, जिसके बाद हिमाचल में सियासत तेज हो गई है. विपक्षी दल भाजपा ने कैबिनेट मंत्री के बयान को तुरंत लपकते हुए सरकार पर निशाना साध दिया. वहीं, सरकार के भीतर भी दो मंत्रियों ने इस मामले में अपना पक्ष रखा है. सोशल मीडिया पर सुपर एक्टिव लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने एक साथ मिलकर चलने की बात कही तो उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि शिमला में रह रहे सिरमौर के निवासियों के हितों की रक्षा करना उनकी जिम्मेदारी है.

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क्या है पूरा मामला- दरअसल समर टूरिस्ट सीजन के दौरान शिमला में लाखों सैलानी आते हैं. यहां टैक्सी यूनियनों के बीच विवाद आम है. इसी तरह का एक विवाद शिमला में दो टैक्सी यूनियनों के बीच पैदा हुआ. चूड़ेश्वर टैक्सी यूनियन के जरिए सिरमौर जिला के युवा रोजी-रोटी कमा रहे हैं. अन्य टैक्सी यूनियन जय मां पधाई के नाम से है. इनके बीच सवारियों को लेकर अकसर टकराव होता रहता है. इसी तरह का टकराव 16 जून को हुआ था. शिमला में ऑकलैंड टनल के पास गाडियों के शीशे तोड़े गए. उसके बाद पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह का बयान आया, जिसमें उन्होंने सिरमौर के लोगों के खिलाफ कुछ शब्द कहे. उसके बाद बवाल बढ़ गया. शिमला में रोजगार में लगे सिरमौर के युवाओं ने डीसी ऑफिस के समीप विरोध प्रदर्शन किया. जिला प्रशासन ने कमेटी गठित कर विवाद सुलझाने के प्रयास शुरू किए. सिरमौर निवासी पंचायती राज मंत्री के इस्तीफे की मांग भी कर रहे हैं.

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नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने भी जताया कड़ा विरोध- सिरमौर के लोगों को शिमला में काम नहीं करने दिया जाएगा, पंचायती राज मंत्री के इस आशय वाले बयान पर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी कड़ा एतराज जताया है. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि शिमला में सभी को रोजगार का हक है. शिमला किसी एक व्यक्ति की जागीर नहीं है, बल्कि प्रदेश के सभी नागरिकों का यहां समान हक है. नेता प्रतिपक्ष ने कानून व्यवस्था की स्थिति पर भी चिंता जताई और कहा कि पुलिस के मुखिया अवकाश पर हैं और प्रदेश में कानून-व्यवस्था का जनाजा निकला हुआ है.

ये भी पढ़ें: सुक्खू सरकार की फजीहत करवा रहे कैबिनेट मंत्री, कोई विभाग से तो कोई दुनिया से अनजान, कोई कमेंट करके हुआ ट्रोल

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बवाल मचा रहे मंत्रियों के बयान- वैसे अनिरुद्ध सिंह इकलौते मंत्री नहीं हैं जिनके बयान सीएम सुक्खू के लिए गले की फांस बने हुए हैं. मुख्यमंत्री समेत कैबिनेट में अभी तक कुल 9 मंत्री हैं. इनमें से बीते एक महीने में ही चार मंत्री अपनी बयानबाजी के कारण सरकार की फजीहत करवा चुके हैं. सबसे पहले मई महीने में हिमाचल सरकार ने डॉक्टर्स के एनपीए से जुड़ा फैसला लिया तो स्वास्थ्य मंत्री को इससे संबंधित अधिसूचना का ही पता नहीं था. स्वास्थ्य मंत्री कर्नल डॉ. धनीराम शांडिल से मीडिया ने डॉक्टर्स का एनपीए बंद करने से जुड़ा सवाल किया तो उन्होंने अनभिज्ञता जताई. मंत्री को ये भी मालूम नहीं था कि अधिसूचना जारी हो गई है. बाद में साथ खड़े अफसरों ने किसी तरह स्थिति को संभाला.

धनीराम शांडिल और चंद्र कुमार के बयान

इसी तरह का वाकया कृषि मंत्री चौधरी चंद्र कुमार के साथ हुआ. धर्मशाला में उनसे चंबा में हुए मनोहर हत्याकांड पर सवाल किया गया तो उन्हें मालूम ही नहीं था कि ऐसा कोई जघन्य हत्याकांड हुआ है. यहां पर भी मंत्री के साथ मौजूद कांग्रेस नेताओं ने उनके कान में मनोहर केस के बारे में फुसफुसाया, लेकिन मंत्री को फिर भी बात समझ में नहीं आया. हैरानी की बात है कि कैबिनेट मंत्री चंद्र कुमार का संबंध उसी कांगड़ा संसदीय सीट से है, जिसमें चंबा जिला भी आता है. चंबा मर्डर केस देशभर की मीडिया की सुर्खियों में बना हुआ है.

एक अन्य विवाद युवा कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने खड़ा कर दिया था. उनकी एक सोशल मीडिया पोस्ट पर यूजर्स ने कमेंट कर कर्मचारी चयन आयोग के पैंडिंग रिजल्ट निकालने के लिए सीएम तक बात पहुंचाने का आग्रह किया तो मंत्री ने तल्खी भरा जवाब दिया कि हम डाकिया नहीं हैं. हालांकि उन्होंने ये कमेंट हटा दिया था, लेकिन तब तक यूजर्स ने स्क्रीन शॉट्स ले लिए थे. जिनके जरिये उन्हें सोशल मीडिया पर खूब ट्रोल किया गया, यूजर्स ने उन्हें खूब खरी खोटी भी सुनाई.

डाकिया वाले कमेंट पर सोशल मीडिया पर खूब ट्रोल हुए विक्रमादित्य सिंह
डाकिया वाले कमेंट पर सोशल मीडिया पर खूब ट्रोल हुए विक्रमादित्य सिंह

अब पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने अपने बयान से सरकार को सांसत में डाल दिया है. वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा का कहना है कि कैबिनेट मंत्री किसी भी सरकार का चेहरा होते हैं और वो किसी वर्ग, धर्म या जिला विशेष का प्रतिनिधित्व नहीं करते. प्रदेश सरकार का मंत्री होने के नाते उनकी जवाबदेही हर नागरिक के लिए है इसलिये उन्हें संभल कर बयान देने चाहिए. ऐसे बयानों से सरकार की छवि को आघात पहुंचता है.

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