शिमला: कैबिनेट मंत्री किसी भी सरकार का चेहरा होते हैं. मंत्रियों से ये आशा बांधी जाती है कि वे अपने विभाग को कुशलता से चलाने के साथ-साथ प्रदेश में होने वाली छोटी-बड़ी घटनाओं से अपडेट रहें लेकिन यहां हिमाचल में कैबिनेट मंत्री ही सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की फजीहत कर रहे हैं. डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री को मिलाकर सुक्खू कुल 8 मंत्रियों की कप्तानी कर रहे हैं लेकिन बीते कुछ समय से कुछ मंत्री सरकार की फजीहत करवा रहे हैं. दो मंत्री मीडिया के कैमरों के आगे तो एक सोशल मीडिया पर ट्रोल हो चुके हैं.
मई के महीने में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई वाली सरकार ने हिमाचल के डॉक्टर्स का एनपीए बंद करने से संबंधित अधिसूचना जारी की थी. डॉक्टर्स ने इसका विरोध किया. मामला पूरे प्रदेश में चर्चा में आ गया लेकिन सुखविंदर सरकार के हैल्थ मिनिस्टर कर्नल डॉ. धनीराम शांडिल को इस बारे में कोई सूचना ही नहीं थी. मामला खुद डॉ. शांडिल के विभाग का था, लेकिन उन्हें पता ही नहीं था कि अधिसूचना कब हुई. मीडिया ने सवाल पूछा तो वो हैरान होकर पूछने लगे कि 'ये किसने अधिसूचना जारी कर दी, नॉट टू माई नॉलिज'. साथ खड़े अफसरों ने मंत्री जी को बताया तब जाकर कुछ गोलमोल जवाब देकर मंत्रीजी ने बात संभाली, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी. मंत्रीजी का बयान वायरल हो गया था और स्वास्थ्य मंत्री की इस अज्ञानता का तब सोशल मीडिया पर खूब मजाक उड़ाया गया था.
ताजा मामला प्रदेश के कृषि मंत्री चंद्र कुमार का है. चंबा में मनोहर नामक युवक की निर्मम हत्या और फिर शव के टुकड़े करने का मामला प्रदेश से लेकर देशभर में सुर्खियां बटोर रहा है. पूरे देश और हिमाचल में बवाल हो गया, चंबा में प्रदर्शन से लेकर आरोपियों के घर जलाने और धारा 144 तक लग चुकी है लेकिन चंबा-कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से संबंध रखने वाले कैबिनेट मंत्री चंद्र कुमार को इस बारे में जानकारी ही नहीं थी. धर्मशाला में मीडिया ने उनसे सवाल किया तो वे बगलें झांकने लगे. पहले तो कहा मुझे जानकारी ही नहीं है फिर कवर करने के लिए महिला के परिवार को सांत्वना देने लगे. साथ खड़े एक कांग्रेस नेता उनके कान में मनोहर, आठ टुकड़े, लाश जैसे शब्द फुसफुसाते रहे, लेकिन मंत्री चंद्र कुमार को कुछ समझ न आया. बाद में उन्होंने रटे-रटाए शब्द कहे और किसी तरह से जान छुड़ाई. इससे पता चलता है कि सुखविंदर सिंह सरकार की फजीहत उनके ही मंत्री करवा रहे हैं.
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धनीराम शांडिल की 82 बसंत देख चुके हैं तो चंद्र कुमार 79 साल के हैं. इन्हें सोशल मीडिया पर उम्र का तकाजा देकर भी ट्रोल किया गया है लेकिन युवा कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह, जो सोशल मीडिया पर हाइपर एक्टिव रहते हैं, उन्होंने भी अपने एक कमेंट से सरकार की स्थिति हास्यास्पद बना दी थी. विक्रमादित्य सिंह ने अपने निर्वाचन क्षेत्र की सडक़ों से जुड़ी एक पोस्ट डाली थी. उसमें एक यूजर ने कमेंट करते हुए आग्रह किया कि मुख्यमंत्री से पेंडिंग रिजल्ट की बात करें. जवाब में विक्रमादित्य सिंह ने कमेंट कर दिया कि 'हम डाकिया नहीं हैं'. हालांकि बाद में उन्होंने कमेंट डिलीट कर दिया था लेकिन तब तक चिढ़िया खेत चुग गई थी और कई स्क्रीनशॉट लिए जा चुके थे. जो सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रहे हैं. डाकिया से जुड़े कमेंट को लेकर विक्रमादित्य सिंह पर कई मीम भी सोशल मीडिया पर आ गए.
भाजपा नेताओं राज्यसभा सांसद सिकंदर कुमार, सांसद सुरेश कश्यप, इंदु गोस्वामी ने कांग्रेस पर वार करते हुए कहा कि ये संवेदनहीन सरकार है. भाजपा नेताओं ने कहा कि जिन वादों के सहारे कांग्रेस सत्ता में आई थी, उन्हें पूरा करने की बजाय भाजपा पर आधारहीन आरोप लगा रही है. सरकार के मंत्री इस कदर संवेदनहीन हैं कि उन्हें चंबा में युवक की नृशंस हत्या की जानकारी तक नहीं है.
वरिष्ठ मीडिया कर्मी संजीव कुमार शर्मा का कहना है कि उम्रदराज हो चुके नेताओं को स्वेच्छा से मंत्री पद जैसे दायित्व त्याग देने चाहिए. ऐसे नेता एक लंबी पारी खेल चुके हैं और अपने समय में राज्य के विकास में बेहतर काम कर चुके हैं लेकिन यदि स्वास्थ्य विभाग के मंत्री को अपने ही विभाग का पता न हो और संसदीय क्षेत्र के संबंधित मंत्री को जघन्य हत्याकांड की जानकारी तक न हो, तो ये गंभीर मामला है. कर्नल धनीराम शांडिल अस्सी पार हैं और चंद्र कुमार अस्सी साल के होने वाले हैं. ऐसे में उनकी कार्यक्षमता पर सवालिया निशान उठते रहते हैं.
हिमाचल की राजनीति को चार दशक से नजदीक से परख रहे मीडिया कर्मी धनंजय अंथ्वाल का कहना है कि मंत्रियों के ऐसे बयानों से सरकार की छवि खराब होती है. उनका मानना है कि उम्र भी एक फैक्टर है. एक निश्चित उम्र के बाद काम करने की क्षमता प्रभावित होती ही है लेकिन ये हैरत की बात है कि कैबिनेट मंत्री को अपने विभाग की अधिसूचना और एक अन्य कैबिनेट मंत्री को चंबा जैसे नृशंस हत्याकांड की सूचना तक नहीं. ये सरकार की फजीहत करवाने वाले मामले कहे जाएंगे. वहीं, सोशल मीडिया पर भी यूजर्स जमकर कमेंट करते हुए सरकार को कोसते नजर आ रहे हैं.