शिमला: हिमाचल विधानसभा बजट सत्र गुरुवार को अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गया. इस बजट सत्र के दौरान विपक्षी दल भाजपा ने कई मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश की और कई बार सदन से वॉकआउट किया. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बजट सत्र के दौरान आम जनता के मुद्दों को सदन में प्रभावी ढंग से उठाने में विपक्ष सरकार के समक्ष प्रभावी ढंग से उठने में सफल रहा है.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार बनने के बाद उनका यह पहला बजट सत्र था. आमतौर पर नई सरकार के खिलाफ दो साल तक ज्यादा मुद्दे नहीं होते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं था इस सरकार के 3 महीने कार्यकाल के दौरान काफी मुद्दे विपक्ष के पास थे और विपक्ष ने सारे मुद्दों को प्रभावी ढंग से सदन में उठाया. कई बार ऐसी परिस्थिति भी बनी थी जब सदन में बात नहीं सुनी गई तो सदन से वॉकआउट भी किया और सदन के बाहर अपनी बात रखी गई.
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष की जो भूमिका है उस पर खरा उतरने की कोशिश की गई और खासकर सदन में सरकार द्वारा डी नोटिफाई किए गए इस संस्थानों को बंद करने का मामला प्रभावी ढंग से उठाया गया. इसके अलावा कानून व्यवस्था पर भी चर्चा को लेकर नोटिस देने के बावजूद भी चर्चा का समय नहीं दिया गया. कई ऐसे मुद्दे थे जिन पर विपक्ष चर्चा करना चाहते थे, लेकिन समय की कमी के चलते उस पर चर्चा नहीं हुई है. जनहित के जो मुद्दे हैं उन्हें प्रभावी ढंग से उठाया गया.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार बनते ही 1 दिन बाद प्रदेश में 900 संस्थानों को डिनोटिफाई कर दिया गया और इसको लेकर तर्क दिया गया कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है. प्रदेश के विकास को राजनीतिक तराजू में नहीं तोलना चाहिए. सरकार को संस्थानों को बंद करने से पहले उनका रिव्यू करना चाहिए था उसके बाद अब फैसला लेना चाहिए था, लेकिन राजनीतिक मकसद से कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में संस्थानों को बंद किया.
इसके अलावा लोकतंत्र प्रहरी योजना को भी बंद किया गया. इसके साथ ही नगर निगम शिमला के चुनावों को लेकर जिस तरह से सरकार द्वारा तीन-तीन बार अधिसूचना जारी की गई और वोट बनाए जा रहे हैं यह भी मामला सदन में उठाया. उन्होंने कहा कि विधानसभा के अंदर जनहित के मुद्दों को उठाने के बाद आप जनता के बीच भी भाजपा इन मुद्दों को लेकर जाएगी.