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Himachal Apple Season: वजन से सेब खरीद पर आनाकानी, आढ़तियों की मनमानी से बागवान परेशान, 23 अगस्त को हल्ला बोल की तैयारी

हिमाचल प्रदेश में सेब सीजन चल रहा है. बागवान मंडियों में अपने सेब बेचने के लिए पहुंच रहे हैं. प्रदेश सरकार ने इस बार वजन के हिसाब से सेब बेचने का फैसला लिया है, लेकिन आढ़तियों-लदानियों की मनमानी जारी है. जिसका खामियाजा सेब बागवानों को उठाना पड़ रहा है. (Himachal Apple Season)

Himachal Apple Season
शिमला सेब मंडी
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Published : Aug 13, 2023, 1:01 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार ने अबकी बार मंडियों में किलो के हिसाब से सेब बेचने की व्यवस्था की है. सरकार ने बागवानों के हितों के लिए यह बड़ा कदम उठाया है, लेकिन मंडियों में आढ़तियों और लदानियों की मनमानी जारी है. आढ़ती पुरानी ग्रेडिंग के आधार पर सेब की पैकिंग के लिए बागवानों पर दबाव डाल रहे हैं. कई जगह पर आढ़ती सेब को तोलने में भी आनाकानी कर रहे हैं. इससे बागवानों में भारी रोष है. जिसके चलते बागवान एक बड़े प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं.

आढ़तियों-लदानियों की मनमानी जारी: प्रदेश सरकार ने इस बार एपीएमसी एक्ट लागू करके किलो के हिसाब से सेब बेचने की व्यवस्था की है. इसके अलावा सरकार ने स्पष्ट आदेश जारी किए हैं कि मंडियों में सेब की पेटी तोलने के दौरान कार्टन के वजन के नाम पर कोई कटौती नहीं होगी. बागवानों को सेब का रेट कार्टन के वजन समेत ही दिया जाएगा. मगर इस आदेश की कई जगह अनुपालना नहीं की जा रही. यही नहीं निर्धारित मात्रा यानी 24 किलो तक वजन वाली पेटियां ले जाने वाले बागवानों की मंडियों में जानबूझकर अनदेखी की जा रही है.

बागवानों पर बना रहे दबाव: सेब बागवानों की मानें तो नियमों का पालन करने वालों के सेब की बोलियां भी कम लगाई जा रही हैं. इसके विपरीत ज्यादा वजन की पेटियां लाने वाले बागवानों को प्रोत्साहित करने के मकसद से उनके सेब की बोलियां ज्यादा लगाई जा रही हैं. कई आढ़ती पुरानी ग्रेडिंग के लिए बागवानों पर दबाव डाल रहे हैं. बागवानों का कहना है कि सरकार की व्यवस्था को फेल करने के लिए आढ़तियों द्वारा लदानियों के साथ मिलकर कोशिश की जा रही है.

APMC दफ्तर पर बोलेंगे हल्ला: मंडियों में आढ़तियों द्वारा सेब बेचने को लेकर की जा रही मनमानी के विरोध में बागवान 23 अगस्त को शिमला में एपीएमसी दफ्तर के बाहर प्रदर्शन करेंगे. हिमाचल प्रदेश सेब उत्पादक संघ के बैनर तले ये प्रदर्शन होगा. जिसमें सेब बेल्ट के किसान और बागवान शामिल होंगे. बागवानों का कहना है कि सरकार का सेब को किलो के हिसाब से बेचने का निर्णय सराहनीय है, लेकिन इस निर्णय को एपीएमसी जमीनी स्तर पर लागू करवाने में विफल साबित हो रही है.

आढ़तियों पर लगाए आरोप: प्रदेश सेब उत्पादक संघ के संयोजक सोहन ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने बागवानों के हित में वजन के हिसाब से सेब बेचने का बड़ा फैसला लिया है, लेकिन आढ़ती लदानियों के साथ मिलकर इस व्यवस्था को फेल करवाने पर तुले हुए हैं. सेब बागवानों को ज्यादा वजन की पैकिंग करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है. यही नहीं कई आढ़ती ज्यादा वजन वालों को सेब के अच्छे रेट भी दे रहे हैं, इसके विपरीत निर्धारित 24 किलो तक के पेटियां लाने वालों को कम रेट देने के साथ ही उनको हतोत्साहित किया जा रहा है.

बागवानों की मांगें: सोहन ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार के इस बड़े फैसले को एपीएमसी लागू कराने में विफल नजर आ रही है. जिसको लेकर सेब उत्पादक एपीएमसी कार्यालय ढली के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे. धरना प्रदर्शन के माध्यम से बागवान यूनिवर्सल ग्रेडिंग सुनिश्चित करने की मांग करेंगे. जिससे कि अधिकतम 24 किलो तक की पेटियां ही मंडियों में पहुंचे. इसके साथ ही सेब ढुलाई का भाड़ा वजन के हिसाब से निर्धारित करने, एमआईएस के तहत खरीदे गए सेब की बकाया राशि बागवानों को जारी करने की भी मांग की जाएगी. बैरियरों पर एपीएमसी द्वारा की जा रही अवैध वसूली रोकने, सेब इलाकों की सड़कों को तुरंत बहाल करने की मांग भी इसके माध्यम से ही की जाएगी.

ये भी पढ़ें: Himachal Apple Season: कुल्लू ट्रक यूनियन ने बागवानों को दी राहत, सेब ढुलाई का नहीं बढ़ेगा किराया

शिमला: हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार ने अबकी बार मंडियों में किलो के हिसाब से सेब बेचने की व्यवस्था की है. सरकार ने बागवानों के हितों के लिए यह बड़ा कदम उठाया है, लेकिन मंडियों में आढ़तियों और लदानियों की मनमानी जारी है. आढ़ती पुरानी ग्रेडिंग के आधार पर सेब की पैकिंग के लिए बागवानों पर दबाव डाल रहे हैं. कई जगह पर आढ़ती सेब को तोलने में भी आनाकानी कर रहे हैं. इससे बागवानों में भारी रोष है. जिसके चलते बागवान एक बड़े प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं.

आढ़तियों-लदानियों की मनमानी जारी: प्रदेश सरकार ने इस बार एपीएमसी एक्ट लागू करके किलो के हिसाब से सेब बेचने की व्यवस्था की है. इसके अलावा सरकार ने स्पष्ट आदेश जारी किए हैं कि मंडियों में सेब की पेटी तोलने के दौरान कार्टन के वजन के नाम पर कोई कटौती नहीं होगी. बागवानों को सेब का रेट कार्टन के वजन समेत ही दिया जाएगा. मगर इस आदेश की कई जगह अनुपालना नहीं की जा रही. यही नहीं निर्धारित मात्रा यानी 24 किलो तक वजन वाली पेटियां ले जाने वाले बागवानों की मंडियों में जानबूझकर अनदेखी की जा रही है.

बागवानों पर बना रहे दबाव: सेब बागवानों की मानें तो नियमों का पालन करने वालों के सेब की बोलियां भी कम लगाई जा रही हैं. इसके विपरीत ज्यादा वजन की पेटियां लाने वाले बागवानों को प्रोत्साहित करने के मकसद से उनके सेब की बोलियां ज्यादा लगाई जा रही हैं. कई आढ़ती पुरानी ग्रेडिंग के लिए बागवानों पर दबाव डाल रहे हैं. बागवानों का कहना है कि सरकार की व्यवस्था को फेल करने के लिए आढ़तियों द्वारा लदानियों के साथ मिलकर कोशिश की जा रही है.

APMC दफ्तर पर बोलेंगे हल्ला: मंडियों में आढ़तियों द्वारा सेब बेचने को लेकर की जा रही मनमानी के विरोध में बागवान 23 अगस्त को शिमला में एपीएमसी दफ्तर के बाहर प्रदर्शन करेंगे. हिमाचल प्रदेश सेब उत्पादक संघ के बैनर तले ये प्रदर्शन होगा. जिसमें सेब बेल्ट के किसान और बागवान शामिल होंगे. बागवानों का कहना है कि सरकार का सेब को किलो के हिसाब से बेचने का निर्णय सराहनीय है, लेकिन इस निर्णय को एपीएमसी जमीनी स्तर पर लागू करवाने में विफल साबित हो रही है.

आढ़तियों पर लगाए आरोप: प्रदेश सेब उत्पादक संघ के संयोजक सोहन ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने बागवानों के हित में वजन के हिसाब से सेब बेचने का बड़ा फैसला लिया है, लेकिन आढ़ती लदानियों के साथ मिलकर इस व्यवस्था को फेल करवाने पर तुले हुए हैं. सेब बागवानों को ज्यादा वजन की पैकिंग करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है. यही नहीं कई आढ़ती ज्यादा वजन वालों को सेब के अच्छे रेट भी दे रहे हैं, इसके विपरीत निर्धारित 24 किलो तक के पेटियां लाने वालों को कम रेट देने के साथ ही उनको हतोत्साहित किया जा रहा है.

बागवानों की मांगें: सोहन ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार के इस बड़े फैसले को एपीएमसी लागू कराने में विफल नजर आ रही है. जिसको लेकर सेब उत्पादक एपीएमसी कार्यालय ढली के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे. धरना प्रदर्शन के माध्यम से बागवान यूनिवर्सल ग्रेडिंग सुनिश्चित करने की मांग करेंगे. जिससे कि अधिकतम 24 किलो तक की पेटियां ही मंडियों में पहुंचे. इसके साथ ही सेब ढुलाई का भाड़ा वजन के हिसाब से निर्धारित करने, एमआईएस के तहत खरीदे गए सेब की बकाया राशि बागवानों को जारी करने की भी मांग की जाएगी. बैरियरों पर एपीएमसी द्वारा की जा रही अवैध वसूली रोकने, सेब इलाकों की सड़कों को तुरंत बहाल करने की मांग भी इसके माध्यम से ही की जाएगी.

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