शिमला: हिमाचल प्रदेश में सेब की सबसे बड़ी खरीदार कंपनी अडानी एग्रोफ्रेश को अपने रेट बढ़ाने पड़े हैं. क्योंकि कम रेट पर बागवान सेब देने के लिए तैयार नहीं हैं. यही नहीं इस बार अडानी कंपनी ने सेब की क्वालिटी से भी कुछ कंप्रोमाइज किया है. कंपनी कम रस्टिंग वाला सेब लेने को भी तैयार हो गई है. कंपनी ने जहां पहले लार्ज, मिडियम, स्माल साइज के प्रमियम सेब का रेट 95 रुपये तय किया था. वहीं, अब उससे इसका रेट 105 रुपये करना पड़ा है. इसी तरह अन्य इससे कम साइज के सेब में 6 रुपये तक बढोतरी की है. पित्तू के सेब में एक रूपए की बढ़ोतरी की गई है. इसी तरह कुछ अन्य कैटेगरी सेब के दामों में भी बढ़ोतरी की है. हालांकि बागवान अभी भी इस रेट को कम मान रहे हैं, क्योंकि मंडियों में इससे ज्यादा रेट बागवानों को मिल रहा है.
दरअसल, अडानी एग्रोफ्रेश ने बीते 24 अगस्त से सेब खरीद करने का फैसला लिया था, अडानी ने प्रिमियम यानी बेस्ट क्वालिटी सेब के दाम 95 रुपये प्रति किलो तय किए थे, जबकि अन्य कंपनियां 125 रुपये किलो तक यही सेब खरीद रही थीं. इसी तरह मंडियों में भी बेस्ट क्वालिटी सेब के दाम 120 रुपये से ज्यादा किसानों को मिल रहे थे. वहीं, प्रदेश में अडानी की कंपनी को सेब बेचने को बागवान तैयार नहीं हुए क्योंकि मंडियों में इससे कही ज्यादा रेट बागवानों को मिल रहे हैं. जिस रेट को अडानी की कंपनी 95 रुपये में खरीद रही थी, उसी सेब को 125 से 135 रुपये तक दाम लोकल मंडियों में बागवानों को मिल रहे हैं. अडानी की कंपनी के रेट से बागवानों में भारी अंसंतोष भी था, बागानों ने इसको लेकर बैठकें और प्रदर्शन भी शुरू कर दिए थे.
10 से 12 गाड़ियां ही पहुंच रही सीए स्टोर: प्रदेश में सेब के कम रेट देने के कारण इस बार अडानी की कंपनी को बहुत कम सेब जा रहा है. पिछले साल तक अडानी के सीए स्टोरों के बाहर लाइनें लगी रहती थीं और यही नहीं भारी माल के चलते कई बार कंपनी ने अपने स्टोर भी बीच में बंद किए, लेकिन अबकी बार स्टोर में इक्का-दुक्का बागवान ही जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि रामपुर के बिथल स्थित स्टोर में मुश्किल से 10-12 छोटी गाड़ियां सेब की कल तक पहुंच रही थीं.
कम क्वालिटी वाला सेब लेने को भी तैयार है कंपनी: प्रदेश में बहुत कम सेब के कारण अबकी बार अडानी की कंपनी को अपने स्टोर भरने मुश्किल हो जाएंगे और ऊपर से रेट कम होने से बागवान नहीं पहुंच रहे. यही वजह है कि एक ओर जहां कंपनी ने सेब के रेट बढ़ाए हैं. वहीं, कम रस्टिंग वाला सेब भी लेने को कंपनी तैयार है. यही नहीं कंपनी ने 60 फीसदी से कम कलर वाले से 25 से 40 रुपये किया है.
साइज के साथ-साथ कलर के आधार पर कंपनी खरीदती है सेब: अडानी एग्रोफ्रेश कंपनी सेब के रेट ग्रेडिंग और कलर के आधार पर तय करती है. कलर के हिसाब से 80 से 100 फीसदी कलर, 60 से 80 फीसदी कलर और 60 फीसदी से कम वाले कलर की कैटेगरी शामिल हैं. इसके अलावा कलर लेस वाली कैटेगरी भी सेब की भी रखी गई है. वहीं, साइज के हिसाब देखें तो लार्ज (L), मीडियम (M)और स्माल (S)इनका एक ही रेट दिया जाता है. वहीं एक्ट्रा लार्ज (EL), एक्स्ट्रा स्मॉल (ES), एक्स्ट्रा-एक्स्ट्रा स्मॉल (EES), पीतू (PITTU) के आकार के सेब के अलग रेट हैं.
ये है अडानी एग्रोफ्रेश के नए रेट ( प्रति किलो रुपये में)
कलर-फीसदी | LMS | EL | ES | EES | PITTU | |
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80-100 | ₹105/KG | ₹66/KG | ₹91/KG | ₹81/KG | ₹66/KG | |
60-80 | ₹86/KG | ₹56/KG | ₹76/KG | ₹66/KG | ₹46/KG | |
60 फीसदी से कम कलर | ₹40/KG | |||||
कलर लेस सेब | ₹25/KG |
24 हजार मीट्रिक टन सेब की खरीदती अडानी एग्रोफ्रेश: हिमाचल में अडानी एग्रो फ्रेश कंपनी सेब की सबसे बडी खरीददार है. हर साल यह कंपनी 24 हजार मीट्रिक टन तक सेब खरीदती है. अडानी एग्रोफ्रेश के रोहड़ू के मेंहदली, ठियोग के सैंज और रामपुर के बीथल में सीए स्टोर हैं.
क्या कहते हैं बागवानी: सेब बहुल इलाके कोटगढ़ में बागवानों की सहकारी संस्थाओं के संयोजक सतीश भलैक का कहना है कि मंडियों में ज्यादा रेट को देखते हुए अडानी एग्रोफ्रेश ने अब रेट बढ़ाए हैं. यही नहीं कंपनी ने सेब के ऊपरी हिस्से में रस्टिंग वाले सेब को खरीदने का फैसला लिया है. हालांकि अडानी की कंपनी के रेट अभी भी बाजार से कम है. लोकल मंडियों में ही प्रिमियम सेब 130 रुपये से भी ज्यादा बिक रहा है. वहीं जिस सेब के दाम अडानी की कंपनी ने 105 रुपये तय किए है वो सेब बहुत ही कम है. ऊंचाई वाले इलाके में तो लारज मिडियम औ स्माल सेब नहीं है. अधिकतर इससे कम सेब ही ऊंचाई वाले इलाकों में है जिसका मामूली रेट कंपनी ने बढ़ाया है. उनका कहना है कंपनी को इससे कम साइज के सेब के रेट बढ़ाने चाहिए.
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