शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए नगर निगम शिमला के भीतर हरे पेड़ों की कटाई वाली सभी अनुमतियों पर रोक लगा दी है. हालांकि कोर्ट ने विद्युत विभाग को दी गई अनुमतियों पर यह रोक नहीं लगाई है.
मुख्य न्यायाधीश एल नारायण स्वामी व न्यायाधीश अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किए. याचिकाकर्ता ने एमसी शिमला, वन संरक्षण अधिनियम और अन्य वैधानिक प्रावधानों का उल्लेख करते हुए शिमला शहर में सड़कों के विस्तारीकरण के नाम पर हरे भरे स्वस्थ पेड़ों को काटे जाने का मुद्दा उठाया है.
याचिकाकर्ता ने वृक्ष प्राधिकरण समिति द्वारा असंख्य पेड़ों की कटाई के लिए दी गई अनुमतियों को रद्द करने व पेड़ों की कटाई के सभी मामलों को तय करने और निपटाने के लिए बनाई गई कैबिनेट उप समिति के गठन के बारे में जारी अधिसूचना को रद्द करने की मांग भी की है.
याचिकाकर्ता ने अनुमतियों की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच करवाने की मांग भी की है. प्रार्थी की मांग है कि क्या पेड़ काटने के आवेदनों को संसाधित करते समय मौके की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी की गई थी या नहीं. क्या पेड़ों को कटाई से बचाने के लिए कोई गंभीर प्रयास किए गए थे.
अगली सुनवाई 12 मई को
पेड़ों को काटने के लिए केवल अंतिम उपाय के रूप में अनुमति दी गई थी. याचिकाकर्ता ने अधिकारियों से हरे पेड़ों की अवैध कटाई की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने से रोकने की मांग की है. मामले पर अगली सुनवाई 12 मई को निर्धारित की गई है.
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