शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में धोखाधड़ी के आरोपी अमिल मन्हास की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई 1 नवंबर तक टल गई है. न्यायाधीश अनूप चिटकारा ने मन्हास को जांच अधिकारी के साथ जाकर उसे अपनी वह बैंक स्टेटमेंट देने को कहा जिसके आधार पर आरोपी का कहना है कि उसने सारी देय राशि का भुगतान कर दिया है.
कोर्ट ने आरोपी को 17 अक्टूबर को मिली अंतरिम जमानत अवधि 1 नवंबर तक बढ़ाते हुए सरकार को स्टेट्स रिपोर्ट दायर करने के साथ-साथ पूरा रिकॉर्ड पेश करने के आदेश भी दिए. कोर्ट ने अमिल मन्हास को भी अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट में उपस्थित रहने के आदेश दिए. जांच अधिकारी को तब तक आरोपी से सुबह 10 बजे से 5 बजे के बीच ही पूछताछ कर जांच करने के आदेश दिए हैं. मन्हास पर राज्य सतर्कता व भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो थाना ऊना में भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 465, 467, 471 और 34 व इन्फॉर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी अधिनियम की धारा 61 के तहत 5 सितंबर को प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
गौर रहे कि ऑडिट के दौरान पाया गया था कि शराब की फर्मों के लाइसेंस धारक रोहित कुमार की ओर से जमा किये गए ई चालान का सत्यापन नहीं हो पा रहा है. सत्यापन के लिए सौंपे गए ई चालान भी फर्जी पाए गए. जांच में यह भी पाया गया है कि अमिल मन्हास द्वारा दिया गया चेक बाउंस हो गया. ज्ञात रहे कि ऊना में एक्साइज विभाग के साथ शराब की 2 फर्मों द्वारा करीब 2 करोड़ 63 लाख की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. इस मामले में एक्साइज विभाग ने विजिलेंस में मामला दर्ज करवाया है.
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मामले का खुलासा होने के बाद एक्साइज विभाग ने दोनों फर्मों को बकाया राशि जमा करवाने के लिए नोटिस भी जारी किए थे और जब एक्साइज विभाग ने अपने पास जमा एफडीआर चेक करवाई तो वो भी फर्जी पाई गई. आबकारी एवं कराधान विभाग के अनुसार शराब की 2 फर्मों द्वारा विभाग के साथ 2.63 करोड़ रुपये धोखाधड़ी की गई थी, जिसे लेकर विजिलेंस में शिकायत दर्ज की गई है. मामले की सुनवाई 1 नवंबर को निर्धारित की गई है.
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