शिमलाः प्रदेश उच्च न्यायालय में आज बस हादसों की याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई करीब आधा घंटा तक चली जिसमे हाईकोर्ट ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित करने के आदेश दिए हैं.
हाईकोर्ट ने कहा कि कमेटी में लोनिवि के पूर्व चीफ इंजीनियर सतीश सागर, परिवहन विभाग के पूर्व जनरल मैनेजर राजीव गुप्ता और आईसीआर के जसवंत सिंह शामिल होंगे. ये कमेटी प्रदेश सरकार को सुझाव देगी और कमेटी दो सप्ताह में हाईकोर्ट को भी रिपोर्ट सौंपेगी.
बता दें कि कोर्ट मित्र व अन्य अधिवक्ताओं से इस बाबत सुझाव मांगे गए थे कि भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाओं को रोकने के लिए क्या कारगर कदम उठाए जाने चाहिए. इसके अलावा अगर इस तरह की दुर्घटनाओं को रोकने के लिए किसी कमेटी को गठित किया जाना है तो उस कमेटी के कौन-कौन सदस्य होने चाहिए. कोर्ट ने झंझीड़ी में हुए दर्दनाक स्कूल बस हादसे और नूरपुर स्कूल बस हादसे में लंबित जनहित याचिका वाले मामले के साथ सलग्न कर मामले पर सुनवाई तय की थी.
गौरतलब है कि गत वर्ष 9 अप्रैल 2018 को नूरपुर बस हादसे में 26 स्कूली बच्चों को मिलाकर कुल 29 लोगों की हादसे में मौत हो गई थी. हाईकोर्ट ने 10 अप्रैल 2018 को इस मामले को लेकर स्वतः संज्ञान ले लिया था.
इस मामले में कोर्ट ने सरकार से शपथपत्र के माध्यम से यह स्पष्टीकरण देने को कहा था कि प्रदेश के सभी निजी शिक्षण संस्थानों में बच्चों को घरों से स्कूलों तक लाने ले जाने के लिए इस्तेमाल होने वाली व्यवस्था पर निगरानी रखने के लिए कोई प्रणाली सरकार ने बना रखी है या नहीं.
कोर्ट ने पूछा था कि स्कूलों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली बसों की निगरानी के लिए स्थानीय प्रशासन ने क्या तरीका निकाला हुआ है, यदि कोई तरीका नहीं है तो क्यों नहीं है और यदि कोई तरीका है तो किस तरह बसों की निगरानी की जाती है.
कोर्ट ने नूरपुर हादसे से जुड़ी बस की जानकारी मांगते हुए पूछा ये भी पूछा था कि उस बस की तकनीकी स्थिति क्या थी व किस वर्ष के मॉडल की बस थी. कोर्ट ने इस मामले में पूर्व महाधिवक्ता श्रवण डोगरा को एमिक्स क्यूरी नियुक्त किया था व उनसे इस बाबत सुझाव देने को कहा था ताकि भविष्य में इस तरह के दर्दनाक हादसे न हो.