शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट में कोरोना संक्रमण के चलते चिकित्सा सुविधाओं को बढ़ाए जाने की मांग को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से न्यायालय को बताया गया कि उन्होंने सभी राज्य सरकारों को आदेश जारी कर सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को 30 बिस्तरों वाले ऑक्सीजन सुविधा युक्त आईसीयू हॉस्पिटल में तब्दील करवाने के लिए कह दिया है.
केंद्र की ओर से दी इस जानकारी के पश्चात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को यह बताने के आदेश दिए कि राज्य सरकार ने पीएचसी को ऑक्सीजन सुविधा युक्त आईसीयू हॉस्पिटल में तब्दील करने में अभी तक क्या कदम उठाए हैं.
मुख्य न्यायाधीश एल नारायण स्वामी व न्यायाधीश अनूप चिटकारा की खंडपीठ के समक्ष हुई सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार की ओर से बताया गया कि आरटी पीसीआर टेस्ट औसतन 14 हजार प्रतिदिन करवाए गए हैं, जबकि सोमवार को 11 हजार टेस्ट किए गए.
'स्थिति ऐसी भयावह हो जाएगी कि सरकार के नियंत्रण में ही नहीं रहेगी'
कोर्ट ने कहा कि यदि युद्धस्तर पर यानी 20 से 30 हजार से ज्यादा टेस्ट प्रतिदिन नहीं करवाए गए तो मृत्यु दर अनुपात बढ़ जाएगा और जब तक आरटी पीसीआर टेस्ट करवाए जाएंगे तब तक इन्क्यूबेशन पीरियड बढ़ जाएगा. स्थिति ऐसी भयावह हो जाएगी कि सरकार के नियंत्रण में ही नहीं रहेगी.
कोरोना के विरुद्ध लड़ाई को तेज करना होगा
कोर्ट ने सरकार के पक्ष को सुनने के पश्चात कहा कि प्रदेश सरकार को एक बार फिर से कोरोना के विरुद्ध लड़ाई को तेज करना होगा. कोर्ट ने सरकार द्वारा हाल ही में करीब 1000 बेड की क्षमता वाले ऑक्सीजन सुविधा युक्त मेकशिफ्ट हॉस्पिटल बनाने की प्रशंसा भी की.
आईसीयू हॉस्पिटल में तब्दील करना समय की जरूरत
फिर भी कोर्ट ने कहा कि सभी पीएचसी को विकेन्द्रीकृत आईसीयू हॉस्पिटल में तब्दील करना समय की जरूरत है. सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि कुल्लू व लाहौल स्पीति जिलों में हॉस्पिटल तो है परंतु आईसीयू बेड युक्त नहीं है. इस पर कोर्ट ने इन दोनों जिलों के बारे में अगली सुनवाई तक सरकार से स्पष्टीकरण भी मांगा है. कोर्ट ने मामले पर 1 जून को सुनवाई निर्धारित की है.
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