शिमला: हिमाचल के डीजीपी संजय कुंडू की तरफ से जान के खतरे की आशंका जताते हुए पालमपुर के कारोबारी निशांत शर्मा ने हाई कोर्ट से न्याय की गुहार लगाई थी. कारोबारी ने अपने परिवार की सुरक्षा को भी खतरा बताया था और हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नाम पर मेल कर इस बारे में अवगत करवाया था. हाई कोर्ट के आदेश से कारोबारी की ई-मेल को ही आपराधिक रिट याचिका में तब्दील किया गया था. इस मामले की सुनवाई अब अदालत ने 14 दिसंबर को तय की है. साथ ही कांगड़ा के एएसपी व शिमला के एसपी से अगली सुनवाई में जांच की ताजा स्टेटस रिपोर्ट तलब की है.
उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट ने कांगड़ा और शिमला के एसपी को प्रार्थी निशांत शर्मा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के आदेश जारी किए हुए हैं. अदालत के आदेश पर पुलिस ने कारोबारी की सुरक्षा में कांस्टेबल तैनात किए हुए हैं. मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के समक्ष एसपी कांगड़ा की ओर से बताया गया कि प्रार्थी की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई है. निशांत शर्मा ने जो आरोप लगाए हैं, उन आरोपों की जांच एएसपी कांगड़ा को सौंपी गई है.
हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई तक एएसपी कांगड़ा और एसपी शिमला को मामले की जांच की ताजा स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए. मामले के अनुसार पालमपुर के कारोबारी निशांत शर्मा ने विगत 28 अक्टूबर को ईमेल के माध्यम से अपने और अपने परिवार की जान को खतरा बताते हुए हाई कोर्ट के सीजे के नाम ई-मेल लिखी. कारोबारी निशांत शर्मा ने मेल में लिखा था कि उन्हें या तो डीजीपी संजय कुंडू द्वारा मार दिया जाएगा या गंभीर रूप से डराया धमकाया जाएगा.
कारोबारी ने लिखा था कि गुरुग्राम में भी उस पर हमला हो चुका है, जिसमें वह बच गया. इस वारदात की रिपोर्ट को वापस लेने के लिए उस पर दो बाइक सवार लोगों ने कांगड़ा जिला के भागसूनाग और मैक्लोडगंज के बीच वाले रास्ते में रोक कर धमकाया. निशांत शर्मा की ई-मेल के मुताबिक डीजीपी कार्यालय से उसे एक ही दिन में 14 फोन आए. साथ ही डीएसपी और एसएचओ पालमपुर ने भी उसे फोन किए. यही नहीं, एसएचओ पालमपुर ने व्हाट्सएप मैसेज कर निशांत शर्मा को बताया कि डीजीपी उससे बात करना चाहते हैं, इसलिए उसे डीजीपी कार्यालय में कॉल बैक कर लेनी चाहिए.
कॉल बैक करने पर डीजीपी ने कहा कि निशांत तुम शिमला आओ और मुझसे मिलो. निशांत शर्मा ने कहा कि उसने डीजीपी से मिलने का कारण पूछा तो पुलिस प्रमुख ने कहा कि उसे शिमला आकर उनसे मिलना होगा. ईमेल के माध्यम से निशांत ने हिमाचल के ही दो रसूखदार लोगों पर उससे जबरन वसूली का दबाव बनाने की बात कही है. हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव ने ईमेल पर संज्ञान लेते हुए प्रशासनिक आदेशों से इसे आपराधिक रिट याचिका रजिस्टर्ड करने के आदेश दिए थे. हाई कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने के बाद ही प्रार्थी के आरोपों पर कांगड़ा पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी. उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए पूर्व में पुलिस प्रशासन को एफआईआर दर्ज न करने पर फटकार भी लगाई थी.
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