शिमला: कोरोना काल में कोरोना वॉरियर्स नाम से सम्मानित स्वास्थ्य कर्मचारियों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है. मामला राजधानी शिमला का है जहां डीडीयू कोविड केयर सेंटर में स्वास्थय कर्मचारियों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं.
हालांकि प्रदेश सरकार ने कोविड केयर सेंटर में सेवाएं देने वाले मेडिकल स्टाफ और डॉक्टर को नवनिर्मित सर्किट हाउस में रहने की व्यवस्था की है, लेकिन रात्रि को जब ड्यूटी ऑफ करके यह कर्मचारी कमरा लेने के लिए वहां पहुंचते हैं तो उन्हें कमरा देने के लिए आनाकानी की जाती है. जिसका खामियाज मेडिकल स्टाफ के इन कोरोना वॉरियर्स को भुक्तना पड़ता है.
हालांकि मेडिकल कर्मचारी कैमरे पर आने से मुकर रहे हैं, लेकिन इस संबंध में उच्च अधिकारियों के पास यह मामला उठाया चुके हैं.
डीसी के समक्ष उठाया जाएगा मामला
वहीं, अब डीडीयू के एमएस डॉ. रमेश चौहान ने संज्ञान लेते हुए जिला प्रशासन से इस मामले पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है. डीडीयू एमएस डॉ. रमेश चौहान ने बताया कि डीडीयू को सरकार ने कोविड केयर सेंटर बनाया है, लेकिन कोरोना मरीजों की सेवा में दिनरात लगे कर्मचारी देर रात ड्यूटी ऑफ करते हैं. जिसके बाद वे सर्किट हाउस में रुम लेकर रहते हैं. जहां सरकार ने ठहरने का प्रबंध किया है, लेकिन सर्किट हाउस में प्रशासन द्वारा कर्मचारी तैनात किया है.
मेडिकल स्टाफ को सर्किट हाउस में ठहराने की व्यवस्था की है
वह मेडिकल स्टाफ को रुम देने और अन्य सामग्री देने में आनाकानी करता है. इस मामले को अब जिला प्रशासन के सामने लाया जाएगा, ताकि मेडिकल स्टाफ के कोरोना वॉरियर्स को मूलभूत सुविधाएं मिल सके. बता दें कि कोरोना वायरस के चलते सरकार ने मेडिकल स्टाफ को सर्किट हाउस में ठहराने की व्यवस्था की है क्योंकि कोरोना वायरस का कहर जिला में लगातार बढ़ता जा रहा है.
कोरोना पॉजिटिव व्यक्तियों का सीधा सम्बंध मेडिकल स्टाफ से रहता है और ड्यूटी के दौरान मेडिकल सेवा में तैनात कर्मचारी अपने घर न जाए या घर तक संक्रमण का खतरा न पहुंचे इसको देखते हुए सरकार ने सर्किट हाउस में सभी मेडिकल स्टाफ के ठहरने की व्यवस्था की है, लेकिन मेडिकल स्टाफ को मूलभूत सुविधाओं के लिए ठोकरें पड़ रही है. जिससे सरकार द्वारा कोरोना वॉरियर्स के लिए किए जाने वाले कार्यों के दावे खोखले साबित हो रहे हैं.