शिमला: हिमाचल प्रदेश में स्क्रब टाइफस का कहर जारी है. इस साल स्क्रब टाइफस के मामलों ने पिछले कई सालों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में अब तक 973 स्क्रब टाइफस के मामले सामने आ चुके हैं. जबकि 10 लोगों की इस बीमारी से इस साल मौत हो चुकी है. स्वास्थ्य मंत्री ने लोगों से इसे लेकर सावधानियां बरतने की अपील की है.
स्क्रब टाइफस का कारण: स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धनीराम शांडिल ने कहा कि इस साल स्क्रब टाइफस के मामले सबसे ज्यादा सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि इस साल बारिश का ज्यादा होना, ह्यूमिडिटी का रहना और हाइजीन ख्याल न रखना इसके सबसे बड़े कारण हैं. घास काटने गए लोगों को कई बार जीवाणू संक्रमित पिस्सू काट लेता है और लोग इस चीज को इग्नोर कर देते हैं. जिससे ये समस्या गंभीर रूप ले लेती है.
स्वास्थ्य मंत्री की अपील: स्वास्थ्य मंत्री ने प्रदेश वासियों से स्क्रब टाइफस को सीरियस लेने और इसमें एहतियात बरतने की अपील की है. उन्होंने कहा कि जब घास काटने जाते हैं तो अपने हाथों और पैरों को अच्छे से कवर करें. स्क्रब टाइफस के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर के पास आएं. मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग स्क्रब टाइफस के बढ़ते मामलों के प्रति सचेत हैं और स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए पूरी प्रबंध किए हुए हैं.
शिमला में सबसे ज्यादा मामले: हिमाचल प्रदेश में इस साल अब तक 973 मामले स्क्रब टाइफस के मामले सामने आ चुके हैं. शिमला जिले में सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं. शिमला में 1262 लोगों के सैंपल जांचे गए, जिनमें 403 लोग पॉजिटिव पाए गए, जबकि 4 लोगों की स्क्रब टाइफस से मौत हो गई है. इसके अलावा बिलासपुर में 175 मामले, मंडी में 110, कांगड़ा में 96 और हमीरपुर में 78 मामले स्क्रब टाइफस के पाए गए हैं. वहीं, सिरमौर जिले में 46, ऊना में 37, सोलन में 15, कुल्लू में 8 और चंबा में 5 मामले स्क्रब टाइफस के पाए गए. जबकि लाहौल स्पीति और किन्नौर में स्क्रब टाइफस का एक भी मामला नहीं है.