ETV Bharat / state

वैक्सीनेट होने के बावजूद कोरोना पॉजिटिव हुए डॉ. रमेश, मोनोक्लोनल एंटीबॉडी इंजेक्शन से तुरंत सुधरी तबीयत

कोरोना संक्रमित होने के बाद स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डॉयरेक्टर डॉ. रमेश चंद ने स्वेच्छा से मोनोक्लोनल एंटी बॉडी इंजेक्शन लिया है. इंजेक्शन लगवाने के बाद वे पहले से काफी बेहतर महसूस कर रहे हैं. शरीर में दर्द भी महसूस नहीं हो रहा और बुखार भी नहीं आया है. अन्य मेडिकल पैरामीटर्स भी नॉर्मल रेंज में हैं. उन्होंने बताया कि ये इंजेक्शन मरीज को तब दिया जाता है, जब संक्रमण हो जाए. इससे तबीयत में जल्द सुधार आता है.

health-deputy-director-ramesh-chand
फोटो.
author img

By

Published : Jun 26, 2021, 7:24 PM IST

शिमला: स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डॉयरेक्टर डॉ. रमेश चंद ने स्वेच्छा से मोनोक्लोनल एंटी बॉडी इंजेक्शन लिया है. कोरोना वैक्सीन की दो डोज लेने के बावजूद डॉ. रमेश चंद कोरोना से संक्रमित हो गए थे. बाद में उन्होंने स्वेच्छा से मोनोक्लोनल एंटीबॉडी इंजेक्शन लिया.

इस इंजेक्शन का परिणाम ये हुआ कि 24 घंटे के भीतर ही उनकी तबीयत सुधर गई. शरीर में दर्द दूर हो गया. बुखार भी नहीं आया और बीपी, पल्स रेट सहित ऑक्सीजन सेचुरेशन नॉर्मल रेंज में आ गई. ये इंजेक्शन बहुत महंगा होता है और हिमाचल में ये विदेश से सहायता के तौर पर आए हैं. एक महीने से भी अधिक समय से इस इंजेक्शन को कोई स्वेच्छा से लगाने के लिए तैयार नहीं हुआ था. दो करोड़ रुपए से भी अधिक कीमत के दो सौ से अधिक इंजेक्शन अमेरिका से सहायता के रूप में आए थे.

कोल्ड चेन में किया प्रिजर्व

स्वास्थ्य निदेशालय में इंजेक्शन की ये खेप आने के बाद उन्हें आईजीएमसी अस्पताल में कोल्ड चेन में प्रिजर्व किया गया था. हिमाचल में ये पहली बार है कि किसी ने मोनोक्लोनल एंटीबॉडी इंजेक्शन लगवाया है. वैक्सीन लगाने के बाद भी कोरोना संक्रमण की चपेट में आए डॉ. रमेश चंद ने खुद आगे आकर पहल की और कल देर शाम को ये इंजेक्शन लगवाया. इंजेक्शन लगाने के बाद उन्हें कुछ समय के लिए आईजीएमसी अस्पताल में ऑब्जर्वेशन पर रखा गया.

संक्रमण होने पर दिया जाता है इंजेक्शन

डॉ. रमेश चंद ने बताया कि इंजेक्शन लगवाने के बाद वे पहले से काफी बेहतर महसूस कर रहे हैं. शरीर में दर्द भी महसूस नहीं हो रहा और बुखार भी नहीं आया है. अन्य मेडिकल पैरामीटर्स भी नॉर्मल रेंज में हैं. उन्होंने बताया कि ये इंजेक्शन मरीज को तब दिया जाता है, जब संक्रमण हो जाए. इससे तबीयत में जल्द सुधार आता है.

इंजेक्शन लेने में आनाकानी करते हैं लोग

कई लोग इंजेक्शन लेने में आनाकानी करते हैं. डॉ. रमेश ने बताया कि उनका अनुभव है कि ये सेफ है. इंजेक्शन लगाने के बाद उन्हें बुखार नहीं आया और न ही उन्होंने पैरासिटामोल की टैबलेट ली है. इससे जल्द ही संक्रमण से मुक्ति भी मिल जाएगी. डॉ. रमेश ने बताया कि संक्रमण के बावजूद वे घर से ही काम कर रहे हैं और स्वास्थ्य निदेशालय में आ रही राहत सामग्री के उचित रखरखाव का इंतजाम कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: शिमला: कोरोना वैक्सीन लगने के बाद बिगड़ी युवती की तबीयत, 19 दिन बाद हुई मौत

शिमला: स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डॉयरेक्टर डॉ. रमेश चंद ने स्वेच्छा से मोनोक्लोनल एंटी बॉडी इंजेक्शन लिया है. कोरोना वैक्सीन की दो डोज लेने के बावजूद डॉ. रमेश चंद कोरोना से संक्रमित हो गए थे. बाद में उन्होंने स्वेच्छा से मोनोक्लोनल एंटीबॉडी इंजेक्शन लिया.

इस इंजेक्शन का परिणाम ये हुआ कि 24 घंटे के भीतर ही उनकी तबीयत सुधर गई. शरीर में दर्द दूर हो गया. बुखार भी नहीं आया और बीपी, पल्स रेट सहित ऑक्सीजन सेचुरेशन नॉर्मल रेंज में आ गई. ये इंजेक्शन बहुत महंगा होता है और हिमाचल में ये विदेश से सहायता के तौर पर आए हैं. एक महीने से भी अधिक समय से इस इंजेक्शन को कोई स्वेच्छा से लगाने के लिए तैयार नहीं हुआ था. दो करोड़ रुपए से भी अधिक कीमत के दो सौ से अधिक इंजेक्शन अमेरिका से सहायता के रूप में आए थे.

कोल्ड चेन में किया प्रिजर्व

स्वास्थ्य निदेशालय में इंजेक्शन की ये खेप आने के बाद उन्हें आईजीएमसी अस्पताल में कोल्ड चेन में प्रिजर्व किया गया था. हिमाचल में ये पहली बार है कि किसी ने मोनोक्लोनल एंटीबॉडी इंजेक्शन लगवाया है. वैक्सीन लगाने के बाद भी कोरोना संक्रमण की चपेट में आए डॉ. रमेश चंद ने खुद आगे आकर पहल की और कल देर शाम को ये इंजेक्शन लगवाया. इंजेक्शन लगाने के बाद उन्हें कुछ समय के लिए आईजीएमसी अस्पताल में ऑब्जर्वेशन पर रखा गया.

संक्रमण होने पर दिया जाता है इंजेक्शन

डॉ. रमेश चंद ने बताया कि इंजेक्शन लगवाने के बाद वे पहले से काफी बेहतर महसूस कर रहे हैं. शरीर में दर्द भी महसूस नहीं हो रहा और बुखार भी नहीं आया है. अन्य मेडिकल पैरामीटर्स भी नॉर्मल रेंज में हैं. उन्होंने बताया कि ये इंजेक्शन मरीज को तब दिया जाता है, जब संक्रमण हो जाए. इससे तबीयत में जल्द सुधार आता है.

इंजेक्शन लेने में आनाकानी करते हैं लोग

कई लोग इंजेक्शन लेने में आनाकानी करते हैं. डॉ. रमेश ने बताया कि उनका अनुभव है कि ये सेफ है. इंजेक्शन लगाने के बाद उन्हें बुखार नहीं आया और न ही उन्होंने पैरासिटामोल की टैबलेट ली है. इससे जल्द ही संक्रमण से मुक्ति भी मिल जाएगी. डॉ. रमेश ने बताया कि संक्रमण के बावजूद वे घर से ही काम कर रहे हैं और स्वास्थ्य निदेशालय में आ रही राहत सामग्री के उचित रखरखाव का इंतजाम कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: शिमला: कोरोना वैक्सीन लगने के बाद बिगड़ी युवती की तबीयत, 19 दिन बाद हुई मौत

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.