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HC ने खारिज की 'रिश्वतखोर' RTO की जमानत याचिका, कोर्ट ने सरकार से तलब की स्टेटस रिपोर्ट

रिपोर्ट के अनुसार आरटीओ के खिलाफ 20 मार्च को एक ओर एफआईआर दर्ज की गई थी. आरटीओ पर जांच अधिकारी को रिश्वत देकर मामला रफादफा करवाने की कोशिश का आरोप लगाया गया है.

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Published : Apr 5, 2019, 10:52 AM IST

shimla highcourt

शिमलाः प्रदेश हाईकोर्ट ने आरटीओ ऊना कार्यालय का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे आरटीओ नालागढ़ की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है. बता दें कि प्रार्थी ओम प्रकाश ने 28 फरवरी को भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर दर्ज प्राथमिकी के तहत गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी.

5 मार्च को हाईकोर्ट ने आरटीओ को अग्रिम जमानत प्रदान करते हुए उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी. उसके बाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर ने सतर्कता विभाग से स्टेटस रिपोर्ट तलब की थी. रिपोर्ट के अनुसार आरटीओ के खिलाफ 20 मार्च को एक ओर एफआईआर दर्ज की गई थी. जिसमें आरटीओ पर जांच अधिकारी को रिश्वत देकर मामला रफादफा करवाने की कोशिश का आरोप लगाया गया है. उसके पास से मैहतपुर में एक गाड़ी से 10 लाख रुपये भी बरामद किए गए थे.

20 मार्च को दर्ज प्राथमिकी के तहत आरटीओ अभी तक न्यायिक हिरासत में है और प्रार्थी ने उस मामले में नियमित जमानत प्रदान करने की याचिका भी दायर की है. इस याचिका में कोर्ट ने सरकार से 18 अप्रैल तक स्टेटस रिपोर्ट तलब की है. आरटीओ के खिलाफ स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो ऊना में 28 फरवरी को भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 7 व 8 के तहत मामला दर्ज किया गया है, जबकि 20 मार्च को दूसरी प्राथमिकी में उस पर भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 8 व 12 के तहत आरोप लगाए गए हैं.

गौर रहे कि ऊना में सोशल मीडिया में अचानक 5 वीडियो वायरल हुए थे. जिनको आरटीओ कार्यालय का बताया गया था. वहीं, आरोप लगाए गए थे कि फाइल साइन करने की एवज में यहां पैसे लिए जा रहे थे. इसके कुछ ही देर बाद शाम के समय एक व्यक्ति ने विजिलेंस के पास पहुंच कर इस संबंध में शिकायत देते हुए 3 घंटे की वीडियो फुटेज भी दी. इसके बाद विजिलेंस ने भ्रष्टाचार रोधी अधिनियम 2018 की धारा 7 और 8 के तहत मामला दर्ज किया है. 20 मार्च को आरटीओ पर घूस देने की कोशिश के आरोप भी लगे.

शिमलाः प्रदेश हाईकोर्ट ने आरटीओ ऊना कार्यालय का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे आरटीओ नालागढ़ की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है. बता दें कि प्रार्थी ओम प्रकाश ने 28 फरवरी को भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर दर्ज प्राथमिकी के तहत गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी.

5 मार्च को हाईकोर्ट ने आरटीओ को अग्रिम जमानत प्रदान करते हुए उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी. उसके बाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर ने सतर्कता विभाग से स्टेटस रिपोर्ट तलब की थी. रिपोर्ट के अनुसार आरटीओ के खिलाफ 20 मार्च को एक ओर एफआईआर दर्ज की गई थी. जिसमें आरटीओ पर जांच अधिकारी को रिश्वत देकर मामला रफादफा करवाने की कोशिश का आरोप लगाया गया है. उसके पास से मैहतपुर में एक गाड़ी से 10 लाख रुपये भी बरामद किए गए थे.

20 मार्च को दर्ज प्राथमिकी के तहत आरटीओ अभी तक न्यायिक हिरासत में है और प्रार्थी ने उस मामले में नियमित जमानत प्रदान करने की याचिका भी दायर की है. इस याचिका में कोर्ट ने सरकार से 18 अप्रैल तक स्टेटस रिपोर्ट तलब की है. आरटीओ के खिलाफ स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो ऊना में 28 फरवरी को भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 7 व 8 के तहत मामला दर्ज किया गया है, जबकि 20 मार्च को दूसरी प्राथमिकी में उस पर भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 8 व 12 के तहत आरोप लगाए गए हैं.

गौर रहे कि ऊना में सोशल मीडिया में अचानक 5 वीडियो वायरल हुए थे. जिनको आरटीओ कार्यालय का बताया गया था. वहीं, आरोप लगाए गए थे कि फाइल साइन करने की एवज में यहां पैसे लिए जा रहे थे. इसके कुछ ही देर बाद शाम के समय एक व्यक्ति ने विजिलेंस के पास पहुंच कर इस संबंध में शिकायत देते हुए 3 घंटे की वीडियो फुटेज भी दी. इसके बाद विजिलेंस ने भ्रष्टाचार रोधी अधिनियम 2018 की धारा 7 और 8 के तहत मामला दर्ज किया है. 20 मार्च को आरटीओ पर घूस देने की कोशिश के आरोप भी लगे.

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