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पटवारी और नायब तहसीलदार ने दी थी झूठी इनकम रिपोर्ट, HC ने दोनों के खिलाफ जारी किए जांच आदेश - नायब तहसीलदार

न्यायालय ने जिलाधीश सिरमौर को आदेश जारी किए हैं कि वह पटवारी हल्का देवीमानल व नोहरा के तत्कालीन नायब तहसीलदार के खिलाफ जांच करने के पश्चात 10 जनवरी 2020 तक जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष दाखिल करे.

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Published : Jul 12, 2019, 9:15 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की गलत नियुक्ति से जुड़े एक मामले में झूठी वार्षिक आय रिपोर्ट देने वाले हल्का पटवारी व नायब तहसीलदार के खिलाफ जांच करने के आदेश जारी किए हैं. साथ ही न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने प्रार्थी सुनीता की याचिका को 25000 रुपये कॉस्ट सहित खारिज कर दिया. कॉस्ट की राशि निजी तौर पर प्रतिवादी बनाई शिकायतकर्ता को देने के आदेश जारी किए गए हैं.

न्यायालय ने यह पाया कि प्रार्थी ने झूठी रिपोर्ट के आधार पर आंगनवाड़ी केंद्र देवथाना में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पद पर वर्ष 2007 में नौकरी हासिल कर दी थी, जबकि उसकी वार्षिक आय 12000 से अधिक थी. हाईकोर्ट ने यह पाया था कि प्रार्थी का पति होमगार्ड में नौकरी कर रहा था और वह वर्ष 2006 -2007 में प्रतिमाह ₹6300/- ले रहा था. न्यायालय ने यह भी पाया कि हल्का पटवारी देवमानल व नायब तहसीलदार ने झूठी रिपोर्ट बनाकर प्रार्थी सुनीता की सहायता की. इस कारण साक्षत्कार के लिए आयी दूसरी उम्मीदवार शिकायतकर्ता को पात्रता होते हुए भी नौकरी से वंचित होना पड़ा.

न्यायालय ने जिलाधीश सिरमौर को आदेश जारी किए हैं कि वह पटवारी हल्का देवीमानल व नोहरा के तत्कालीन नायब तहसीलदार के खिलाफ जांच करने के पश्चात 10 जनवरी 2020 तक जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष दाखिल करे.

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की गलत नियुक्ति से जुड़े एक मामले में झूठी वार्षिक आय रिपोर्ट देने वाले हल्का पटवारी व नायब तहसीलदार के खिलाफ जांच करने के आदेश जारी किए हैं. साथ ही न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने प्रार्थी सुनीता की याचिका को 25000 रुपये कॉस्ट सहित खारिज कर दिया. कॉस्ट की राशि निजी तौर पर प्रतिवादी बनाई शिकायतकर्ता को देने के आदेश जारी किए गए हैं.

न्यायालय ने यह पाया कि प्रार्थी ने झूठी रिपोर्ट के आधार पर आंगनवाड़ी केंद्र देवथाना में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पद पर वर्ष 2007 में नौकरी हासिल कर दी थी, जबकि उसकी वार्षिक आय 12000 से अधिक थी. हाईकोर्ट ने यह पाया था कि प्रार्थी का पति होमगार्ड में नौकरी कर रहा था और वह वर्ष 2006 -2007 में प्रतिमाह ₹6300/- ले रहा था. न्यायालय ने यह भी पाया कि हल्का पटवारी देवमानल व नायब तहसीलदार ने झूठी रिपोर्ट बनाकर प्रार्थी सुनीता की सहायता की. इस कारण साक्षत्कार के लिए आयी दूसरी उम्मीदवार शिकायतकर्ता को पात्रता होते हुए भी नौकरी से वंचित होना पड़ा.

न्यायालय ने जिलाधीश सिरमौर को आदेश जारी किए हैं कि वह पटवारी हल्का देवीमानल व नोहरा के तत्कालीन नायब तहसीलदार के खिलाफ जांच करने के पश्चात 10 जनवरी 2020 तक जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष दाखिल करे.

शिमला। हिमाचल देश हाईकोर्ट ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की गलत नियुक्ति से जुड़े एक मामले में झूठी वार्षिक आय रिपोर्ट देने वाले हल्का पटवारी व नायब तहसीलदार के खिलाफ जांच करने के आदेश जारी किए हैं। साथ ही न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने प्रार्थी सुनीता की याचिका को 25000 रुपये कॉस्ट सहित खारिज कर दिया। कॉस्ट की राशि निजी तौर पर प्रतिवादी बनाई शिकायतकर्ता को देने के आदेश जारी किए गए हैं। न्यायालय ने यह पाया कि प्रार्थी ने झूठी रिपोर्ट के आधार पर आंगनवाड़ी केंद्र देवथाना में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पद पर वर्ष 2007 में नौकरी हासिल कर दी थी। जबकि उसकी वार्षिक आय 12000 से अधिक थी। हाईकोर्ट ने यह पाया था कि प्रार्थी का पति होमगार्ड में नौकरी कर रहा था और वह वर्ष 2006 -2007 में प्रतिमाह ₹6300/- ले रहा था। न्यायालय ने यह भी पाया कि हल्का पटवारी देवमानल व नायब तहसीलदार ने झूठी रिपोर्ट बनाकर प्रार्थी सुनीता की सहायता की। इस कारण साक्षत्कार के लिए आयी दूसरी उम्मीदवार  शिकायतकर्ता को पात्रता होते हुए भी नौकरी से वंचित होना पड़ा । न्यायालय ने जिलाधीश सिरमोर को आदेश जारी किए हैं कि वह पटवारी हल्का देवीमानल व नोहरा के तत्कालीन नायब तहसीलदार के खिलाफ जांच करने के पश्चात 10 जनवरी 2020 तक जांच रिपोर्ट हाई कोर्ट के समक्ष दाखिल करे।
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