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हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा- बेसहारा पशुओं के लिए और क्या क्या किए जा रहे इंतजाम

जनहित याचिका की सुनवाई के पश्चात न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी और न्यायाधीश ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को आदेश दिए है कि वह शपथपत्र के माध्यम से अदालत को बताए कि सिरमौर, सोलन, ऊना और हमीरपुर में पशु अभ्यारण बनाये जाने बारे कितनी प्रोग्रेस है और कितनी राशी खर्च की जा चुकी है और बाकी जिलों में पशु अभ्यारण्य स्थापित करने बारे क्या कदम उठाए गए हैं.

HC on cow Sanctuary in himachal
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Published : Jul 11, 2019, 11:08 PM IST

शिमला: राज्य सरकार ने शपथपत्र के माध्यम से हाई कोर्ट को बताया है कि बेसहारा पशुओं के रख रखाव के लिए हिमाचल प्रदेश गौवंश संरक्षण और संवर्द्धन अधिनियम 2018 बनाया गया है. इस अधिनियम के तहत प्रदेश के हर जिला में 'पशु अभ्यारण' स्थापित किये जाएंगे, जहां पर बेसहारा पशु, खासतौर पर गाय को सुरक्षित रखा जाएगा. अदालत को बताया गया कि अधिनियम के नियमों के अनुसार सिरमौर, सोलन, ऊना और हमीरपुर में पशु अभ्यारण बनाये जाने के लिए उचित राशी जारी कर दी गई है और प्रदेश के अन्य जिलों में पशु अभ्यारण बनाये जाने के लिये भूमि तलाशने बारे प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं.


जनहित याचिका की सुनवाई के पश्चात न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी और न्यायाधीश ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को आदेश दिए है कि वह शपथपत्र के माध्यम से अदालत को बताए कि सिरमौर, सोलन, ऊना और हमीरपुर में पशु अभ्यारण बनाये जाने बारे कितनी प्रोग्रेस है और कितनी राशी खर्च की जा चुकी है और बाकी जिलों में पशु अभ्यारण्य स्थापित करने बारे क्या कदम उठाए गए हैं.


हाईकोर्ट ने अपने पिछले आदेशों में राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि वह सुनिश्चित करें कि हरेक पशु अभ्यारण में पशु औषधालय, पैरा वेटेरनेरी स्टाफ, पशुओं की समय- समय पर जांच के लिए डॉक्टर, दवाइयां, औजार जिससे जख्मी पशुओं का इलाज हो सके समेत सारी मूलभूत सुविधाएं हो.


हाई कोर्ट ने अपने आदेशों में कहा था कि पशु अभ्यारण में विपरीत मौसम के लिए पशुओं को शेड बनाया जाये और उनके चारे के लिए उचित प्रबंध किया जाए. अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि वह आम जनता को जागरूक करें ताकि लोग बेसहारा पशुओं को पशु अभ्यारण में चारा दान करें.


ज्ञात रहे कि वर्ष 2014 में न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर ने प्रार्थी भारतीय गौवंश संरक्षण परिषद हिमाचल प्रदेश द्वारा जनहित में दायर याचिका राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि प्रदेश की सभी सडकों को 31 दिसंबर 2014 तक बेसहारा पशु मुक्त बनाया जाए.


अदालत ने राज्य सरकार, नगर परिषद, नगर पंचायत, नगर पालिका और ग्राम पंचायतों को आवारा पशुओं के लिए गौसदन और गौशाला बनाए जाने के भी आदेश दिए थे. अदालत ने पूरे प्रदेश में गौहत्या और गौमांस की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया था. अदालत ने पशु पालन विभाग को आदेश दिए थे कि पशुओं को टेग लगाए जाए और पुलिस को आदेश दिए थे कि पशुओं से क्रूरता के कितने मामले दर्ज किये गए और क्या कार्रवाई की गई. अदालत ने इन आदेशों की अक्षरश अनुपालना के लिए प्रदेश के मुख्य सचिव को जिम्मेवार ठहराया था.


हाई कोर्ट के इस निर्णय को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी और सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेशों पर स्थगन आदेश पारित किये थे. पार्थी ने हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेशों की अनुपालना के लिए जनहित में याचिका दायर की है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि वर्ष 2014 में पारित आदेशों की अनुपालना करने में राज्य सरकार नाकाम रही हैं. मामले की पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि वह सुप्रीम कोर्ट में दायर किये गए मामले बारे अदालत को बताये.


गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को बताया गया कि राज्य सरकार बेसहारा पशुओं के रख रखाव बारे राज्य सरकार द्वारा पॉलिसी बनायी जा रही है. इस पॉलिसी के तहत प्रदेश के हरेक जिले में 'पशु अभ्यारण' स्थापित की जाएगी, जहां पर बेसहारा पशु, खासतौर पर गाय को सुरक्षित रखा जाएगा. मामले की सुनवाई 14 अगस्त को निर्धारित की गई है.

शिमला: राज्य सरकार ने शपथपत्र के माध्यम से हाई कोर्ट को बताया है कि बेसहारा पशुओं के रख रखाव के लिए हिमाचल प्रदेश गौवंश संरक्षण और संवर्द्धन अधिनियम 2018 बनाया गया है. इस अधिनियम के तहत प्रदेश के हर जिला में 'पशु अभ्यारण' स्थापित किये जाएंगे, जहां पर बेसहारा पशु, खासतौर पर गाय को सुरक्षित रखा जाएगा. अदालत को बताया गया कि अधिनियम के नियमों के अनुसार सिरमौर, सोलन, ऊना और हमीरपुर में पशु अभ्यारण बनाये जाने के लिए उचित राशी जारी कर दी गई है और प्रदेश के अन्य जिलों में पशु अभ्यारण बनाये जाने के लिये भूमि तलाशने बारे प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं.


जनहित याचिका की सुनवाई के पश्चात न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी और न्यायाधीश ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को आदेश दिए है कि वह शपथपत्र के माध्यम से अदालत को बताए कि सिरमौर, सोलन, ऊना और हमीरपुर में पशु अभ्यारण बनाये जाने बारे कितनी प्रोग्रेस है और कितनी राशी खर्च की जा चुकी है और बाकी जिलों में पशु अभ्यारण्य स्थापित करने बारे क्या कदम उठाए गए हैं.


हाईकोर्ट ने अपने पिछले आदेशों में राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि वह सुनिश्चित करें कि हरेक पशु अभ्यारण में पशु औषधालय, पैरा वेटेरनेरी स्टाफ, पशुओं की समय- समय पर जांच के लिए डॉक्टर, दवाइयां, औजार जिससे जख्मी पशुओं का इलाज हो सके समेत सारी मूलभूत सुविधाएं हो.


हाई कोर्ट ने अपने आदेशों में कहा था कि पशु अभ्यारण में विपरीत मौसम के लिए पशुओं को शेड बनाया जाये और उनके चारे के लिए उचित प्रबंध किया जाए. अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि वह आम जनता को जागरूक करें ताकि लोग बेसहारा पशुओं को पशु अभ्यारण में चारा दान करें.


ज्ञात रहे कि वर्ष 2014 में न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर ने प्रार्थी भारतीय गौवंश संरक्षण परिषद हिमाचल प्रदेश द्वारा जनहित में दायर याचिका राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि प्रदेश की सभी सडकों को 31 दिसंबर 2014 तक बेसहारा पशु मुक्त बनाया जाए.


अदालत ने राज्य सरकार, नगर परिषद, नगर पंचायत, नगर पालिका और ग्राम पंचायतों को आवारा पशुओं के लिए गौसदन और गौशाला बनाए जाने के भी आदेश दिए थे. अदालत ने पूरे प्रदेश में गौहत्या और गौमांस की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया था. अदालत ने पशु पालन विभाग को आदेश दिए थे कि पशुओं को टेग लगाए जाए और पुलिस को आदेश दिए थे कि पशुओं से क्रूरता के कितने मामले दर्ज किये गए और क्या कार्रवाई की गई. अदालत ने इन आदेशों की अक्षरश अनुपालना के लिए प्रदेश के मुख्य सचिव को जिम्मेवार ठहराया था.


हाई कोर्ट के इस निर्णय को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी और सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेशों पर स्थगन आदेश पारित किये थे. पार्थी ने हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेशों की अनुपालना के लिए जनहित में याचिका दायर की है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि वर्ष 2014 में पारित आदेशों की अनुपालना करने में राज्य सरकार नाकाम रही हैं. मामले की पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि वह सुप्रीम कोर्ट में दायर किये गए मामले बारे अदालत को बताये.


गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को बताया गया कि राज्य सरकार बेसहारा पशुओं के रख रखाव बारे राज्य सरकार द्वारा पॉलिसी बनायी जा रही है. इस पॉलिसी के तहत प्रदेश के हरेक जिले में 'पशु अभ्यारण' स्थापित की जाएगी, जहां पर बेसहारा पशु, खासतौर पर गाय को सुरक्षित रखा जाएगा. मामले की सुनवाई 14 अगस्त को निर्धारित की गई है.

शिमला। राज्य सरकार ने शपथपत्र के माध्यम से हाई कोर्ट को बताया है कि बेसहारा पशुओं के  रख रखाव के लिए हिमाचल प्रदेश गौवंश संरक्षण औऱ संवर्द्धन अधिनियम 2018 बनाया गया है। इस अधिनियम के तहत   प्रदेश के हर जिला में “पशु अभ्यारण” स्थापित किये जायेंगे, जहाँ पर बेसहारा पशु, खासतौर पर गाय को सुरक्षित रखा जाएगा/ अदालत को बताया गया कि अधिनियम के नियमों के अनुसार सिरमौर,  सोलन, ऊना , और हमीरपुर में  “पशु अभ्यारण” बनाये जाने के लिए उचित राशी जारी कर दी गई है और प्रदेश के अन्य जिलों में “पशु अभ्यारण” बनाये जाने के लिये भूमि तलाशने बारे प्रभावी कदम उठाए जा रहे है।  जनहित याचिका की सुनवाई के पश्चात् न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी और  न्यायाधीश ज्योत्सना रेवाल दुआ की  खंडपीठ ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को  आदेश दिए कि वह शपथपत्र के माध्यम से अदालत को बताए कि सिरमौर,  सोलन, ऊना , और हमीरपुर में  “पशु अभ्यारण” बनाये जाने बारे कितनी प्रोग्रेस है तथा कितनी राशी खर्च की जा चुकी है और बाकी जिलो में पशु अभ्यारण्य स्थापित करने बारे क्या कदम उठाए गए है। 
हाई कोर्ट ने अपने पिछले आदेशो में राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि वह सुनिश्चित करे कि हरेक पशु अभ्यारण में सारी मूलभूत सुविधाएँ हो जैसे पशु औषधालय, पैरा वेटेरनेरी स्टाफ, पशुओ की समय- समय पर जाँच के लिए डॉक्टर, दवाइयां, औजार जिससे जख्मी पशुओं का इलाज हो सके। हाई कोर्ट ने अपने आदेशो में कहा था कि पशु अभ्यारण में विपरीत मौसम के लिए पशुओ को शेड बनाया जाये और उनके चारे के लिए उचित प्रबंध किया जाए/ अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिए थे  कि वह आम जनता को जागरूक करे ताकि लोग आवारा पशुओ को  पशु अभ्यारण में  चारा दान करे। 

ज्ञात रहे कि वर्ष 2014 में न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर ने प्रार्थी भारतीय गौवंश रक्षण परिषद हिमाचल प्रदेश द्वारा जनहित में दायर याचिका राज्य सरकार को  आदेश दिए थे कि प्रदेश की सभी सडको को 31 दिसंबर 2014तक  आवारा पशु मुक्त बनाया जाए/ अदालत ने राज्य सरकार, नगर परिषद, नगर पंचायत, नगर पालिका और ग्राम पंचायतो को आवारा पशुओ के लिए गौसदन और गौशाला बनाए जाने के भी आदेश दिए थे/ अदालत ने पुरे प्रदेश में गौहत्या और गौमांस की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया था/ अदालत ने पशु पालन विभाग को आदेश दिए थे कि पशुओ को टेग लगाए जाए और पुलिस को आदेश दिए थे कि पशुओ से क्रूरता के कितने मामले दर्ज किये गए और क्या कार्यवाही की गई/ अदालत ने इन आदेशो की अक्षरश अनुपालना के लिए प्रदेश के मुख्य सचिव को जिम्मेवार ठहराया था/

हाई कोर्ट के इस निर्णय को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी और सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेशो पर स्थगन आदेश पारित किये थे/

पार्थी ने  हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेशो की अनुपालना के लिए जनहित में याचिका दायर की है/ याचिका में आरोप लगाया गया है कि वर्ष 2014 में पारित आदेशो की अनुपालना करने में राज्य सरकार नाकाम रही है/ मामले की पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि वह सुप्रीम कोर्ट में दायर किये गए मामले बारे अदालत को बताये/ आज मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को बताया गया कि राज्य सरकार आवारा पशुओ के रख रखाव बारे राज्य सरकार द्वारा पॉलिसी बनायी जा रही है/ इस पॉलिसी के तहत प्रदेश के हरेक जिले में “पशु अभ्यारण” स्थापित की जाएगी जहाँ पर आवारा पशु, खासतौर पर गाय को सुरक्षित रखा जाएगा/ मामले की सुनवाई 14 अगस्त  को निर्धारित की गई है/ 
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