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स्वतंत्रता सेनानी की पत्‍नी को नहीं दिया वार्ड ऑफ फ्रीडम फाइटर प्रमाणपत्र, HC ने प्रदेश सरकार को जारी किया नोटिस - हाईकोर्ट हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने स्वतंत्रता सेनानी की विवाहित पौत्री को वार्ड ऑफ फ्रीडम फाइटर प्रमाणपत्र जारी न करने के लिए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है. अब इस मामले पर 30 अप्रैल को होगी सुनवाई.

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
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Published : Apr 8, 2019, 7:36 PM IST

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने स्वतंत्रता सेनानी की विवाहित पौत्री को वार्ड ऑफ फ्रीडम फाइटर प्रमाणपत्र जारी न करने के लिए दायर याचिका में राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है. मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने प्रार्थी मीनाक्षी द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद सरकार को 3 हफ्तों में याचिका का जवाब दायर करने के आदेश दिए हैं. मामले पर सुनवाई 30 अप्रैल को होगी.

HC issues notice to state government
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

प्रार्थी मीनाक्षी का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेशानुसार वे भी वार्ड ऑफ फ्रीडम फाइटर के आरक्षित पदों के लिए पात्रता रखती हैं. इसी पात्रता के मद्देनजर उन्होंने टीजीटी आर्ट्स के पद पर भर्ती के लिए आवेदन किया था. जब उन्होंने एसडीएम नादौन को फ्रीडम फाइटर के वार्ड के रूप में जरूरी प्रमाणपत्र जारी करने का आग्रह किया तो उन्होंने ये प्रमाणपत्र जारी करने से इंकार कर दिया.

प्रमाणपत्र जारी न करने का कारण बताते हुए सरकार की ओर से प्रार्थी को बताया गया था कि हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. ज्ञात रहे कि हाईकोर्ट की खंडपीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि सरकार इस तरह का आरक्षण देते समय लैंगिक आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता. सरकार की नीति के अनुसार प्रावधान था कि फ्रीडम फाइटर के वैवाहिक पुरूष 2 फीसदी आरक्षण के लिए पात्र हैं, जबकि ये पात्रता महिलाओं के लिए नहीं थी.

हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इसे भेदभावपूर्ण ठहराते हुए विवाहित महिलाओं को भी उक्त आरक्षण के लिए पात्र माना है. प्रार्थी के अनुसार हाईकोर्ट की खंडपीठ के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का कोई स्थगन आदेश जारी नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि केवल मामला सुप्रीम कोर्ट में दायर करने के आधार पर उसे हाईकोर्ट के फैसले के तहत जरूरी सर्टिफिकेट जारी होने से नहीं रोका जा सकता.

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने स्वतंत्रता सेनानी की विवाहित पौत्री को वार्ड ऑफ फ्रीडम फाइटर प्रमाणपत्र जारी न करने के लिए दायर याचिका में राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है. मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने प्रार्थी मीनाक्षी द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद सरकार को 3 हफ्तों में याचिका का जवाब दायर करने के आदेश दिए हैं. मामले पर सुनवाई 30 अप्रैल को होगी.

HC issues notice to state government
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

प्रार्थी मीनाक्षी का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेशानुसार वे भी वार्ड ऑफ फ्रीडम फाइटर के आरक्षित पदों के लिए पात्रता रखती हैं. इसी पात्रता के मद्देनजर उन्होंने टीजीटी आर्ट्स के पद पर भर्ती के लिए आवेदन किया था. जब उन्होंने एसडीएम नादौन को फ्रीडम फाइटर के वार्ड के रूप में जरूरी प्रमाणपत्र जारी करने का आग्रह किया तो उन्होंने ये प्रमाणपत्र जारी करने से इंकार कर दिया.

प्रमाणपत्र जारी न करने का कारण बताते हुए सरकार की ओर से प्रार्थी को बताया गया था कि हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. ज्ञात रहे कि हाईकोर्ट की खंडपीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि सरकार इस तरह का आरक्षण देते समय लैंगिक आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता. सरकार की नीति के अनुसार प्रावधान था कि फ्रीडम फाइटर के वैवाहिक पुरूष 2 फीसदी आरक्षण के लिए पात्र हैं, जबकि ये पात्रता महिलाओं के लिए नहीं थी.

हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इसे भेदभावपूर्ण ठहराते हुए विवाहित महिलाओं को भी उक्त आरक्षण के लिए पात्र माना है. प्रार्थी के अनुसार हाईकोर्ट की खंडपीठ के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का कोई स्थगन आदेश जारी नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि केवल मामला सुप्रीम कोर्ट में दायर करने के आधार पर उसे हाईकोर्ट के फैसले के तहत जरूरी सर्टिफिकेट जारी होने से नहीं रोका जा सकता.

प्रदेश हाईकोर्ट ने स्वतंत्रता सेनानी की विवाहित पौत्री को वार्ड ऑफ फ्रीडम फाइटर प्रमाणपत्र जारी न करने को लेकर दायर याचिका में राज्य सरकार को नोटिस जारी किया। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने प्रार्थी मीनाक्षी द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात् सरकार को 3 सप्ताह के भीतर जवाब याचिका का जवाब दायर करने के आदेश दिए। प्रार्थी मीनाक्षी के अनुसार हाईकोर्ट के आदेशानुसार वह भी वार्ड ऑफ फ्रीडम फाइटर के लिए आरक्षित पदों के लिए पात्रता रखती है। इसी पात्रता के मद्देनजर उसने टीजीटी आर्ट्स के पद पर भर्ती के लिए आवेदन किया था। जब उसने एसडीएम नादौन को फ्रीडम फाइटर के वार्ड के रूप में जरूरी प्रमाणपत्र जारी करने का आग्रह किया तो उसने यह प्रमाणपत्र जारी करने से इनकार कर दिया। प्रमाणपत्र जारी न करने का कारण बताते हुए सरकार की ओर से प्रार्थी को बताया गया था कि हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी है। ज्ञात रहे कि हाईकोर्ट की खंडपीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि सरकार इस तरह का आरक्षण देते समय लैंगिक आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता। सरकार की नीति के अनुसार प्रावधान था कि फ्रीडम फाइटर के वैवाहिक पुरूष 2 फीसदी आरक्षण के लिए पात्र है जबकि यह पात्रता महिलाओं के लिए नहीं थी। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इसे भेदभावपूर्ण ठहराते हुए विवाहित महिलाओं को भी उक्त आरक्षण के लिए पात्र माना है। प्रार्थी के अनुसार हाईकोर्ट की खंडपीठ के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का कोई स्थगन आदेश जारी नहीं हुआ है अतः केवल मामला सुप्रीम कोर्ट में दायर करने के आधार पर उसे हाईकोर्ट के फैसले के तहत जरूरी सर्टिफिकेट जारी होने से नहीं रोका जा सकता। मामले पर सुनवाई 30 अप्रैल को होगी।
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पुलिस कर्मियों की टोपी बदलने वाले सरकारी आदेश पर हाईकोर्ट ने दिए फिलहाल यथा स्थिति बरकरार रखने के आदेश।

प्रदेश उच्च न्यायालय ने हिमाचल पुलिस कर्मियों की टोपी के रंग को बदलने वाले सरकारी आदेशों पर 6 मई तक यथा स्थिति बरकरार रखने के आदेश जारी किए है। न्यायाधीश चन्द्र भुसन बारोवालिया ने हिमाचल प्रदेश पुलिस वेलफेयर संघ द्वारा दायर आवेदन की सुनवाई के दौरान पारित किए किए जिसके तहत राज्य सरकार द्वारा 12 फरवरी को जारी सरकारी आदेशो पर रोक लगाने की गुहार लगाई है। इन सरकारी आदेशो के तहत फिर से टोपी का रंग बदलने के आदेश जारी किए गए है। न्यायालय ने राज्य सरकार को आवेदन का जबाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया दिया है। प्रार्थी संस्था के अनुसार विभाग पुलिस कर्मियों के लिए टोपियां नही खरीदता है। पुलिस कर्मियों को खुद टोपियां खरीदनी पड़ती है। इस साल के लिए पुलिस कर्मियों ने पहले ही टोपियां खरीद ली है। 12 फरवरी को जारी सरकारी आदेशो से प्रदेश के 15000 के लगभग पुलिस कर्मियों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि प्रार्थी संस्था ने पहले ही अपनी याचिका में हिमाचल प्रदेश के गृह विभाग द्वारा जारी आदेश को यह कहकर चुनोती दी है कि  होम गॉर्ड,  सिक्योरिटी गार्ड व्  फारेस्ट गॉर्ड की वर्दी की टोपी का रंग खाखी रखा गया है। जो की पुलिस व्  इन  गार्ड्स को पहचानने मे मुश्किल पैदा करता है। इसके अलावा इससे पुलिस के सीनियर व् जूनियर पुलिस अधिकारियों के बीच भेदभाव पैदा होगा और यह भारतीय सविंधान के अनुच्छेद 14 का उलघ्घन होगा।
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