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हिमाचल के पूर्व सचिव पी मित्रा से जुड़े मामले में HC ने खारिज की ये याचिका, जानें क्या है पूरा मामला - धारा 118

हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव पी मित्रा के मामले में पंचकूला के कारोबारी विनोद मित्तल के वॉइस सैंपल व पॉलीग्राफ टेस्ट करवाने के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया.

HIgh court
हाईकोर्ट शिमला.
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Published : Jun 24, 2020, 8:19 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव पी मित्रा से जुड़े मामले में पंचकूला के कारोबारी विनोद मित्तल के वॉइस सैंपल व पॉलीग्राफ टेस्ट करवाने के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. क्या आरोपी को वॉइस सैंपल देने के लिए कानूनी बाध्य किया जा सकता है या नहीं, यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित था. इस कारण प्रदेश हाईकोर्ट ने विनोद मित्तल के वॉइस सैंपल और पॉलीग्राफ टेस्ट लेने के निचली अदालत के आदेशों पर रोक लगा रखी थी.

सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ की ओर से पारित फैसले के बाद यह स्पष्ट हो गया कि जनहित के दृष्टिगत आरोपी को वॉइस सैंपल व पॉलीग्राफ जैसे टेस्ट के लिए बाध्य किया जा सकता है. निजता के मौलिक अधिकार के कारण न्यायालय को इस तरह के आदेश पारित करने से रोका नहीं जा सकता. हाईकोर्ट के न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने याचिका खारिज करते हुए प्रार्थी को आदेश दिए कि वह जांच अधिकारी की ओर से तय स्थान व समय पर वॉइस सैंपल व पॉलीग्राफ टेस्ट देने के लिए हाजिर हो.

उल्लेखनीय है कि उक्त कथित भ्रष्टाचार के मामले में तत्कालीन प्रधान सचिव (राजस्व) पी मित्रा भी आरोपी हैं. करीब 9 साल पुराने इस मामले में विजिलेंस ने केस दर्ज किया है. विजिलेंस के पास आरोपियों के बीच हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग है. इसमें पी मित्रा के अलावा विनोद मित्तल और अन्य व्यक्ति के बीच बातचीत की आशंका जताई गई है. इसकी पुष्टि के लिए वॉइस सैंपल के साथ पॉलीग्राफ टेस्ट करवाया जाना है.

गौरतलब है कि हिमाचल में गैर हिमाचलियों को भू राजस्व अधिनियम की धारा 118 के तहत जमीन खरीदने की अनुमति लेना जरूरी है. अभियोजन पक्ष के अनुसार 21 मार्च 2011 को आरोपी विनोद मित्तल राजस्व के आला अधिकारियों को प्रभावित करने के लिए 5 लाख रुपये लेकर शिमला आया, लेकिन उसे पुराने बस अड्डा शिमला में विजिलेंस ने पकड़ लिया था.

जांच के दौरान विजिलेंस ने आरोपियों की आपसी बातचीत के बारे में पुख्ता सबूत इकट्ठे किये और उन्हें साबित करने के लिए आरोपी विनोद मित्तल के वॉइस सैंपल व पॉलीग्राफ टेस्ट की इज्जात के लिए निचली अदालत में आवेदन किया था, जिसे निचली अदालत ने स्वीकारते हुए विजिलेंस को विनोद मित्तल का वॉइस सैंपल और पॉलीग्राफ टेस्ट लेने की अनुमति दे दी थी.

ये भी पढ़ें- सेब सीजन के दौरान बागवानों की हर संभव मदद करेगी प्रदेश सरकारः शिक्षा मंत्री

शिमला: हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव पी मित्रा से जुड़े मामले में पंचकूला के कारोबारी विनोद मित्तल के वॉइस सैंपल व पॉलीग्राफ टेस्ट करवाने के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. क्या आरोपी को वॉइस सैंपल देने के लिए कानूनी बाध्य किया जा सकता है या नहीं, यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित था. इस कारण प्रदेश हाईकोर्ट ने विनोद मित्तल के वॉइस सैंपल और पॉलीग्राफ टेस्ट लेने के निचली अदालत के आदेशों पर रोक लगा रखी थी.

सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ की ओर से पारित फैसले के बाद यह स्पष्ट हो गया कि जनहित के दृष्टिगत आरोपी को वॉइस सैंपल व पॉलीग्राफ जैसे टेस्ट के लिए बाध्य किया जा सकता है. निजता के मौलिक अधिकार के कारण न्यायालय को इस तरह के आदेश पारित करने से रोका नहीं जा सकता. हाईकोर्ट के न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने याचिका खारिज करते हुए प्रार्थी को आदेश दिए कि वह जांच अधिकारी की ओर से तय स्थान व समय पर वॉइस सैंपल व पॉलीग्राफ टेस्ट देने के लिए हाजिर हो.

उल्लेखनीय है कि उक्त कथित भ्रष्टाचार के मामले में तत्कालीन प्रधान सचिव (राजस्व) पी मित्रा भी आरोपी हैं. करीब 9 साल पुराने इस मामले में विजिलेंस ने केस दर्ज किया है. विजिलेंस के पास आरोपियों के बीच हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग है. इसमें पी मित्रा के अलावा विनोद मित्तल और अन्य व्यक्ति के बीच बातचीत की आशंका जताई गई है. इसकी पुष्टि के लिए वॉइस सैंपल के साथ पॉलीग्राफ टेस्ट करवाया जाना है.

गौरतलब है कि हिमाचल में गैर हिमाचलियों को भू राजस्व अधिनियम की धारा 118 के तहत जमीन खरीदने की अनुमति लेना जरूरी है. अभियोजन पक्ष के अनुसार 21 मार्च 2011 को आरोपी विनोद मित्तल राजस्व के आला अधिकारियों को प्रभावित करने के लिए 5 लाख रुपये लेकर शिमला आया, लेकिन उसे पुराने बस अड्डा शिमला में विजिलेंस ने पकड़ लिया था.

जांच के दौरान विजिलेंस ने आरोपियों की आपसी बातचीत के बारे में पुख्ता सबूत इकट्ठे किये और उन्हें साबित करने के लिए आरोपी विनोद मित्तल के वॉइस सैंपल व पॉलीग्राफ टेस्ट की इज्जात के लिए निचली अदालत में आवेदन किया था, जिसे निचली अदालत ने स्वीकारते हुए विजिलेंस को विनोद मित्तल का वॉइस सैंपल और पॉलीग्राफ टेस्ट लेने की अनुमति दे दी थी.

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