शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने धोखाधड़ी के आरोपी पूर्व डीजीपी के बेटे अमिल मन्हास की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है. न्यायाधीश अनूप चिटकारा ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि जांच को अंजाम तक पहुंचाने के लिए प्रार्थी की हिरासत में पूछताछ जरूरी है.
कोर्ट ने कहा कि जांच में आबकारी विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत की जांच भी करनी चाहिए, जिसके लिए फोरेंसिक ऑडिट की जरूरत भी होगी. मन्हास पर राज्य सतर्कता व भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो थाना ऊना में भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 465, 467, 471 और 34 व इन्फॉर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी अधिनियम की धारा 61 के तहत पांच सितम्बर को प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
उल्लेखनीय है कि ऑडिट के दौरान पाया गया था कि शराब फर्मों के लाइसेंस धारक रोहित कुमार ने जमा किये गए ई चालान का सत्यापन नहीं हो पा रहा है. सत्यापन के लिए सौंपे गए ई चालान भी फर्जी पाए गए. जांच में ये भी पाया गया है कि अमिल मन्हास ने जो चेक दिया था वो बाउंस हो गया है. बता दें कि ऊना में एक्साइज विभाग के साथ शराब की दो फर्मों पर करीब दो करोड़ 63 लाख की धोखाधड़ी का मामला सामने आया था. इस मामले में एक्साइज विभाग ने विजिलेंस में मामला दर्ज करवाया है.