शिमला: सत्तर लाख की आबादी वाले पहाड़ी राज्य हिमाचल में 50 हजार से अधिक गैर सरकारी संस्थाएं युवक मंडल सोसाइटी आदी सक्रिय हैं. इनपर निगरानी के लिए एसडीएम, डीसी के अलावा राज्य स्तर पर रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव सोसाइटीज के रूप में व्यवस्था है.
हालांकि हिमाचल प्रदेश में बड़े स्तर पर काम करने वाली एनजीओ की संख्या कम है, लेकिन समाजसेवा महिला सशक्तिकरण बाल अधिकार आदि विषयों पर सक्रिय संस्थाएं उल्लेखनीय संख्या में हैं. कई संस्थाएं अनाथालय और वृद्ध आश्रम भी चला रही हैं.
आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 48167 एनजीओ पंजीकृत हैं. इसके अलावा 5038 को-ऑपरेटिव सोसाइटी और 3,869 युवक मंडल और 5,038 महिला मंडल भी पंजीकृत हैं. वहीं, विदेशों से मदद लेने वाले 160 एनजीओ सक्रिय हैं.
हिमाचल में धोखाधड़ी पर हो चुके हैं केस
प्रदेश में कुछ एनजीओ युवाओं को नौकरी के नाम पर झांसा देने में लिप्त पाए गए. शिमला की ही एक संस्था पर हजारों नौ जवानों को नौकरी का झांसा देकर ठगने का आरोप लगा था. एकीकृत ग्रामीण विकास संस्थान नामक संस्था ने कुछ समय पहले 50 हजार युवाओं से धोखाधड़ी की थी.
संस्था ने पंचायतों में नौकरी लगाने का झांसा दिया था. इस मामले में शिमला के तहत ढली थाना में एफआईआर हुई थी कई लोग निजी क्षेत्र में लगी लगाई नौकरी छोड़कर संस्था से जुड़े थे. वे भी बाद में ठगी का शिकार हो गए. इसी तरह महिला स्वच्छता के क्षेत्र में सक्रिय एक संस्था से जुड़ा धोखाधड़ी का मामला सामने आया था.
हमीरपुर के बड़सर में रहने वाले व्यक्ति पर आरोप लगे थे. हालांकि इस मामले में सीधे-सीधे संस्था दोषी नहीं पाई गई. इस मामले की भी जांच चल रही है. हमीरपुर में ही एक और मामला सामने आया था जिसमें दिल्ली के एक ट्रस्ट ने हिमाचल के डेढ़ हजार लोगों से ठगी की थी. दिल्ली की संस्था ने हमीरपुर में कार्यालय खोला था और ठगी करने के बाद ताला लगाकर फरार हो गए थे. इस मामले में हमीरपुर थाना में केस दर्ज हुआ था.
कई संस्थाएं कर रही बेहतर काम
हिमाचल में कई संस्थाएं जनसेवा के क्षेत्र में बेहतर काम कर रही हैं. शिमला की गैर सरकारी संस्था ऑलमाइटी ब्लैसिंग्स अस्पताल में लंगर लगाती है और साथ ही कैंसर के मरीजों के लिए निशुल्क एंबुलेंस सुविधा दे रही है.
इसी तरह सुंदरनगर की एक संस्था बुजुर्ग लोगों और बेसहारा बच्चों को संभाल रही है. इस संस्था में पले-बढ़े बच्चे अच्छी नौकरियों में लगे हैं. हिमाचल में सबसे अच्छा काम महिला स्वयं सहायता समूह कर रहे हैं. कई युवक मंडल भी बेहतर दिशा में सक्रिय है.
विदेशी फंडिड संस्थाओं पर केंद्र करता है निगरानी
वैसे तो हिमाचल प्रदेश में कोऑपरेटिव सोसाइटीज के पंजीकरण नियम हैं और निगरानी का तंत्र भी, लेकिन विदेश से फंड पाने वाली संस्थाओं पर केंद्र सरकार निगरानी रखती है. हिमाचल में तिब्बती मूल के बहुत लोग रहते हैं और कुछ संस्थाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी काम करती हैं.
ऐसी संस्थाओं में धोखाधड़ी के मामले सामने आते रहते हैं. कुछ समय पहले हिमाचल में चल रही 23 एनजीओ का फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (एफसीआरए) के तहत पंजीकरण निरस्त हो चुका है.
23 एनजीओ का पंजीकरण रद्द किया गया है
समय से रिटर्न न भरने और अनियमितताओं पाए जाने की स्थिति में केंद्र सरकार की ओर से उक्त एनजीओ की एफसीआरए रद्द कर दी है. प्रदेश सरकार के अधिकारियों के अनुसार प्रदेश में काम करने वाले एनजीओ को हर साल कितनी आर्थिक मदद मिल रही है. इसकी प्रदेश के पास कोई जानकारी नहीं है. इनमें से 23 एनजीओ का पंजीकरण रद्द किया गया है.
हिमाचल में विदेशी फंड से पोषित लगभग 150 संस्थाओं पर भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने शिकंजा कसा था केंद्र ने शर्त लगाई है कि ये संस्थाएं 20 हजार रुपये से ऊपर का कोई भी भुगतान कैश से नहीं कर सकेंगी. इन्हें चेक या डिमांड ड्राफ्ट का इस्तेमाल करना होगा.
खर्च पर भी नई शर्त
हिमाचल की 47 तिब्बती, मिशनरी संस्थाओं और एनजीओ को तो तीन साल का वार्षिक रिटर्न नहीं देने पर गृह मंत्रालय से पहले ही नोटिस जारी हो चुके हैं. अब इनके खर्च पर भी नई शर्त लगा दी है.
देश का एक छोटा सा राज्य होने के बावजूद हिमाचल के एनजीओ को विश्व के तमाम देशों की ओर से बड़े पैमाने पर आर्थिक मदद की जा रही है. पड़ोसी राज्य जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड से अधिक रकम हिमाचल प्रदेश को मिल रही है. केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से तैयार की गई सूची में इसका जिक्र है. चूंकि ये एक्शन केंद्र के स्तर पर होता है लिहाजा प्रदेश के अधिकारियों के पास इसकी सूचना नहीं है.
वर्ष | एनजीओ की संख्या | राशि |
2010-2011 | 106 | 1.28 अरब |
2011-2012 | 112 | 1.25 अरब |
2012-2013 | 82 | 1.72 अरब |
2013-2014 | 06 | 63 लाख |
हिमाचल प्रदेश में तीन स्तर पर संस्थाओं का पंजीकरण और निगरानी होती है. संस्थाओं को पंजीकृत करने के लिए विभाग की वेबसाइट पर भी आवेदन किए जा सकते हैं. सहकारिता मंत्री सुरेश भारद्वाज का कहना है कि संस्थाओं की निगरानी का फूल प्रूफ तंत्र है.
हर स्तर पर निगरानी
उपमंडल स्तर पर काम करने वाली संस्थाओं को एसडीएम देखते हैं और जिला स्तर की संस्थाओं की गतिविधियों को डीसी मॉनिटर करते हैं. इसी तरह प्रदेश स्तर पर रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव सोसाइटी का रोल रहता है. उन्होंने कहा कि सरकार हर स्तर पर निगरानी रखती है कि यहां सक्रिय संस्थाएं धोखाधड़ी ना कर पाएं. साथ ही इनकी फंडिंग पर भी नजर रखी जाती है.
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