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KNH में ठप हुई ग्लूकोज 75 की सप्लाई, गर्भवती महिलाओं को शुगर टेस्ट में हो रही परेशानी - Kamla nehru hospital

केएनएच के सिविल सप्लाई की दुकान पर शुगर का टेस्ट करने के लिए काम आने वाले ग्लूकाेज 75 की सप्लाई ठप हाे गई है. यह टेस्ट 24 से 28 हफ्ते की गर्भावस्था के बीच कराया जाता है. सप्लाई न होने की वजह से गर्भवती महिलाओं का डायबिटिज का टेस्ट नहीं हाे पा रहा है.

Glucose 75 test supply stalled at Kamla nehru hospital in shimla
KNH में ठप हुई प्रेगनेंसी के दौरान जांच करने वाला ग्लूकाेज 75 टेस्ट की सप्लाई
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Published : Feb 18, 2021, 3:45 PM IST

शिमलाः प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं में शुगर का खतरा बढ़ जाता है. इसके लिए गर्भ के 24 से 28 सप्ताह के बीच हर गर्भवती महिला का डायबिटीज टेस्ट होता है.

इस टेस्ट को करने के लिए जीटीटी (ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट) या ग्लूकोज-75 का टेस्ट किया जाता है, लेकिन प्रदेश के एकमात्र मातृ-शिशु अस्पताल केएनएच में सिविल सप्लाई की दुकानों में ग्लूकोज-75 की सप्लाई नहीं हो रही है, पिछले कई दिनों से यहां महिलाओं को टेस्ट करवाने के लिए ग्लूकोज नहीं मिल रहा है. इससे यहां पर अब महिलाओं के शुगर टेस्ट नहीं हो पा रहे हैं.

सरकार ने ग्लूकोज-75 के लिए केवल सिविल सप्लाई काे ही अधिकृत किया है, लेकिन अब यहां निजी मेडिसन शाॅप पर भी ग्लूकाेज नहीं मिल रहा है. ऐसे में अब महिलाओं के लिए परेशानी खड़ी हाे गई है. यदि समय पर डायबिटिज का पता नहीं चलता, ताे इससे बच्चाें काे डायबिटिज हाेने का खतरा बढ़ जाता है.

क्या है जीटीटी या ग्लूकाेज 75 टेस्ट

जीटीटी यानी ग्लूकोज टोलरेंस टेस्ट एक प्रकार का टेस्ट है, जिसमें 75 ग्राम ग्लूकोज का प्रयोग करके 1 व 2 घंटों के बाद के ब्लड में ग्लूकोज स्तर को मापा जाता है. इस टेस्ट से महिलाओं काे काेई खतरा नहीं हाेता और टेस्ट के बाद भी काेई परेशानी नहीं आती.

यह टेस्ट आमतौर पर 24 से 28 हफ्ते की गर्भावस्था के बीच कराया जाता है. हालांकि अगर पहले से गर्भवती महिला काे डायबिटिज है, ताे यह टेस्ट पहले करवाने के लिए कहा जाता है. ऐसा 16 से 18 सप्ताह की गर्भावस्था पर किया जाता है और फिर 24 से 28 सप्ताह की प्रेगनेंसी में यह दोबारा कराया जाता है.

इसलिए नहीं आ रही सप्लाई

सिविल सप्लाई ने ग्लूकाेज की सप्लाई के लिए एक कंपनी से टेंडर किए हैं. यही कंपनी ग्लूकाेज 75 प्रदेश के सभी अस्पतालाें में सप्लाई करती है. माैजूदा समय में कंपनी के ग्लूकाेज की डिमांड पूरी नहीं हाे पा रही है. ऐसे में इसका असर सप्लाई पर पड़ रहा है.

केएनएच अस्पताल की सिविल सप्लाई की दुकानाें में बीते कई दिनाें से इसकी सप्लाई नहीं आई है. इससे गर्भवती महिलाओं का डायबिटिज का टेस्ट नहीं हाे पा रहा है. यहां तक कि ग्लूकाेज 75 अन्य दुकानाें पर भी नहीं मिल रहा है, क्याेंकि इसकी सही दर अन्य मेडिसन शाॅप पर मिलना मुश्किल रहता है.

राेजाना आती है 500 से ज्यादा महिलाएं

केएनएच अस्पताल में राेजाना 500 से ज्यादा गर्भवती महिलाएं जांच के लिए आती हैं. इसमें ज्यादात्तर महिलाओं काे जीटीटी टेस्ट करवाने के लिए कहा जाता है. यह महिलाएं सिविल सप्लाई की दुकानाें से 75 ग्लूकाेज खरीदती हैं, जिसके बाद उनका टेस्ट किया जाता है. अब यहां ग्लूकाेज न हाेने से दिक्कतें बढ़ गई हैं. राेजाना कई महिलाएं यहां ग्लूकाेज लेने के लिए पहुंच रही है, लेकिन उन्हें यहां से निराश हाेकर लाैटना पड़ रहा है.

वेंडर को दिए हैं सप्लाई के आदेश

क्षेत्रीय प्रबन्धक रमाकांत चौहन ने कहा कि हमारे पास प्रेगनेंसी टेस्ट के ग्लुगोज की सप्लाई के लिए शिमला में एक ही वेंडर है. उसे सप्लाई के आदेश दे दिए गए हैं. अगले दो दिनों में सप्लाई मिल जाएगी. किसी भी गर्भवती महिला को परेशानी नहीं आने दी जाएगी.

ये भी पढ़ें- यहां बस स्टॉप पर लोगों को नहीं मिल रही सुविधा, सरकार से सुविधाएं मुहैया करवाने की मांग

शिमलाः प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं में शुगर का खतरा बढ़ जाता है. इसके लिए गर्भ के 24 से 28 सप्ताह के बीच हर गर्भवती महिला का डायबिटीज टेस्ट होता है.

इस टेस्ट को करने के लिए जीटीटी (ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट) या ग्लूकोज-75 का टेस्ट किया जाता है, लेकिन प्रदेश के एकमात्र मातृ-शिशु अस्पताल केएनएच में सिविल सप्लाई की दुकानों में ग्लूकोज-75 की सप्लाई नहीं हो रही है, पिछले कई दिनों से यहां महिलाओं को टेस्ट करवाने के लिए ग्लूकोज नहीं मिल रहा है. इससे यहां पर अब महिलाओं के शुगर टेस्ट नहीं हो पा रहे हैं.

सरकार ने ग्लूकोज-75 के लिए केवल सिविल सप्लाई काे ही अधिकृत किया है, लेकिन अब यहां निजी मेडिसन शाॅप पर भी ग्लूकाेज नहीं मिल रहा है. ऐसे में अब महिलाओं के लिए परेशानी खड़ी हाे गई है. यदि समय पर डायबिटिज का पता नहीं चलता, ताे इससे बच्चाें काे डायबिटिज हाेने का खतरा बढ़ जाता है.

क्या है जीटीटी या ग्लूकाेज 75 टेस्ट

जीटीटी यानी ग्लूकोज टोलरेंस टेस्ट एक प्रकार का टेस्ट है, जिसमें 75 ग्राम ग्लूकोज का प्रयोग करके 1 व 2 घंटों के बाद के ब्लड में ग्लूकोज स्तर को मापा जाता है. इस टेस्ट से महिलाओं काे काेई खतरा नहीं हाेता और टेस्ट के बाद भी काेई परेशानी नहीं आती.

यह टेस्ट आमतौर पर 24 से 28 हफ्ते की गर्भावस्था के बीच कराया जाता है. हालांकि अगर पहले से गर्भवती महिला काे डायबिटिज है, ताे यह टेस्ट पहले करवाने के लिए कहा जाता है. ऐसा 16 से 18 सप्ताह की गर्भावस्था पर किया जाता है और फिर 24 से 28 सप्ताह की प्रेगनेंसी में यह दोबारा कराया जाता है.

इसलिए नहीं आ रही सप्लाई

सिविल सप्लाई ने ग्लूकाेज की सप्लाई के लिए एक कंपनी से टेंडर किए हैं. यही कंपनी ग्लूकाेज 75 प्रदेश के सभी अस्पतालाें में सप्लाई करती है. माैजूदा समय में कंपनी के ग्लूकाेज की डिमांड पूरी नहीं हाे पा रही है. ऐसे में इसका असर सप्लाई पर पड़ रहा है.

केएनएच अस्पताल की सिविल सप्लाई की दुकानाें में बीते कई दिनाें से इसकी सप्लाई नहीं आई है. इससे गर्भवती महिलाओं का डायबिटिज का टेस्ट नहीं हाे पा रहा है. यहां तक कि ग्लूकाेज 75 अन्य दुकानाें पर भी नहीं मिल रहा है, क्याेंकि इसकी सही दर अन्य मेडिसन शाॅप पर मिलना मुश्किल रहता है.

राेजाना आती है 500 से ज्यादा महिलाएं

केएनएच अस्पताल में राेजाना 500 से ज्यादा गर्भवती महिलाएं जांच के लिए आती हैं. इसमें ज्यादात्तर महिलाओं काे जीटीटी टेस्ट करवाने के लिए कहा जाता है. यह महिलाएं सिविल सप्लाई की दुकानाें से 75 ग्लूकाेज खरीदती हैं, जिसके बाद उनका टेस्ट किया जाता है. अब यहां ग्लूकाेज न हाेने से दिक्कतें बढ़ गई हैं. राेजाना कई महिलाएं यहां ग्लूकाेज लेने के लिए पहुंच रही है, लेकिन उन्हें यहां से निराश हाेकर लाैटना पड़ रहा है.

वेंडर को दिए हैं सप्लाई के आदेश

क्षेत्रीय प्रबन्धक रमाकांत चौहन ने कहा कि हमारे पास प्रेगनेंसी टेस्ट के ग्लुगोज की सप्लाई के लिए शिमला में एक ही वेंडर है. उसे सप्लाई के आदेश दे दिए गए हैं. अगले दो दिनों में सप्लाई मिल जाएगी. किसी भी गर्भवती महिला को परेशानी नहीं आने दी जाएगी.

ये भी पढ़ें- यहां बस स्टॉप पर लोगों को नहीं मिल रही सुविधा, सरकार से सुविधाएं मुहैया करवाने की मांग

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