शिमला: साक्षरता दर के मामले में हिमाचल देश के अव्वल राज्यों में शुमार है. लेकिन अब हिमाचल हायर एजुकेशन यानी उच्च शिक्षा हासिल करने के मामले में लगातार आगे बढ़ रहा है. खासकर हिमाचल की बेटियां साक्षरता की इस दौड़ में मिसाल बन रही हैं. हिमाचल में लड़कियां उच्च शिक्षा हासिल करने के मामले में लड़कों से आगे हैं. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हिमाचल में लड़कियों का ग्रॉस एनरोलमेंट रेशो लड़कों की तुलना में काफी ज्यादा है. हिमाचल में उच्च शिक्षा हासिल करने में लड़कों का ग्रॉस एनरोलमेंट रेशो जहां 33.5 फीसदी है, वहीं लड़कियों का रेशियो 44.7 फीसदी है. यानी हायर एजुकेशन के लिए दाखिला लेने वालों में लड़कियों की संख्या लड़कों से अधिक है. 18 से 23 साल के आयु वर्ग के आंकड़े हिमाचल के लिए काफी बेहतर है.
हिमाचल का ग्रॉस एनरोलमेंट रेशों भी बेहतर: भारत सरकार के उच्च शिक्षा विभाग द्वार करवाए गए हायर एजुकेशन को लेकर करवाए गए अखिल भारतीय सर्वे (All india survey on Higher education) के मुताबिक हिमाचल में लड़कियों का हायर एजुकेशन में एनरोलमेंट रेशो बेहतर है. एआईएसएचई की ये रिपोर्ट 18 से 23 साल की आयु वर्ग के युवाओं की कॉलेजों, विश्वविद्यालयों के एनरोलमेंट के डाटा के आधार पर तैयार की गई है. इसके लिए जनसंख्या का आधार 2011 की गणना को बनाया गया है. ग्रॉस एनरोलमेंट रेशो 18 से 23 साल की आयु की कुल जनसंख्या और कॉलेज, विश्वविद्यालयों में इस आयु ग्रुप में दाखिला लेने वालों का अनुपात है. हिमाचल में कुल (लड़कों और लड़कियों को मिलाकर) ग्रॉस एनरोलमेंट रेशो भी बेहतर हैं, जो कि 38.7 फीसदी है. वहीं लड़कियों के लिए यह रेशों 44.7 फीसदी है, जबकि लड़कों का रेशियो 33.5 फीसदी है. जाहिर है कि हिमाचल में लड़कियां हायर एजुकेशन के लिए अधिक संख्या में आ रही हैं.
हिमाचल की हायर एजुकेशन का औसत ज्यादा: हिमाचल की हायर एजुकेशन का ओवरऑल (लड़कों और लड़कियों ) ग्रास रोलमेंट रेशो भी राष्ट्रीय औसत से कहीं ज्यादा है. देश का कुल ग्रॉस एनरोलमेंट रेशो जहां 27.3 फीसदी है, वहीं हिमाचल में यह 38.7 फीसदी हैं. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन यानी एआईएसएचई, 2020-21 की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है.
देश में सातवें स्थान पर हिमाचल: लड़कियों के हायर एजुकेशन के दाखिले यानी ग्रॉस एनरोलमेंट रेशो में हिमाचल पूरे देश में सातवें स्थान पर हैं. इस लिस्ट में 77.0 फीसदी के साथ चंडीगढ़ पहले स्थान पर है. 61.1 फीसदी के साथ पुडुचेरी दूसरे, 52.3 फीसदी के साथ केरल तीसरे, 48.9 फीसदी के साथ उत्तराखंड चौथे, 48.6 फीसदी के साथ तमिलनाडु पांचवे, 48.5 फीसदी के साथ दिल्ली छठे स्थान पर है. इसके बाद हिमाचल की लड़कियों के दाखिले के मामले में 44.7 फीसदी के साथ सातवें स्थान पर हैं.
हिमाचल में उच्च शिक्षा में एससी लड़कियों के दाखिले कम: हालांकि हिमाचल में लड़कियों का ओवरऑल ग्रॉस एनरोलमेंट रेशों 44.7 फीसदी है, लेकिन अनुसूचित जाति की लड़कियों के दाखिले का अनुपात काफी कम हैं. एससी वर्ग की लड़कियों का ग्रॉस एनरोलमेंट रेशो मात्र 33.5 फीसदी है, जबकि एसटी वर्ग की लड़कियों का ग्रॉस एनरोलमेंट रेशो 44.2 फीसदी है जो कि राज्य में लड़कियों के सभी वर्गों के औसत 44.7 फीसदी के आसपास ही है.
2.89 लाख छात्र हैं हायर एजुकेशन के लिए एनरोल्ड: हिमाचल में उच्च शिक्षण संस्थानों में 18 से 23 साल की आयु के कुल 2.89 लाख छात्र रजिस्टर्ड हैं, जिनमें 46 फीसदी यानी 1.32 लाख लड़के हैं ,जबकि 54 फीसदी यानी 1.57 लाख लड़कियां हैं. हिमाचल में कुल 454 उच्च शिक्षण संस्थान हैं जिनमें 27 विश्वविद्यालय, 344 कॉलेज और 83 अन्य उच्च शिक्षण संस्थान हैं.
लड़कियों के उच्च शिक्षा हासिल करने की वजह: हिमाचल में उच्च शिक्षण संस्थानों में लड़कियों के दाखिले उनकी जनसंख्या के अनुपात में अधिक होने की कई वजह हैं. एक वजह यह है कि हिमाचल में लोगों में लड़कियों की शिक्षा को लेकर जागरूकता आई है. लड़कियों को अच्छी शिक्षा देना अभिभावक जरूरी समझते हैं. यही नहीं लड़कियां पढ़ाई लिखाई में भी लड़कों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करती हैं. इसके साथ ही हिमाचल में शिक्षण संस्थानों की उपलब्धता भी इसकी वजह है. हिमाचल में सरकारी उच्च शिक्षण संस्थान जगह-जगह खोले गए हैं. इससे लड़कियों को शिक्षा हासिल करने में आसानी हुई है. वहीं सरकारों की नीति लड़कियों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने की रही है. हिमाचल में सरकार ने स्नातकोत्तर स्तर तक की शिक्षा लड़कियों के लिए निशुल्क की है. यही नहीं डिस्टेंस एजुकेशन भी फ्री की गई है.
शिक्षण संस्थानों तक पहुंच आसान: इसके साथ ही हिमाचल में शिक्षण संस्थानों तक पहुंच भी आसान है. बड़ी संख्या में स्कूल, कॉलेज खोले गए हैं, लड़कियां अपने नजदीक के ही शिक्षण संस्थानों में शिक्षा हासिल करने जा सकती हैं. हिमाचल सुरक्षा महिला सुरक्षा के लिहाज से ज्यादा सुरक्षित हैं. ऐसे में घर से दूर शिक्षा के लिए भी लड़कियां जाने लगी है. सरकार भी लड़कियों की शिक्षा को प्रोत्साहित कर रही हैं. इससे हिमाचल में हायर एजुकेशन में लड़कियों की एनरोलमेंट ज्यादा हैं.
अभिभावकों में जागरूकता बढ़ी है: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पूर्व प्रो वाइस चांसलर (उपकुलपति) प्रोफेसर एनके शारदा कहते हैं कि हिमाचल में अभिभावकों में जागरूकता बहुत ज्यादा बढ़ी है, रूढिवादिता को पीछे छोड़ते हुए परिजन बेटियों को पढ़ा और बढ़ा रहे हैं. हिमाचल में वैसे से साक्षरता दर लंबे अरसे से कई अन्य राज्यों से बेहतर है लेकिन गांव में स्कूलिंग करने के बाद हायर एजुकेशन में लड़कियों की हिस्सेदारी के अधिक होने का श्रेय अभिभावकों को भी जाता है. जो बदलते दौर के साथ अपनी बेटियों को 10वीं या 12वीं ही नहीं बल्कि हायर एजुकेशन देना चाहते हैं और उन्हें कुछ बनाना चाहते हैं. लड़का-लड़की एक समान के नारे भले सरकार को पोस्टरों पर होते हों लेकिन उन्हें असल में हकीकत का अमलीजामा ऐसे ही अभिभावक पहनाते हैं.
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