शिमलाः शिमला के कनलोग स्थित मोक्ष धाम में अब गैस क्रेमेनेशन की सुविधा उपलब्ध होगी. इस सुविधा के मिलने से अब अंतिम संस्कार लकड़ियों की जगह एलपीजी से किया जाएगा. 9 साल बाद फिर यह सुविधा शहरवासियों को मुहैया होगी. रोटरी क्लब शिमला और सूद सभा ने आज इस एलपीजी शव दाह गृह की मरम्मत कराने के बाद इसे शुरु कर दिया है.
साल 2012 से खराब थी मशीन
कनलोग मोक्ष धाम में गैस क्रेमेनेशन की सुविधा देने के लिए हाईटेक मशीन यूएस से मंगवाकर वर्ष 2008 में ही लगा दी गई थी, लेकिन 2012 से लेकर अभी तक यह मशीन खराब पड़ी थी. इसे ठीक करने का जिम्मा सूद सभा और रोटरी क्लब ने उठाया था. अब मशीन पूरी तरह से ठीक कर दी गई है. इसके बाद इसे इस्तेमाल में लाया जा सकेगा.
कनलोग मोक्ष धाम में स्थापित एलपीजी संयंत्र में दाह संस्कार करने पर समय कम लगता है और इसकी लागत भी कम है. कनलोग में कुछ शवों का दाह संस्कार इस मशीन में किया गया, लेकिन तकनीकी खामियां आने की वजह से ये मशीन बंद हो गई. तकनीक नई थी, जिसकी वजह से मशीनरी की रिपेयर के लिए इंजीनियर नहीं मिल पा रहे थे.
रोटरी क्लब ने मशीन कराई दुरुस्त
इसके बाद रोटरी क्लब शिमला ने कुछ इंजीनियर ढूंढकर मशीन को दोबारा से ठीक करवा कर काम में आने योग्य बनाया है. मशीन अब पूरी तरह से ठीक है और अपना काम करने के लिए तैयार है, लेकिन जब तक लोग दाह संस्कार की इस नई तकनीक को अपनाने के लिये तैयार नहीं होते. तब तक रोटरी क्लब और सूद सभा का प्रयास सफल नहीं हो पाएगा.
मशीन का रखरखाव करेगी सूद सभा
मशीन को रिपेयर करवाने का काम भले ही रोटरी क्लब की ओर से किया गया है, लेकिन इसके रखरखाव की जिम्मेवारी सूद सभा निभा रही है. सूद सभा के अध्यक्ष संजय सूद कहना है कि अब इस मशीन को ठीक कर लिया गया है. अब यह इस्तेमाल में लाई जा सकती है. लोग एलपीजी गैस संयंत्र में अपनों के शवों को जलाने को प्राथमिकता नहीं देते हैं और अभी भी लकड़ी पर ही दाह संस्कार करना सही मानते, लेकिन अगर लोग इस नई तकनीक को अपनाते हैं तो इससे जहां लकड़ी के लिए पेड़ों को नहीं काटा जाएगा तो वहीं पर्यावरण को भी बचाने में हम अपनी अहम भूमिका निभा सकेंगे.
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एलपीजी संयंत्र में इस तरह होता है दाह संस्कार
एलपीजी संयंत्र शव के अंतिम संस्कार करने की विधि बेहद आसान है. मशीन में शव को जिस चेम्बर में जलाया जाना है वहां तक पहुंचाने के लिए हाई टेक स्ट्रेचर का इस्तेमाल किया जाता है. चैम्बर में बॉडी जाने के बाद दरवाजा बंद कर दिया जाता है और एलपीजी गैस सिलेंडर की मदद से आग चेम्बर में जलाई जाती है. यह चेम्बर के अंदर टेम्परेचर को बढ़ाती है और तापमान 800 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने के बाद मेन चेंबर में भी आग जलना शुरू होती है. इससे शव पूरी तरह से जल जाता है.
मोक्ष धाम में उपलब्ध है 60 एलपीजी सिलेंडर
इसके बाद राख ओर अस्तु ही बाकी रह जाते हैं. शव की पूरी तरह से जलने के बाद शव की अस्थियां भी एक जगह पर एकत्र हो जाती हैं. इसे आसानी से एकत्र करने के लिए भी एक चेंबर मशीन में बना है. जहां अस्थियां एकत्र कर परिवार वालों को विसर्जन के लिए दे दी जाती हैं. एक शव को जलाने के लिए दो या तीन एलपीजी गैस सिलेंडर की आवश्यकता होती है. इसकी लागत करीब 2500 रुपये आती है, जबकि लकड़ी पर किए जाने वाले दाहसंस्कार के लिए 500 किलोग्राम लकड़ी की आवश्यकता होती है जिसकी लागत करीब 5 हजार है. एलपीजी संयंत्र में शवों को जलाने को लेकर पूरी व्यवस्था भी कनलोग मोक्ष धाम में की गई है. इसके लिए यहां 60 एलपीजी सिलेंडर हैं.
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