शिमला: हिमाचल में कर्ज के मर्ज का कोई इलाज नहीं दिख रहा है. कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्स की पेंशन के अलावा विकास कार्यों के लिए राज्य सरकार को कर्ज पर ही निर्भर रहना होगा. प्रदेश में अब सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार सत्तासीन है. सुखविंदर सरकार के पहले शीतकालीन सत्र में कर्ज लेने की सीमा बढ़ाने का विधेयक पारित हो गया है. (FRBM Amendment Bill 2023) (HP Assembly Winter Session)
शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन शुक्रवार को राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम ) संशोधन विधेयक 2023 सदन में पास हो गया. अब हिमाचल सरकार मौजूदा वित्तीय वर्ष में नए प्रावधान के अनुसार 11 हजार करोड़ रुपए तक ऋण ले सकेगी. हिमाचल में कर्ज लेने की सीमा अभी तक 8 हजार करोड़ रुपए की थी. मगर राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम ) संशोधन कानून में संशोधन के बाद तहत वर्ष 2022-23 में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का छह प्रतिशत कर्ज लिया जा सकेगा. (FRBM Amendment Bill 2023 Passed in HP Assembly)
इसी तरह वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 में यह सीमा 3.5 प्रतिशत रहेगी, जबकि सामान्य परिस्थिति में केवल तीन प्रतिशत तक ही कर्ज लिया जा सकता है. इस तरह मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार 3 हजार करोड़ रुपए और कर्ज ले सकेगी. इस विधेयक को पारित करने का प्रस्ताव सदन में उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने रखा. डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष में हिमाचल प्रदेश पर कर्ज करीब 74,622 करोड़ रुपए कर्ज हो जाएगा. उन्होंने कहा कि भाजपा की पिछली सरकार ने 26,716 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है.
इसके अलावा शीतकालीन सत्र के दौरान ही अंतिम दिन सदन में जीएसटी संशोधन विधेयक भी पारित हुआ. इस संदर्भ में सदन में सरकार की ओर से जीएसटी यानी वस्तु एवं सेवाएं कर रिटर्न के सरलीकरण से जुड़ा एक अध्यादेश और इससे संबंधित विधेयक भी सदन में पेश किया गया था. इसमें केंद्र सरकार की ओर से वस्तु एवं सेवा कर परिषद की 43वीं और 45वीं बैठकों में सुझाए गए वित्तीय अधिनियम के संशोधन शामिल किए गए हैं. यह विधेयक भी सदन की कार्यवाही के अंतिम दिन पारित हुआ.
ये भी पढ़ें: शीतकालीन सत्र में इमरजेंसी की गूंज, संजय रत्न बोले- आपातकाल में जेल गए नेताओं की पेंशन बंद करे सरकार