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शिमला में अब मूर्तिमान होंगी अटल स्मृतियां, हिमाचल को याद आएगा भारत रत्न का देवभूमि से लगाव - 25 दिसंबर को क्या खास है

शिमला के रिज मैदान पर शुक्रवार को अटल जयंती के अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मूर्ति का अनावरण किया गया. इसी के साथ अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृतियां प्रतिमा के रूप में देवभूमि के साथ जुड़ी उनकी यादों को स्थाई बन गई. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शुक्रवार 25 दिसंबर को अटल बिहारी वाजपेयी की इस प्रतिमा का अनावरण किया और उनकी देवभूमि से जुड़ी यादों को सांझा किया.

Atal Bihari Vajpayee
Atal Bihari Vajpayee
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Published : Dec 24, 2020, 8:04 PM IST

Updated : Dec 25, 2020, 2:00 PM IST

शिमला: भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की देवभूमि से जुड़ी स्मृतियां अब मूर्तिमान होकर अटल हो गई. शिमला के रिज मैदान पर शुक्रवार को अटल जयंती के अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मूर्ति का अनावरण किया गया.

इसी के साथ अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृतियां प्रतिमा के रूप में देवभूमि के साथ जुड़ी उनकी यादों को स्थाई बन गई. प्रतिमा पर अटल जी की कविताओं की पंक्तियां भी दर्ज की गई हैं. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शुक्रवार 25 दिसंबर को अटल बिहारी वाजपेयी की इस प्रतिमा का अनावरण किया और उनकी देवभूमि से जुड़ी यादों को सांझा किया.

अटल बिहारी वाजपेयी का देवभूमि से लगाव किसी से छिपा नहीं है. वे हिमाचल को अपना दूसरा घर मानते थे. शिमला से भी उनकी कई यादें जुड़ी हुई हैं. उनकी शिमला स्मृतियों का विस्तार 1967 से आरंभ हुआ था. भारत रत्न अटल जी न केवल भाजपा बल्कि कांग्रेस के नेताओं में भी समान रूप से लोकप्रिय थे.

फाइल वीडियो.

मीडिया कर्मियों से भी उनका लगाव था

यही नहीं, हिमाचल के मीडिया कर्मियों से भी उनका लगाव था. हिमाचल से मिले प्यार को उन्होंने भी सदैव अपनी स्मृतियों में रखा था. हिमाचल के वरिष्ठ मीडिया कर्मी पीसी लोहमी के अनुसार वर्ष 1967 में शिमला में जनसंघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई थी.

इस बैठक में भाग लेने अटल बिहारी वाजपेयी के अलावा तत्कालीन जनसंघ के कई वरिष्ठ नेता शिमला पहुंचे थे. अटल को याद करते हुए उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के साथ हुए शिमला समझौते के समय भी उन्हें शिमला बुलाया गया था. शिमला में राजभवन में तो नहीं, मगर जैन धर्मशाला में उनकी बैठक पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल के साथ हुई थी. वर्ष 1975 में इमरजेंसी के बाद भी मोरारजी देसाई की सरकार के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी शिमला आए. उस दौरान अटल को रिज से जनसभा को संबोधित करना था, लेकिन सरकार के एक अन्य मंत्री राजनारायण का भी शिमला आने का कार्यक्रम बन गया.

बाबरी मस्जिद विध्वंस अटल जी शिमला आए

लिहाजा अटल बिहारी वाजपेयी जी के संबोधन को लेकर काफी समय तक असमंजस की स्थिति रही. बाद में परिस्थितियां ऐसी हुई कि अटल जी ने ही रैली को संबोधित किया. बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद भी अटल बिहारी वाजपेयी शिमला आए और उन्होंने यहां सब्जी मंडी मैदान में रैली की थी. इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी ने हिमाचल कांग्रेस के बड़े नेताओं स्व. राम लाल ठाकुर और वीरभद्र सिंह के चुनाव क्षेत्रों जुब्बल कोटखाई व रोहड़ू में भी जनसभाओं को संबोधित किया था.

पूर्व विधायक और हिमाचल भाजपा के मुख्य प्रवक्ता रणधीर शर्मा का कहना है कि दोनों जगह रैलियों में उमड़ी भीड़ के बाद उन्हें लगा कि भाजपा इस बार ऊपरी शिमला में कांग्रेस के इन किलों को ध्वस्त कर देगी, लेकिन जब रैली के बाद अटल जी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मत भूलो ये कांग्रेस के दो कद्दावर नेताओं के चुनाव क्षेत्र हैं.

रिज मैदान से रैली को संबोधित किया था

फिर वर्ष 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी ने शिमला के रिज मैदान से रैली को संबोधित किया था. शिमला के इतिहास की संभवत: यह सबसे बड़ी रैली थी. सीनियर मीडियाकर्मी पीसी लोहमी कहते हैं कि 1981 में अटल जी एक मर्तबा अचानक शिमला पहंचे. लोहमी को इस बात की भनक लग गई. वह उनके मुलाकात करने बेनमोर चले गए.

मुलाकात में कई मसलों पर काफी देर तक चर्चा हुई. इसके बाद वह अटल के साथ शिमला घूमे. ऊपरी शिमला के प्रवास के दौरान उन्होंने स्व. दौलत राम चौहान को पूछा कि आप जुब्बल कोटखाई से चुनाव क्यों नहीं लड़ते. लोहमी जी कहते हैं कि चौहान जी ने जवाब दिया ताउम्र शिमला में रहा लिहाजा जमानत भी नहीं बचेगी. एक और प्रसंग को लेकर लोहमी बताते हैं कि ग्वालियर से वाजपेयी चुनाव लड़े.

शिमला में लोगों ने पूछा कितने मतों से जीत रहे हो, जवाब था जितने से सिंधिया हारेंगे, लेकिन किस्मत ऐसी थी कि अटल चुनाव हार गए. इसके बाद फिर शिमला आए तो यह पूछने पर आप तो हार गए, उन्होंने कहा कि लोगों ने वोट ही नहीं दिए. पीसी लोहमी कहते हैं कि शिमला में अटल ने संघ की कई मर्तबा शाखाएं भी लगाई. मित्रों की उनके यहां भी भरमार थी, अटल जैसा व्यक्तित्व उन्हें नहीं मिला.

रिज रैली में उमड़ी भीड़ से सभी हैरान थे

इसी तरह दीपक भोजनालय के मालिक और भाजपा नेता दीपक कहते हैं कि एक बार अटल जी की रैली के लिए चंदा इकठ्ठा करना था तो शिमला में जिस भी घर में गए, सभी ने खुशी-खुशी चंदा दिया. मार्च 2002 में राज्य की प्रेम कुमार धूमल सरकार के चार साल पूरा होने पर अटल बिहारी वाजपेयी की शिमला की रिज रैली में उमड़ी भीड़ से सभी हैरान थे.

कहा जाता है कि इतनी बड़ी रैली हिमाचल में न पहले हुई और न ही कभी आगे होगी. उस समय प्रदेश के कोने-कोने से जनता अपने प्रिय नेता को सुनने पहुंची थी. शिमला के सर्कुलर रोड व शिमला के प्रवेश द्वारों पर दस किलोमीटर से भी लंबा जाम लगा था.

हिमाचल विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव में एबीवीपी को सफलता मिली थी

वहीं, नब्बे के दशक में भी शिमला के रानी झांसी पार्क में भी अटल बिहारी वाजपेयी जी की एक रैली हुई थी. उस समय हिमाचल विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव में एबीवीपी को सफलता मिली थी. एबीवीपी के कार्यकर्ता नारेबाजी करते हुए रैली स्थल पर पहुंचे तो वाजपेयी जी ने अपने भाषण को विराम देते हुए युवाओं के जोश पर प्रेरक टिप्पणी भी की थी. हिमाचल में इसी साल अटल टनल का शुभारंभ हुआ है.

प्रदेश की जनता के लिए कभी न भूलने वाली स्मृतियां हैं

ये टनल भी वाजपेयी जी की देन कही जाती है. 24 मई 2002 को रोहतांग सुरंग, जिसे अब अटल टनल कहा जाता है का शिलान्यास भी वाजपेयी जी ने किया था. सीएम जयराम ठाकुर का कहना है कि कुल्लू के प्रीणी में अटल जी का घर और वहां से जुड़ी उनकी यादें प्रदेश की जनता के लिए कभी न भूलने वाली स्मृतियां हैं.

हिमाचल से वाजपेयी जी के लगाव की कोई सीमा नहीं बांधी जा सकती. केंद्र की सत्ता में रहते हुए अटल जी की सरकार ने हिमाचल को जी खोलकर सहायता दी थी. अब ये सारी स्मृतियां शिमला में अटल प्रतिमा में साकार होकर प्रदेश को राजनीति के इस अजातशत्रु की याद दिलाएंगी.

शिमला: भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की देवभूमि से जुड़ी स्मृतियां अब मूर्तिमान होकर अटल हो गई. शिमला के रिज मैदान पर शुक्रवार को अटल जयंती के अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मूर्ति का अनावरण किया गया.

इसी के साथ अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृतियां प्रतिमा के रूप में देवभूमि के साथ जुड़ी उनकी यादों को स्थाई बन गई. प्रतिमा पर अटल जी की कविताओं की पंक्तियां भी दर्ज की गई हैं. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शुक्रवार 25 दिसंबर को अटल बिहारी वाजपेयी की इस प्रतिमा का अनावरण किया और उनकी देवभूमि से जुड़ी यादों को सांझा किया.

अटल बिहारी वाजपेयी का देवभूमि से लगाव किसी से छिपा नहीं है. वे हिमाचल को अपना दूसरा घर मानते थे. शिमला से भी उनकी कई यादें जुड़ी हुई हैं. उनकी शिमला स्मृतियों का विस्तार 1967 से आरंभ हुआ था. भारत रत्न अटल जी न केवल भाजपा बल्कि कांग्रेस के नेताओं में भी समान रूप से लोकप्रिय थे.

फाइल वीडियो.

मीडिया कर्मियों से भी उनका लगाव था

यही नहीं, हिमाचल के मीडिया कर्मियों से भी उनका लगाव था. हिमाचल से मिले प्यार को उन्होंने भी सदैव अपनी स्मृतियों में रखा था. हिमाचल के वरिष्ठ मीडिया कर्मी पीसी लोहमी के अनुसार वर्ष 1967 में शिमला में जनसंघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई थी.

इस बैठक में भाग लेने अटल बिहारी वाजपेयी के अलावा तत्कालीन जनसंघ के कई वरिष्ठ नेता शिमला पहुंचे थे. अटल को याद करते हुए उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के साथ हुए शिमला समझौते के समय भी उन्हें शिमला बुलाया गया था. शिमला में राजभवन में तो नहीं, मगर जैन धर्मशाला में उनकी बैठक पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल के साथ हुई थी. वर्ष 1975 में इमरजेंसी के बाद भी मोरारजी देसाई की सरकार के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी शिमला आए. उस दौरान अटल को रिज से जनसभा को संबोधित करना था, लेकिन सरकार के एक अन्य मंत्री राजनारायण का भी शिमला आने का कार्यक्रम बन गया.

बाबरी मस्जिद विध्वंस अटल जी शिमला आए

लिहाजा अटल बिहारी वाजपेयी जी के संबोधन को लेकर काफी समय तक असमंजस की स्थिति रही. बाद में परिस्थितियां ऐसी हुई कि अटल जी ने ही रैली को संबोधित किया. बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद भी अटल बिहारी वाजपेयी शिमला आए और उन्होंने यहां सब्जी मंडी मैदान में रैली की थी. इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी ने हिमाचल कांग्रेस के बड़े नेताओं स्व. राम लाल ठाकुर और वीरभद्र सिंह के चुनाव क्षेत्रों जुब्बल कोटखाई व रोहड़ू में भी जनसभाओं को संबोधित किया था.

पूर्व विधायक और हिमाचल भाजपा के मुख्य प्रवक्ता रणधीर शर्मा का कहना है कि दोनों जगह रैलियों में उमड़ी भीड़ के बाद उन्हें लगा कि भाजपा इस बार ऊपरी शिमला में कांग्रेस के इन किलों को ध्वस्त कर देगी, लेकिन जब रैली के बाद अटल जी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मत भूलो ये कांग्रेस के दो कद्दावर नेताओं के चुनाव क्षेत्र हैं.

रिज मैदान से रैली को संबोधित किया था

फिर वर्ष 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी ने शिमला के रिज मैदान से रैली को संबोधित किया था. शिमला के इतिहास की संभवत: यह सबसे बड़ी रैली थी. सीनियर मीडियाकर्मी पीसी लोहमी कहते हैं कि 1981 में अटल जी एक मर्तबा अचानक शिमला पहंचे. लोहमी को इस बात की भनक लग गई. वह उनके मुलाकात करने बेनमोर चले गए.

मुलाकात में कई मसलों पर काफी देर तक चर्चा हुई. इसके बाद वह अटल के साथ शिमला घूमे. ऊपरी शिमला के प्रवास के दौरान उन्होंने स्व. दौलत राम चौहान को पूछा कि आप जुब्बल कोटखाई से चुनाव क्यों नहीं लड़ते. लोहमी जी कहते हैं कि चौहान जी ने जवाब दिया ताउम्र शिमला में रहा लिहाजा जमानत भी नहीं बचेगी. एक और प्रसंग को लेकर लोहमी बताते हैं कि ग्वालियर से वाजपेयी चुनाव लड़े.

शिमला में लोगों ने पूछा कितने मतों से जीत रहे हो, जवाब था जितने से सिंधिया हारेंगे, लेकिन किस्मत ऐसी थी कि अटल चुनाव हार गए. इसके बाद फिर शिमला आए तो यह पूछने पर आप तो हार गए, उन्होंने कहा कि लोगों ने वोट ही नहीं दिए. पीसी लोहमी कहते हैं कि शिमला में अटल ने संघ की कई मर्तबा शाखाएं भी लगाई. मित्रों की उनके यहां भी भरमार थी, अटल जैसा व्यक्तित्व उन्हें नहीं मिला.

रिज रैली में उमड़ी भीड़ से सभी हैरान थे

इसी तरह दीपक भोजनालय के मालिक और भाजपा नेता दीपक कहते हैं कि एक बार अटल जी की रैली के लिए चंदा इकठ्ठा करना था तो शिमला में जिस भी घर में गए, सभी ने खुशी-खुशी चंदा दिया. मार्च 2002 में राज्य की प्रेम कुमार धूमल सरकार के चार साल पूरा होने पर अटल बिहारी वाजपेयी की शिमला की रिज रैली में उमड़ी भीड़ से सभी हैरान थे.

कहा जाता है कि इतनी बड़ी रैली हिमाचल में न पहले हुई और न ही कभी आगे होगी. उस समय प्रदेश के कोने-कोने से जनता अपने प्रिय नेता को सुनने पहुंची थी. शिमला के सर्कुलर रोड व शिमला के प्रवेश द्वारों पर दस किलोमीटर से भी लंबा जाम लगा था.

हिमाचल विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव में एबीवीपी को सफलता मिली थी

वहीं, नब्बे के दशक में भी शिमला के रानी झांसी पार्क में भी अटल बिहारी वाजपेयी जी की एक रैली हुई थी. उस समय हिमाचल विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव में एबीवीपी को सफलता मिली थी. एबीवीपी के कार्यकर्ता नारेबाजी करते हुए रैली स्थल पर पहुंचे तो वाजपेयी जी ने अपने भाषण को विराम देते हुए युवाओं के जोश पर प्रेरक टिप्पणी भी की थी. हिमाचल में इसी साल अटल टनल का शुभारंभ हुआ है.

प्रदेश की जनता के लिए कभी न भूलने वाली स्मृतियां हैं

ये टनल भी वाजपेयी जी की देन कही जाती है. 24 मई 2002 को रोहतांग सुरंग, जिसे अब अटल टनल कहा जाता है का शिलान्यास भी वाजपेयी जी ने किया था. सीएम जयराम ठाकुर का कहना है कि कुल्लू के प्रीणी में अटल जी का घर और वहां से जुड़ी उनकी यादें प्रदेश की जनता के लिए कभी न भूलने वाली स्मृतियां हैं.

हिमाचल से वाजपेयी जी के लगाव की कोई सीमा नहीं बांधी जा सकती. केंद्र की सत्ता में रहते हुए अटल जी की सरकार ने हिमाचल को जी खोलकर सहायता दी थी. अब ये सारी स्मृतियां शिमला में अटल प्रतिमा में साकार होकर प्रदेश को राजनीति के इस अजातशत्रु की याद दिलाएंगी.

Last Updated : Dec 25, 2020, 2:00 PM IST
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