शिमला: प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर 6 मार्च को वर्ष 2021-22 को बजट पेश करेंगे. कोरोना संक्रमण के बीच ये प्रदेश का पहला बजट होगा. जयराम सरकार के पेश होने वाले बजट से कई उम्मीदें जताई जा रही हैं.
योजना और गैर योजना श्रेणियों की पुरानी प्रणाली होगी खत्म
इस बार के बजट की सबसे खास बात यह रहेगी कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने बजट के लिए योजना और गैर योजना श्रेणियों की पुरानी प्रणाली को समाप्त करने और वर्ष 2021-22 से वार्षिक योजना के स्थान पर वार्षिक विकास बजट प्रणाली शुरू करने का निर्णय लिया है. नई प्रणाली में सभी चार उप योजनाएं, सामान्य योजना, अनुसूचित जाति उप योजना, जनजातीय उप योजना और पिछड़ा क्षेत्र उप योजना के नाम अब सामान्य विकास कार्यक्रम, अनुसूचित जाति विकास कार्यक्रम, अनुसूचित जनजाति विकास कार्यक्रम और पिछड़ा क्षेत्र विकास कार्यक्रम रखे जाएंगे.
कोरोना संक्रमण से ठप पड़े उद्योगों को मिलेगी विशेष राहत
इस बार कोरोना संक्रमण के कारण प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है, ऐसे में नई योजानाओं के धन आवंटन पर कोरोना संक्रमण का असर साफ देखा जा सकता है. प्रदेश सरकार के समक्ष कोरोना से प्रभावित उद्दोगों को फिर से खड़ा करने का दबाव रहेगा. उम्मीद लागई जा रही है कि कोरोना से प्रभावित पर्यटन उद्योग और हाउसिंग सेक्टर को गति प्रदान करने के लिए जयराम ठाकुर कुछ नई घोषणा कर सकते हैं.
पुरानी योजनाओं में ही धन का अधिक प्रवाधान होने की उम्मीद
वर्ष 2021-22 के बजट में बढ़ोतरी होना स्वाभाविक है. आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार यह बजट पिछले बजट को ध्यान में रखकर ही बनाया जाएगा. वित्तीय वर्ष 2020-21 का बजट 49,131 करोड़ रुपए का था, पिछले बजट में 25 नई योजनाओं को भी शामिल किया गया है. इस बार नई नौकरियां सृजित की जा सकती हैं. कोरोना संक्रमण के कारण प्रदेश सरकार ने कैबिनेट में निर्णय लेकर नई नौकरियों के सृजन पर कुछ समय के लिए रोक लगा दी गई थी.
विधायकों की प्राथमिकताओं को मिल सकती है वरीयता
बजट तैयारियों को लेकर अब तक हुई प्रगति की बात करें तो विधायक प्राथमिकताओं की बैठक का आयोजन किया जा चुका है. जिसमें विधायकों से उनकी वरीयता के बारे में पूछा गया है. विधायकों की प्राथमिकता को भी बजट में जगह मिलने की उम्मीद रहती है. विधायक प्राथमिकता बैठक में हुई चर्चा के अनुसार प्रदेश सरकार ने वर्ष 2021-22 के राज्य विकास बजट के लिए 9,405.41 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा है. इसमें सामान्य विकास कार्यक्रम के लिए 6,096.70 करोड़ रुपये (64.82 प्रतिशत), अनुसूचित जाति विकास कार्यक्रम के लिए 2,369.22 करोड़ रुपये (25.19 प्रतिशत), अनुसूचित जनजाति विकास कार्यक्रम के लिए 846.49 करोड़ रुपये (9 प्रतिशत) और पिछड़े क्षेत्र विकास कार्यक्रम के लिए 93 करोड़ रुपये (0.99 प्रतिशत) आवंटित किए गए हैं. उन्होंने कहा कि भले ही नाम परिवर्तित किए गए हैं, लेकिन अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़े क्षेत्रों के विकास के लिए धन के आवंटन में कोई कमी नहीं की गई है.
ग्लोबल इनवेस्टर्स मीट को बजट भाषण में स्थान मिलने की उम्मीद
ग्लोबल इनवेस्टर्स मीट को लेकर भी बजट में प्रावधान हो सकता है. कोरोना संक्रमण के कारण मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का यह महत्वकांक्षी कार्यक्रम सीरे नहीं चढ़ पाया था इसलिए इस बार बजट में ग्लोबल इनवेस्टर्स मीट को लेकर चर्चा होना स्वाभाविक है. जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश में निजी निवेश को आकर्षित करने की पहल के अन्तर्गत धर्मशाला में ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन किया.
कई नामी उद्यमियों द्वारा 96,000 करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किए गए. यह कार्यक्रम सफल रहा और एक महीने के भीतर ही 13,600 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी आयोजित की गई. 10 हजार करोड़ रुपये की अन्य परियोजनाएं ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के लिए तैयार हैं.
2021-22 के प्रस्तावित बजट को 11 प्राथमिकता क्षेत्रों के आधार पर बांटा
सरकार ने विकास कार्यों के लिए 13,174.45 करोड़ के वार्षिक विकास बजट को मंजूरी दी है. इसमें राज्य की हिस्सेदारी 9,405.41 करोड़ जबकि केंद्रीय योजनाओं की हिस्सेदारी 3,769.04 करोड़ रुपये होगी. बुधवार को सीएम जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में हुई बैठक में वार्षिक विकास बजट को स्वीकृति दी गई. प्राथमिकताओं के हिसाब से सरकार ने सूची में सबसे पहले सामाजिक सेवाओं और परिवहन एवं संचार को रखा है जिनपर कुल बजट का 41.77 और 25.64 फीसदी खर्च किया जाएगा.
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