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श्रम कानूनों के खिलाफ शिमला में गरजे कर्मचारी संघ, निजीकरण का किया जमकर विरोध - Shimla Protest news

देशभर में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाई गई एकदिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल का असर शिमला में भी देखने को मिला. जहां बीएमएस को छोड़कर सभी ट्रेड यूनियन ने इस हड़ताल में भाग लिया. हड़ताल में भाग ले रहे यूनियन के नेताओं के मुताबिक प्रदेश श्रम कानूनों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. सरकारी संस्थाओं से लेकर निजी क्षेत्र में कर्मियों व मजदूरों का शोषण किया जा रहा है.

CITU Shimla
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Published : Nov 26, 2020, 8:19 PM IST

शिमला: देशभर में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाई गई एकदिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल का असर शिमला में भी देखने को मिला. जहां बीएमएस को छोड़कर सभी ट्रेड यूनियन ने इस हड़ताल में भाग लिया.

हड़ताल में भाग ले रहे यूनियन के नेताओं के मुताबिक प्रदेश श्रम कानूनों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. सरकारी संस्थाओं से लेकर निजी क्षेत्र में कर्मियों व मजदूरों का शोषण किया जा रहा है. निजीकरण के चलते कर्मियों को उचित वेतन नहीं दिया जा रहा है. प्रदेश में मिड डे मील वर्कर, आंगनवाड़ी वर्कर, आउटसोर्स कर्मियों सहित डेली वेज वर्कर को उनके काम के मुताबिक वेतन नहीं दिया जा रहा है. जबकि श्रम कानूनों के मुताबिक किसी भी मजदूर व कर्मी को 15000 से कम वेतन नहीं दिया जा सकता है. केंद्र व राज्य सरकारें पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए गरीबों का शोषण कर रहीं हैं.

वीडियो.

हड़ताल में दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर फार इंडियान ट्रेड यूनियंस (सीटू), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी), ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), सेल्फ-एम्प्लॉइड वुमेन्स एसोसिएशन (सेवा), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एलपीएफ) और यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) ने भाग लिया.

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पढ़ें: मनाली में सीजन का दूसरा हिमपात, जलोड़ी दर्रा यातायात के लिए बंद

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हड़ताल में भाग ले रहे यूनियन के नेताओं के मुताबिक प्रदेश श्रम कानूनों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. सरकारी संस्थाओं से लेकर निजी क्षेत्र में कर्मियों व मजदूरों का शोषण किया जा रहा है. निजीकरण के चलते कर्मियों को उचित वेतन नहीं दिया जा रहा है. प्रदेश में मिड डे मील वर्कर, आंगनवाड़ी वर्कर, आउटसोर्स कर्मियों सहित डेली वेज वर्कर को उनके काम के मुताबिक वेतन नहीं दिया जा रहा है. जबकि श्रम कानूनों के मुताबिक किसी भी मजदूर व कर्मी को 15000 से कम वेतन नहीं दिया जा सकता है. केंद्र व राज्य सरकारें पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए गरीबों का शोषण कर रहीं हैं.

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हड़ताल में दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर फार इंडियान ट्रेड यूनियंस (सीटू), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी), ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), सेल्फ-एम्प्लॉइड वुमेन्स एसोसिएशन (सेवा), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एलपीएफ) और यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) ने भाग लिया.

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