शिमला: कानून का डंडा चला तो शिक्षा विभाग के अफसरों को होश में आया. मामला शिक्षा विभाग का है. एक दशक से कानूनी लड़ाई लड़ रहे शिक्षा विभाग के कर्मियों को हिमाचल हाई कोर्ट ने न्याय दिलाया. हाई कोर्ट (Himachal Pradesh high court) ने शिक्षा विभाग के अफसरों की सैलेरी रोकी तब जाकर कर्मचारियों को हक मिला. अब शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों ने अदालत के आदेश के अनुसार रुकी हुई सैलेरी को बहाल करने के लिए हाई कोर्ट के समक्ष आवेदन दाखिल किया है.
उल्लेखनीय है कि अदालत के आदेश की अनुपालना न करने पर हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग के सचिव व उच्च शिक्षा निदेशक का वेतन रोकने के आदेश जारी किए थे. हाई कोर्ट ने न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने जगरूप चंद कटोच व अन्यों की तरफ से दायर अनुपालना याचिका की सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किए थे. कोर्ट ने 9 दिसंबर को पारित आदेश में स्पष्ट किया था कि प्रार्थियों के वित्तीय लाभ 48 घंटे के भीतर अदा कर दिए जाएं, अन्यथा उनकी सैलेरी स्वत: कुर्क हो जाएगी.
मामले पर सुनवाई 13 दिसंबर के लिए निर्धारित की गई थी. फिर भी उच्च शिक्षा विभाग प्रार्थियों के सेवा से जुड़े वित्तीय लाभों को अदा करने में नाकाम रहा. इसी कारण न्यायाधीश न्यायमूर्ति सबीना व न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने हाई कोर्ट द्वारा पारित पिछले आदेशों की अनुपालना के लिए मामले पर सुनवाई 12 जनवरी के लिए निर्धारित कर दी थी. अनुपालना याचिका के अनुसार प्रार्थीगण निजी महाराजा संसार चंद मेमोरियल डिग्री कॉलेज कांगड़ा में बतौर प्रवक्ता अपनी सेवाएं दे रहे थे. 18 अक्टूबर 2006 को इनकी सेवाओं को राज्य सरकार द्वारा इस कॉलेज को टेकओवर करने के बाद अपने अधीन ले लिया था.
कॉलेज को टेकओवर करने के बाद उन्हें दिए जाने वाले वेतनमान को निम्नतम स्तर पर निर्धारित किया गया. तत्कालीन प्रशासनिक प्राधिकरण ने हाई कोर्ट द्वारा प्रेमलता थापर मामले में दिए गए फैसले के अनुरूप प्रार्थियों को निर्धारित उच्च वेतनमान दिए जाने के आदेश जारी किए थे. मगर राज्य सरकार उक्त मामले में अपील के लंबित होने के कारण प्रार्थियों को दिए जाने वाले वेतनमान को नहीं अदा कर पाई. इस संदर्भ में अपील पर 30 जून 2022 को फैसला आ गया. लेकिन प्रार्थियों को दिए जाने वाला वेतनमान सरकार की अपील के खारिज होने के बाद भी नहीं दिया गया.
हाई कोर्ट ने अदालती आदेशों की अवहेलना का मामला पाते हुए 9 दिसंबर को दोनों अधिकारियों के वेतन को रोकने के आदेश पारित किए थे. फिर भी शिक्षा सचिव व निदेशक 48 घंटे के भीतर प्रार्थियों के वेतनमान से जुड़े वित्तीय लाभों को देने में नाकाम रहे. फिर हाई कोर्ट द्वारा सैलेरी रोके जाने के बाद शिक्षा विभाग (Education department Himachal Pradesh) जागा और प्रार्थियों के वित्तीय लाभ देने के लिए राजी हो गया.
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