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MC Shimla Election: कर्मचारी, कारोबारी, स्टूडेंट्स तय करेंगे नगर निगम शिमला की नई सरकार, शहर में इनका है एक बड़ा वोट बैंक - नगर निगम शिमला चुनाव

शिमला नगर निगम चुनाव में कर्मचारी, कारोबारी और स्टूडेंट्स एक बड़ा डिसाइडिंग फैक्टर साबित होने वाले हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि शहर में इनका एक बड़ा वोट बैंक है.

MC Shimla Election
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Published : Apr 15, 2023, 5:12 PM IST

शिमला: नगर निगम शिमला चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां इन दिनों रणनीतियां तैयार कर रही हैं. सभी पार्टियां शहर के वोटरों के समीकरण को समझ रही है. शहर में 85 हजार से ज्यादा मतदाताओं में से सबसे बड़ा वोट बैंक कर्मचारी, कारोबारी और स्टूडेंट्स का है, जोकि नगर निगम की नई सरकार का फैसला करने में बड़ी भूमिका निभाएंगे. यही वजह है कि राजनीतिक पार्टियों की नजर इन वर्गों पर ज्यादा है. क्योंक अगर नगर निगम पर काबिज होना है तो इनका भारी समर्थन जरूरी है.

शिमला नगर निगम चुनाव में इस बार 86 हजार 650 मतदाता अपने मत का इस्तेमाल करेंगे. जिनमें 45 हजार 544 पुरुष और 41 हजार 106 महिला मतदाता हैं. शहर में वोटरों की लिस्ट अपडेट करने के बाद मतदाताओं की संख्या काफी बढ़ी है. 6 मार्च को प्रशासन की ओर से जारी की गई वोटर लिस्ट में 75 हजार 958 मतदाता थे, लेकिन इसमें अपडेट होने के बाद शहर में मतदाताओं की संख्या संख्या 86 हजार 650 हो गई है. इस तरह करीब 10 हजार 692 मतदाताओं की संख्या बढ़ी है.

राजनीतिक पार्टियां उतार रही हैं अपने उम्मीदवार: शिमला नगर निगम चुनावों को लेकर राजनीतिक पार्टियों ने अपने उम्मीदवार उतारने शुरू कर दिए हैं. भाजपा अधिकतर वार्डों में अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है. जबकि कांग्रसे अभी आधे से ज्यादा उम्मीदवारों के नाम फाइनल नहीं कर पाई है. इसी तरह माकपा और आम आदमी पार्टी ने भी इन चुनावों के लिए अपनी एक-एक लिस्ट जारी कर दी है. राजनीतिक पार्टियां उम्मीदवारों को उतारते समय वोटों के समीकरण को देख रही है. यही वजह है कि जिन उम्मीदवारों को उतारा गया है या उतारा जाना है, उनको वोटरों में पैठ के साथ कई अन्य पैमाने पर भी आंका जा रहा है.

शहर में कर्मचारियों का एक बड़ा वोट बैंक: राजधानी होने के नाते शिमला शहर में कर्मचारियों एक बड़ा वोट बैंक है. करीब एक तिहाई वोटर कर्मचारियों से संबंधित है. यहां प्रदेश के हर हिस्से से कर्मचारी हैं. ऐसे में कर्मचारियों के वोटों पर राजनीतिक पार्टियों की नजर टिकी हुई है. सतारूढ़ कांग्रेस पार्टी के साथ-साथ विपक्षी भाजपा भी कर्मचारियों के वोट बैंक पर नजरें गढ़ाए हुए है. अगर सता में आना है तो कर्मचारियों के वोट के बिना यह संभव नहीं हो सकता. यही वजह है कि राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवार भी कर्मचारियों से ज्यादा से ज्यादा संपर्क साध रहे हैं.

कारोबारी तबके का भी बड़ा वोट बैंक: शिमला शहर में कारोबारियों की संख्या भी अच्छी खासी है. शहर में होटल, रेस्टोरेंट, शोरूम, दुकानें चलाने वाले बड़े कारोबारियों के साथ-साथ रेहड़ी फहड़ी वाले और पर्यटन, टैक्सी या इस तरह के काम से जुड़े अन्य लोग भी है. शहर के केंद्रीय हिस्से जैसे मालरोड, मीडिल बाजार, लोअर बाजार, सब्जी मंडी, रामबाजार, लक्कड़ बाजार के अलावा उपनगरों के बाजारों में भी कारोबारी तबके के बड़े वोट हैं. ऐसे में इस तबके की किसी को भी नगर निगम की सता तक पहुंचाने में बड़ी भूमिका है. यही वजह है कि राजनीतिक पार्टियों ने इस तबके के बहुल इलाकों में इन्हीं में से किसी को टिकट देकर चुनाव लड़ाने की रणनीति अपनाई है.

ऊपरी शिमला के वोटरों की शहर में बड़ी तादाद: ऊपरी शिमला के लोग भी शहर में बड़ी संख्या में रहते हैं, जो ज्यादातर बागवान तबका है. नगर निगम के चुनाव में ये भी बड़ी भूमिका निभाएंगे. खासकर संजौली, ढली, जैसे उपनगरों में यह तबका एक बड़ा डिसाइडिंग फैक्टर साबित होने वाला है. इस बार नगर निगम के नियमों में संशोधन होने से विधानसभा के लिए वोटिंग कर चुके लोग भी यहां वोटर लिस्टों में शामिल हुए हैं. ऐसे में इनका भी इन चुनावों पर असर देखने को मिल सकता है.

इसके अलावा शिमला शहर में युवाओं, खासकर छात्रों के भी वोट शिमला शहर बड़ी संख्या में है. युनिवर्सिटी, कॉलेज सहित अन्य शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई करने वाले छात्र भी मतदाता के तौर पर उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करने में अपनी भूमिका निभाएंगे. इस तरह इन चार वर्गों के पास नगर निगम की सता की चाबी रहेगी और यही वजह है कि राजनीतिक पार्टियों और उम्मीदवारों ने अपने चुनाव प्रचार की रणनीति भी इनको देखकर ही बना रहे हैं.

ये भी पढ़ें: Himachal Day 2023: हिमाचल दिवस पर CM का बड़ा ऐलान, कर्मचारियों और पेंशनरों को 3 प्रतिशत DA की घोषणा, स्पीति की महिलाओं को आजीवन पेंशन

शिमला: नगर निगम शिमला चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां इन दिनों रणनीतियां तैयार कर रही हैं. सभी पार्टियां शहर के वोटरों के समीकरण को समझ रही है. शहर में 85 हजार से ज्यादा मतदाताओं में से सबसे बड़ा वोट बैंक कर्मचारी, कारोबारी और स्टूडेंट्स का है, जोकि नगर निगम की नई सरकार का फैसला करने में बड़ी भूमिका निभाएंगे. यही वजह है कि राजनीतिक पार्टियों की नजर इन वर्गों पर ज्यादा है. क्योंक अगर नगर निगम पर काबिज होना है तो इनका भारी समर्थन जरूरी है.

शिमला नगर निगम चुनाव में इस बार 86 हजार 650 मतदाता अपने मत का इस्तेमाल करेंगे. जिनमें 45 हजार 544 पुरुष और 41 हजार 106 महिला मतदाता हैं. शहर में वोटरों की लिस्ट अपडेट करने के बाद मतदाताओं की संख्या काफी बढ़ी है. 6 मार्च को प्रशासन की ओर से जारी की गई वोटर लिस्ट में 75 हजार 958 मतदाता थे, लेकिन इसमें अपडेट होने के बाद शहर में मतदाताओं की संख्या संख्या 86 हजार 650 हो गई है. इस तरह करीब 10 हजार 692 मतदाताओं की संख्या बढ़ी है.

राजनीतिक पार्टियां उतार रही हैं अपने उम्मीदवार: शिमला नगर निगम चुनावों को लेकर राजनीतिक पार्टियों ने अपने उम्मीदवार उतारने शुरू कर दिए हैं. भाजपा अधिकतर वार्डों में अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है. जबकि कांग्रसे अभी आधे से ज्यादा उम्मीदवारों के नाम फाइनल नहीं कर पाई है. इसी तरह माकपा और आम आदमी पार्टी ने भी इन चुनावों के लिए अपनी एक-एक लिस्ट जारी कर दी है. राजनीतिक पार्टियां उम्मीदवारों को उतारते समय वोटों के समीकरण को देख रही है. यही वजह है कि जिन उम्मीदवारों को उतारा गया है या उतारा जाना है, उनको वोटरों में पैठ के साथ कई अन्य पैमाने पर भी आंका जा रहा है.

शहर में कर्मचारियों का एक बड़ा वोट बैंक: राजधानी होने के नाते शिमला शहर में कर्मचारियों एक बड़ा वोट बैंक है. करीब एक तिहाई वोटर कर्मचारियों से संबंधित है. यहां प्रदेश के हर हिस्से से कर्मचारी हैं. ऐसे में कर्मचारियों के वोटों पर राजनीतिक पार्टियों की नजर टिकी हुई है. सतारूढ़ कांग्रेस पार्टी के साथ-साथ विपक्षी भाजपा भी कर्मचारियों के वोट बैंक पर नजरें गढ़ाए हुए है. अगर सता में आना है तो कर्मचारियों के वोट के बिना यह संभव नहीं हो सकता. यही वजह है कि राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवार भी कर्मचारियों से ज्यादा से ज्यादा संपर्क साध रहे हैं.

कारोबारी तबके का भी बड़ा वोट बैंक: शिमला शहर में कारोबारियों की संख्या भी अच्छी खासी है. शहर में होटल, रेस्टोरेंट, शोरूम, दुकानें चलाने वाले बड़े कारोबारियों के साथ-साथ रेहड़ी फहड़ी वाले और पर्यटन, टैक्सी या इस तरह के काम से जुड़े अन्य लोग भी है. शहर के केंद्रीय हिस्से जैसे मालरोड, मीडिल बाजार, लोअर बाजार, सब्जी मंडी, रामबाजार, लक्कड़ बाजार के अलावा उपनगरों के बाजारों में भी कारोबारी तबके के बड़े वोट हैं. ऐसे में इस तबके की किसी को भी नगर निगम की सता तक पहुंचाने में बड़ी भूमिका है. यही वजह है कि राजनीतिक पार्टियों ने इस तबके के बहुल इलाकों में इन्हीं में से किसी को टिकट देकर चुनाव लड़ाने की रणनीति अपनाई है.

ऊपरी शिमला के वोटरों की शहर में बड़ी तादाद: ऊपरी शिमला के लोग भी शहर में बड़ी संख्या में रहते हैं, जो ज्यादातर बागवान तबका है. नगर निगम के चुनाव में ये भी बड़ी भूमिका निभाएंगे. खासकर संजौली, ढली, जैसे उपनगरों में यह तबका एक बड़ा डिसाइडिंग फैक्टर साबित होने वाला है. इस बार नगर निगम के नियमों में संशोधन होने से विधानसभा के लिए वोटिंग कर चुके लोग भी यहां वोटर लिस्टों में शामिल हुए हैं. ऐसे में इनका भी इन चुनावों पर असर देखने को मिल सकता है.

इसके अलावा शिमला शहर में युवाओं, खासकर छात्रों के भी वोट शिमला शहर बड़ी संख्या में है. युनिवर्सिटी, कॉलेज सहित अन्य शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई करने वाले छात्र भी मतदाता के तौर पर उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करने में अपनी भूमिका निभाएंगे. इस तरह इन चार वर्गों के पास नगर निगम की सता की चाबी रहेगी और यही वजह है कि राजनीतिक पार्टियों और उम्मीदवारों ने अपने चुनाव प्रचार की रणनीति भी इनको देखकर ही बना रहे हैं.

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