शिमला: हिमाचल प्रदेश में सरकार ने उद्योगों के लिए बिजली महंगी कर दी है. प्रदेश सरकार ने उद्योगों पर लगने वाले बिजली शुल्क में भारी बढोतरी की है. बिजली शुल्क 19 फीसदी तक कर दिया गया है. इससे पहले से मंदी की मार से जूझ रहे उद्योगों की हालात खराब होने की आशंका जताई जा रही है. वहीं, विपक्ष भी इसे लेकर सरकार पर हमलावर हो गया है.
उद्योगों में महंगी हुई बिजली: हिमाचल सरकार ने प्रदेश में उद्योगों के लिए बिजली महंगी कर दी है. प्रदेश सरकार ने उद्योगों पर लगने वाले बिजली शुल्क 19 फीसदी तक बढा दिया है, जबकि सीमेंट उद्योगों के लिए यह 25 फीसदी तक किया गया है. हालांकि सरकार ने घरेलू, कृषि और सिंचाई की बिजली के शुल्क में कोई बढ़ोतरी नहीं की है, लेकिन उद्योगों को बिजली शुल्क बढ़ाकर जरूर झटका दिया है. नई दरें एक सितंबर से प्रदेश में उद्योगों पर लागू हो गई है.
उद्योगों में बढ़े हुए बिजली शुल्क: हिमाचल प्रदेश सरकार ने एचटी (हाई टेंशन) के तहत आने वाले उद्योग के लिए बिजली शुल्क 11 फीसदी से बढ़ाकर 19 फीसदी कर दिया है. इसी तरह ईएचटी (एक्सट्रीम हाई टेंशन) उद्योगों के लिए इसे 13 फीसदी से बढ़ाकर 19 फीसदी कर दिया है. इसी तरह छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए बिजली शुल्क 11 फीसदी से 17 फीसदी तक कर दिया है. वहीं, सरकार ने सीमेंट प्लांट पर बिजली शुल्क 17 फीसदी से 25 फीसदी कर दिया है. इसी तरह सरकार ने डीजल जनरेटर सेट द्वारा बिजली उत्पादन पर 45 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली शुल्क लगा दिया है. सरकार के फैसले के मुताबिक स्टोन क्रशरों पर बिजली शुल्क 25 फीसदी रहेगा. प्रदेश सरकार ने कैप्टिव प्रोडक्शन और ग्रीन एनर्जी पर बिजली शुल्क में दी गई रियायत भी वापस ले ली है.
पावर डिपार्टमेंट ने तैयार किया प्रस्ताव: आय बढ़ाने के लिए ऊर्जा विभाग की ओर से उद्योगों के बिजली शुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया था. हालांकि कैबिनेट में यह प्रस्ताव नहीं आया. इसके बाद सरकार ने सर्कुलेशन के माध्यम से सभी मंत्रियों को यह प्रस्ताव भेजकर मंजूर करवाया है. वहीं, इसके लिए विद्युत नियामक आयोग की मंजूरी भी नहीं ली गई, क्योंकि इसके लिए आयोग की मंजूरी जरूरी नहीं थी. सरकार ने इस शुल्क को बढ़ाने के अधिसूचना भी जारी कर दी है. हालांकि सरकार के इस फैसले से उद्योगों पर विपरीत असर पड़ेगा. यही वजह है कि उद्योग जगत शुल्क में की गई इस बढ़ोतरी का विरोध कर रहा है. यही नहीं भाजपा ने भी इस मसले को लेकर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है.
उद्योग जगत की बढ़ेगी मुश्किलें: हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने भले ही आय बढ़ाने के लिए उद्योगों पर लगने वाले बिजली शुल्क को बढ़ाने का फैसला किया है, लेकिन इससे हिमाचल में उद्योगों की हालात खराब होगी. हिमाचल में उद्यमी इसलिए भी उद्योग स्थापित करते हैं, क्योंकि यहां पर बिजली का उत्पादन अपना होता है. इसके अलावा बिजली की दरें भी अन्य राज्यों की तुलना में कम हैं, लेकिन जिस तरह से सरकार ने बिजली शुल्क बढ़ाने का फैसला लिया है. उससे हिमाचल में मौजूदा उद्योगों की आर्थिक हालात खराब तो होगी ही साथ में नए उद्योग भी प्रदेश में निवेश से कतराएंगे.
विपक्ष का प्रदेश सरकार पर निशाना: वहीं, विपक्ष ने भी प्रदेश सरकार को इस मुद्दे पर घेरना शुरू कर दिया है. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार बिजली के शुल्क में वृद्धि करके प्रदेश में चल रहे उद्योगों को बर्बाद करना चाह रही है. उन्होंने कहा कि बिजली के शुल्क को सरकार ने अलग बढ़ाए और पिछली सरकार द्वारा प्रदेश में नए उद्योगों को लगाने हेतु को प्रोत्साहित करने के लिए दी गई रियायत को वापस ले लिया गया है. उन्होंने कहा यह एक दुर्भाग्यपूर्ण और राजनीतिक बदले की भावना से लिया गया फैसला है. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कोरोना के बाद प्रदेश में उद्योग-धंधों को गति देने के लिए उनकी सरकार ने उद्योगों को निर्धारित समय के लिए कुछ रियायत दी थी, उसे भी खत्म कर दिया गया है. जयराम ठाकुर ने कहा ऐसे चलता रहता तो प्रदेश में नए उद्योग आने के बजाय जो यहां काम कर रहे हैं, वे भी बाहर जाने को मजबूर हो जाएंगे.
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