शिमला: सरकार समर क्लोजिंग स्कूलों को डिनोटिफाई करने के फैसले पर रिव्यू करेगी. यह बात आज शिक्षा विभाग पर लाए कटौती प्रस्ताव का जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कही. उन्होंने कहा कि हिमाचल में शिक्षण संस्थान जरूरत के हिसाब से खोले जाएंगे. उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार ने अपने आखिरी कार्यकाल में शिक्षण संस्थान खोले दिए थे. सरकार ने अपने साढ़े चार साल में दो कॉलेज खोले जबकि अंतिम छह माह में ही दो दर्जन कॉलेज खोल डाले.
प्राथमिकता के आधार पर खोले जाएंगे संस्थान- शिक्षा मंत्री ने कहा कि इसके विपरीत पूर्व की वीरभद्र सरकार ने साल 2013 से अप्रैल 2017 तक 42 कॉलेज खोले थे और अंतिम समय में 16 से 17 कॉलेज खोल. जिनमें से 11 कॉलेज जयराम सरकार ने चलाए. रोहित ठाकुर ने शिक्षण संस्थानों को खोलने पर कहा कि उनकी सरकार उन जगहों पर संस्थानों को खोलेगी जहां जरूरत होगी. जरूरत के हिसाब से संस्थानों को प्राथमिकता के आधार पर खोला जाएगा.
शिक्षा में हिमाचल का रैंक 11वें स्थान पर- शिक्षा मंत्री ने कहा कि हिमाचल में हजारों की संख्या में शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं. हालात यह है कि प्रदेश के 455 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है, जबकि 3145 स्कूल एक मात्र शिक्षक के सहारे चल रहे हैं. उन्होंने कहा कि हिमाचल जो कभी शिक्षा के मामले में देशभर में अव्वल रहता था, अब इसकी रैकिंग गिरकर 11वें स्थान पर आ गई है. उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता पूरे हिमाचल में अच्छी और गुणवत्ता वाली शिक्षा के साथ-साथ रोजगार वाली शिक्षा देने की रहेगी.
शिक्षा के लिए घर-द्वार पर स्कूल खुलने जरूरी- इससे पहले श्री नैना देवी जी के विधायक रणधीर शर्मा ने कटौती प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए कहा कि सरकार ने विंटर और समर क्लोजिंग स्कूलों को डिनोटिफाई करने के लिए एक ही नोटिफिकेशन जारी कर दी. उन्होंने कहा कि समर क्लोजिंग स्कूलों में बच्चों की संख्या को 15 अप्रैल तक देखा जाए. उन्होंने कहा कि अभी भी बहुत से गांव हैं जो सड़कों से नहीं जुड़े हैं. इस कारण शिक्षा के लिए घर-द्वार पर स्कूल खुलने जरूरी हैं.
सदन में उठा स्वारघाट कॉलेज डिनोटिफाई मामला- रणधीर शर्मा ने कहा कि अभिभावक नशा बढ़ने के कारण भी अपने बच्चों के घर से दूर भेजना नहीं चाहते. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने संस्थानों को डिनोटिफाई करने का जो दौर चलाया है, उससे शिक्षा विभाग भी अछूता नहीं रहा. उन्होंने स्वारघाट कॉलेज को डिनोटिफाई करने का मामला उठाया और कहा कि इस कॉलेज को उस समय डिनोटिफाई किया गया जब इसमें 40 से अधिक बच्चे दाखिला ले चुके थे.
गांव में बच्चों को स्कूल बसों की दी जाए सुविधा- उन्होंने सरकार से कहा कि सरकार स्कूलों को खोलने के लिए बच्चों की संख्या और इन संस्थानों की डिस्टेंस को मापदंड बनाए. झंडूता के विधायक जेआर कटवाल ने कहा कि डिनोटिफाई किए गए स्कूलों को फिर से बहाल किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि स्कूली बच्चों के लिए बसों की सुविधा भी दी जाए. ग्रामीण इलाकों में छात्रों को बस सुविधा नहीं मिलती. जेआर कटवाल ने कहा कि संस्थानों को बंद करने का फैसला तर्कसंगत नहीं है. उन्होंने इसे राजनीतिक फैसला करार दिया.
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