शिमला: कोरोना काल में देश सहित प्रदेश की आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई है. बड़े व्यापारी हों या फिर छोटे सभी इससे प्रभावित हुए हैं. आर्थिक जानकारों की मानें तो सरकारी और गैर सरकारी कर्मचारियों को कोविड-19 ने प्रभावित किया है.
जानकारों की मानें तो सबसे ज्यादा प्रभावित मध्यम वर्ग हुआ. इस वर्ग पर किसी ने विचार नहीं किया है और इस वर्ग के लोगों ने सरकार से कोई मांग की है. इस समय इस वर्ग को वित्तिय सहायता की आवश्यकता नहीं है. आवश्यकता सिर्फ इनका मनोबल बढ़ाने की है. जयराम सरकार को इनका मनोबल बढ़ाना चाहिए.
आर्थिक मामले के जानकार राजीव सूद बताया कि जयराम सरकार को मध्यम वर्ग पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए. सरकार अगर मध्यम वर्ग को रियायत दी जाती है तो निश्चित तौर पर आने वाले समय में इसका फायदा सभी को होगा.
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को एक लाख से ज्यादा प्रवासियों को भी काम मुहैया करवाना होगा. इस दिशा में सोच विचार कर ही कदम सरकार को उठाना चाहिए, ताकि कोविड-19 से जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई आने वाले समय में की जाए.
उन्होंने कहा कि सबसे निचले तबके के लिए सरकार ने कई घोषणाएं की और वह होनी भी चाहिए थीं. अब सरकार को उदारता दिखाकर चाहे टूरिज्म का क्षेत्र हो या फिर अन्य क्षेत्र, सभी पर गंभीरता से विचार करके कदम बढ़ाना चाहिए.
करीब 600 करोड़ का घाटा
आर्थिक मामले के जानकार प्रदीप चौहान ने बताया कि कोविड-19 के कारण करीब 500 से 600 करोड़ का नुकसान प्रदेश सरकार को होने का अनुमान लगाया गया है. 2020-21 केंद्र से जो सहायत मिलेगी उसकी कुल रकम 20 हजार 672 करोड़ है.
सेंट्रल टैक्स रेवन्यू का शेयर 6 हजार 265 करोड़ और प्रदेश का अपना 9 हजार करोड़ अनुमानित है. 2 हजार 400 करोड़ का अपना न्यू नॉन टैक्स रेवन्यू है.
केंद्र से मिलने वाली 20 हजार 672 करोड़ की सहायता के साथ 38 हजार 438 करोड़ की शीट तैयार की गई है. अप्रैल में केंद्र से जो सहायता मिलती थी वो मिल चुकी है. आने वाले समय में प्रदेश सरकार घाटे से निकलेगी ऐसा अनुमान है.