शिमला: एप्पल स्टेट (Apple State) होने के साथ-साथ हिमाचल पावर स्टेट(Energy State) भी कहलाता है. यहां जलविद्युत उत्पादन की क्षमता देश के अन्य राज्यों के मुकाबले अच्छी है. देवभूमि हिमाचल में 27436 मेगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता है. अपनी जरूरत से अधिक बिजली होने के कारण हिमाचल देश के अन्य राज्यों को बिजली की आपूर्ति करता है. मानसून सीजन में हिमाचल की बिजली देश के अन्य राज्यों को रोशन करती है.
अमूमन हिमाचल प्रदेश जुलाई महीने में बिजली बेचता है. चूंकि इस समय नदियों में जलस्तर भी अच्छा होता है. राज्य में बिजली बेचने का जिम्मा ऊर्जा निदेशालय के पास होता है. इस बार प्रदेश ने 300 मिलियन यूनिट से अधिक बिजली बेचने का लक्ष्य रखा है. इसी सप्ताह टेंडर ओपन होंगे. ऊर्जा निदेशालय ने इसके लिए 25 जून का समय तय किया है.
- ऊर्जा लेन-देन के लिए बैंकिंग सिस्टम
ऊर्जा लेन-देन के लिए हिमाचल बैंकिंग सिस्टम का प्रयोग करता है. इस सिस्टम के तहत हिमाचल प्रदेश जरूरत पड़ने पर देश के मैदानी इलाकों को बिजली देता है. ऐसे समय में हिमाचल प्रदेश उन राज्यों से बिजली वापिस लेता है, जिन्हें मानसून सीजन में ऊर्जा दी गई हो. ये बैंकिंग सिस्टम इसलिए भी अपनाया गया है, क्योंकि कई राज्य बिजली तो खरीद लेते थे, लेकिन उसकी रकम नहीं चुकाते थे. हिमाचल ने एक बार उत्तर प्रदेश सरकार से बड़ी मुश्किल से बिजली बिक्री की बकाया रकम वसूल की थी. उसके बाद से बैंकिंग सिस्टम को प्राथमिकता दी जाती है. इसमें ऊर्जा का लेन-देन ही होता है.
- मानसून में दी बिजली, विंटर में वापिस लेता है हिमाचल
हिमाचल प्रदेश में मानसून सीजन में बिजली उत्पादन फुल कैपेस्टी पर होता है. ऐसे में सरप्लस बिजली देश के मैदानी राज्यों को दी जाती है. हिमाचल प्रदेश इस साल मानसून सीजन में 300 मिलियन यूनिट से अधिक बिजली पंजाब, दिल्ली आदि राज्यों को देगा. बाद में हिमपात के दौरान ये बिजली वापिस ले लेता है. जुलाई से अक्टूबर आरंभ तक हिमाचल देश के राज्यों को बिजली देता है. बाद में नवंबर से मार्च तक वापिस लेता है.
बैंकिंग सिस्टम के माध्यम से अभी इस समय हिमाचल दिल्ली को 500 मिलियन यूनिट और पंजाब को 35 मिलियन यूनिट बिजली दे रहा है. जरूरत के अनुसार बिजली बेची भी जाती है. यानी बैंकिंग सिस्टम के अलावा बिक्री भी होती है. बैंकिंग सिस्टम का लाभ ये भी होता है कि यदि हिमाचल पहले बिजली देता है तो वापसी के समय उसे करार के अनुसार कुछ फीसदी अतिरिक्त ऊर्जा भी मिलती है.
- अरूणाचल प्रदेश को भी किया रोशन, कमाए 100 करोड़
हिमाचल प्रदेश ने 2019 में अरूणाचल प्रदेश को 2500 मिलियन यूनिट से अधिक बिजली बेची. बिजली की ये बिक्री 13 महीने तक की गई और इससे हिमाचल प्रदेश को सौ करोड़ रुपए की आय हुई. इसके लिए दोनों सरकारों के बीच बाकायदा एमओयू हुआ था. हिमाचल ने अरूणाचल प्रदेश को चार रुपए बीस पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली बेची थी. एमओयू होने के अगले ही साल यानी 2020 में ये सप्लाई की गई थी. इससे पहले 2012 में इसी तर्ज पर हिमाचल ने पश्चिमी बंगाल को भी बिजली बेची थी.
यदि वर्ष 2018 की बात करें तो हिमाचल प्रदेश ने तीस लाख यूनिट बिजली दिल्ली की दो कंपनियों को बेची थी. यमुना पावर लिमिटेड को 24 लाख यूनिट और राजधानी पावर लिमिटेड को 6 लाख यूनिट बिजली बेची गई. यही नहीं, उत्तर प्रदेश और बिहार को भी 4.5 लाख यूनिट बिजली बेची गई. ये बिजली क्रमश: 4.26 पैसे प्रति यूनिट और 5.41 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से दी गई. इससे पूर्व 2017 में हिमाचल ने पंजाब, हरियाणा, यूपी, पंजाब व राजस्थान को 1550 मिलियन यूनिट बिजली बेची थी.
- 2017 में हिमाचल ने कमाए थे 1000 करोड़
बिजली की बिक्री के हिसाब से 2017 का साल हिमाचल के लिए बहुत अच्छा रहा था. तब हिमाचल ने बिजली के प्रति यूनिट दाम बढ़ाकर पड़ौसी राज्यों को बिजली बेची. उस साल हिमाचल ने एक हजार करोड़ रुपए कमाए थे. वर्ष 2016 में भी हिमाचल प्रदेश ने 760 करोड़ रुपए की कमाई बिजली बेचकर की थी.
वर्ष 2017 में एक रोचक बात ये हुई कि देश भर में बिजली की खरीद की डिमांड का ट्रेंड कम था. अचानक से डिमांड बढ़ी तो उसे केवल हिमाचल ही पूरा कर सकता था. उस साल लक्ष्य 630 करोड़ रुपए की बिजली बेचने का था, लेकिन डिमांड बढ़ने से ये आंकड़ा एक हजार करोड़ रुपए पार कर गया. वर्ष 2017 में पावर ट्रेडिंग के माध्यम से 3017 मिलियन यूनिट बिजली बेची. वहीं, 2016 में ये आंकड़ा 2879 मिलियन यूनिट का था.
- नवरत्न कंपनी एसजेवीएनएल (SJVNL) का भी सहारा
केंद्र सरकार की तरफ से नवरत्न कंपनी की श्रेणी में शामिल सतलुज जलविद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएनएल) का भी हिमाचल को बड़ा सहारा है. हिमाचल सरकार का इस जलविद्युत कंपनी में 25.51 फीसदी का शेयर है. इससे कंपनी के लाभ का हिस्सा प्रदेश सरकार को भी मिलता है. हिमाचल को वित्त वर्ष 2016-17 में सतलुज जलविद्युत कंपनी से लाभांश के रूप में 290.13 करोड़ रुपए मिले थे. दिलचस्प तथ्य ये है कि सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड अकसर लक्ष्य से अधिक ऊर्जा पैदा करती है.
वर्ष 2016-17 में एसजेवीएनएल ने 8700 मिलीयन यूनिट बिजली उत्पादन के लक्ष्य के मुकाबले 9045 मिलीयन यूनिट बिजली पैदा की. इस तरह एसजेवीएनएल ने उस वित्तीय वर्ष में 2468.66 करोड़ रुपए का राजस्व कमाया. सभी तरह के टैक्स आदि चुकाने के बाद एसजेवीएनएल(SJVNL) ने 1544. 14 करोड़ रुपए का लाभ कमाया. इसी लाभ में से प्रदेश सरकार को अपने 25.51 फीसदी हिस्से के तौर पर 290 करोड़ रुपए से अधिक का लाभांश दिया है.
- 10 हजार 200 करोड़ रुपए नेटवर्थ
इस कंपनी की स्थापना मई 1988 में हुई थी. कंपनी की नेटवर्थ इस समय 10 हजार 200 करोड़ रुपए से अधिक है. एसजेवीएनएल हिमाचल प्रदेश में देश का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट संचालित करती है. डेढ़ हजार मेगावाट के नाथपा झाकड़ी जलविद्युत स्टेशन से शुरूआत करके इसने हिमाचल प्रदेश में 412 मेगावाट का रामपुर जलविद्युत स्टेशन व महाराष्ट्र में 47.6 मेगावाट की खिरवीरे पवन विद्युत परियोजना को कमीशन किया है. एसजेवीएन वर्तमान में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, गुजरात, राजस्थान तथा अरूणाचल प्रदेश के अलावा पड़ोसी देशों नेपाल तथा भूटान में भी विद्युत परियोजनाएं चला रहा है.
- एक दिन में पैदा की 39 मिलियन यूनिट बिजली
देश के सबसे बड़े पावर स्टेशन नाथपा-झाकड़ी ने 2014 में अपना ही रिकॉर्ड तोड़ते हुए एक दिन में 39 मिलियन यूनिट बिजली पैदा की थी. सतलुज जलविद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएन) का नाथपा झाकड़ी पावर स्टेशन देश का सबसे बड़ा भूमिगत पावर स्टेशन है. इस परियोजना का बांध किन्नौर जिला में है और पावर स्टेशन शिमला जिला के नाथपा-झाकड़ी में स्थित है. सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड का नाथपा-झाकड़ी पावर स्टेशन कई मायनों में अनूठा है. इस भूमिगत पावर स्टेशन में मशीनों के संचालन में आधुनिक तकनीकों का समावेश किया गया है.
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