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शिमला में जड़ें फैला रहा नशे का कारोबार! 2020 में 297 लोगों से नशीले पदार्थ बरामद - शिमला में नशे का कारोबार

शिमला में नशे का कारोबार थम नहीं रहा है. साल 2020 की करें तो एनडीपीएस एक्ट के तहत कुल 193 मामले दर्ज किए गए हैं. साल 2019 में एनडीपीएस एक्ट के कुल 154 मामले दर्ज किए गए थे. शिमला के एएसपी प्रवीर ठाकुर ने कहा कि नशीले पदार्थों की सप्लाई करने वाले तस्कारों को पुलिस बदार्शत नहीं करेंगी.

narcotics recovered from 297 people in 2020 as Drug business is increasing in Shimla
शिमला में जड़ें फैला रहा नशे का कारोबार, 2020 में 297 लोगों से नशीले पदार्थ बरामद
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Published : Dec 18, 2020, 7:50 PM IST

शिमलाः पहाड़ों की रानी और पर्यटन नगरी शिमला में नशे का कारोबार थम नहीं रहा है. जिला में नशा माफिया की गतिविधियां लगातार बढ़ती जा रही हैं. जिस कारण जिला में नशीले पदार्थों का व्यापार काफी फल-फूल रहा है. पुलिस विभाग द्वारा पकड़े गए नशीले पदार्थों के मामले यहां पर चल रहे नशे के इस कारोबार को बयां कर रहे हैं.

2019 की अपेक्षा 2020 में बढ़े तस्करी के मामले

पुलिस प्रशासन के आंकड़ों के मुताबिक, जिला में साल 2020 में अब तक 297 लोगों से नशीले पदार्थ पकड़े जा चुके हैं जिनमें 8 महिलाएं और 289 पुरुष शामिल हैं. पिछले साल की अपेक्षा इस साल नशीले पदार्थों के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. साल 2019 में 263 लोगों से नशीले पदार्थ पकड़े गए थे जिसमें 10 महिलाएं और 253 पुरुष शामिल थे.


2020 में एनडीपीएस एक्ट के तहत कुल 193 मामले दर्ज

अगर बात साल 2020 की करें तो एनडीपीएस एक्ट के तहत कुल 193 मामले दर्ज किए गए हैं. जिसमें 67 मामलों में 26.618 किलो ग्राम चरस, 11 मामले में 6.750 किलो ग्राम अफीम, 1 मामले में 5.79 ग्राम स्मैक, 81 मामलों में 1.129 किलो ग्राम चिट्टा, 2 मामलों में पपी हस्क 207.26 ग्राम, 1 मामले में ब्राउन शुगर 5.54 ग्राम, 16 मामलों में पपी प्लांटस 11347, 4 मामलों में भांग के पौधे 6849, 2 मामलों में कैप्सूल इएस एनओएस 380, 3 मामलों में टैबलेट एस.इन एन.ओ.एस. 602 और 5 मामलों में रेक्सकोफ बोतल 209 पकड़े हैं. इसके अलावा आरोपियों से 1 लाख 53 हजार 320 रुपये कैश भी बरामद किया गया है.

साल 2019 में एनडीपीएस एक्ट के कुल 154 मामले दर्ज

साल 2019 में एनडीपीएस एक्ट के कुल 154 मामले दर्ज किए गए थे. इनमें 48 मामलों में 11.440 किलोग्राम चरस, 8 मामलों में 7.938 किलोग्राम अफीम, 1 मामले में गांजा 20 ग्राम, 83 मामलों में चिट्टा 1.959 किलोग्राम, 6 मामलों में पॉपी प्लांट 3555, 3 मामलों में भांग के पौधे 860, 2 मामलों में टैबलेट एसइन एनओएस 287 और 3 मामलों में रेक्सकोफ 104 पकड़े हैं. इसके अलावा आरोपियों से 3 लाख 44 हजार 760 रुपये कैश बरामद किया गया है.

पिछले साल की अपेक्षा इस साल में कई गुना अधिक नशीले पदार्थ पकड़े गए हैं. इससे तो साफ जाहिर है कि जिला शिमला नशे की जाल में फंस चुका है. हालांकि पुलिस ने कई तस्कारों का पर्दाफाश कर चुकी है लेकिन फिर भी छोटे-छोटे तस्कर नशीले पदार्थों की सप्लाई करने से बाज नहीं आ रहे हैं. आंकड़ों के मुताबिक, सबसे ज्यादा चरस व चिट्टा की सप्लाई हो रही है.

इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोग चिट्टा और चरस के काफी शैकिन हो चुके हैं. पुलिस नशीले पदार्थों को पकड़ने के लिए स्पेशल अभियान भी चलाती है जिसके तहत इन तस्करों को पकड़ा गया है. लगातार बढ़ रहे मामलों को लेकर पुलिस को और ज्यादा अर्लट होना पड़ेगा वरना यहां पर कोरोबार काफी ज्यादा बढ़ सकता है.

कहां से हो रही नशीले पदार्थ की सप्लाई?

पुलिस द्वारा जो छोटे तस्कर पकड़े जाते है वे यह नहीं बताते कि वे नशीले पदार्थ कहां से लाए थे. ऐसे में पुलिस बड़े तस्करों तक नहीं पहुंच पाती. कुछ ही मामलों में पुलिस ने बड़े तस्करों का पर्दाफाश किया है. पुलिस द्वारा जारी आंकड़ों से तो यही साबित होता है कि नशीले पदार्थों की सप्लाई बाहरी राज्य से ही हो रही है क्योंकि हिमाचल में इतना ज्यादा नशीले पदार्थों का व्यापार नहीं होता है. अगर समय रहते पुलिस ने तस्करों का पर्दाफाश नहीं किया तो लोग जल्द ही भारी मात्रा में नशे की चपेट में आ जाएंगे.

नशे का शिकार हो रहे युवा

नशा करना न स्टाइल स्टेटमेंट है और न ही तनाव का कोई समाधान. यह सिर्फ नाशवान होता है जिसके दुष्परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं. अधिकतर वाहन दुर्घटनाओं का कारण नशा ही होता है जिनमें कई लोग अपनी जान गंवा देते हैं. इसके अलावा नशे के कारण ही पारिवारिक झगड़े भी बढ़ रहे हैं. हर उम्र के लोग नशे के जाल में फंसते जा रहे हैं.

नशे की गिरफ्त में 12 साल से 60 साल तक के लोग शामिल हैं जिनमें कुछ महिलाएं भी शामिल हैं. विशेष रूप से स्कूल और कॉलेज जाने वाले छात्र में नशे की प्रवृति बड़ी तेजी से बढ़ रही है. हिमाचल प्रदेश सरकार भी नशे को मुक्त करने के लिए काफी प्रयास कर रही है लेकिन नशीले पदार्थों का कारोबार खतरा बन चुका है। देश को नशामुक्त बनाने के लिए प्रदेश सरकार व पुलिस प्रशासन ही नहीं बल्कि नशा न करने वाले लोगों को भी नशा मुक्त करवाने के प्रयास करने होंगे, तभी युवा पीढ़ी नशे से बच सकती है.

बदार्शत नहीं किए जाएंगे तस्कर: एएसपी

शिमला के एएसपी प्रवीर ठाकुर ने कहा कि नशीले पदार्थों की सप्लाई करने वाले तस्कारों को पुलिस बदार्शत नहीं करेंगी. वैसे तो हर समय पुलिस अलर्ट है लेकिन बीच-बीच में पुलिस नशीले पदार्थों को पकड़ने के लिए स्पेशल अभियान भी चलाती है. इस साल जिला में पुलिस ने नशीले पदार्थों संग कई लोगों को पकड़ा है और आगे भी पुलिस की यही कोशिश रहेगी कि जिला में किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थ की सप्लाई न हो. जिला को शीघ्र ही नशामुक्त बनाया जाएगा.

ये भी पढ़ेंः जयराम सरकार के फैसले नहीं तर्कसंगत, नाइट कर्फ्यू के फैसले पर फिर किया जाए विचारः राठौर

शिमलाः पहाड़ों की रानी और पर्यटन नगरी शिमला में नशे का कारोबार थम नहीं रहा है. जिला में नशा माफिया की गतिविधियां लगातार बढ़ती जा रही हैं. जिस कारण जिला में नशीले पदार्थों का व्यापार काफी फल-फूल रहा है. पुलिस विभाग द्वारा पकड़े गए नशीले पदार्थों के मामले यहां पर चल रहे नशे के इस कारोबार को बयां कर रहे हैं.

2019 की अपेक्षा 2020 में बढ़े तस्करी के मामले

पुलिस प्रशासन के आंकड़ों के मुताबिक, जिला में साल 2020 में अब तक 297 लोगों से नशीले पदार्थ पकड़े जा चुके हैं जिनमें 8 महिलाएं और 289 पुरुष शामिल हैं. पिछले साल की अपेक्षा इस साल नशीले पदार्थों के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. साल 2019 में 263 लोगों से नशीले पदार्थ पकड़े गए थे जिसमें 10 महिलाएं और 253 पुरुष शामिल थे.


2020 में एनडीपीएस एक्ट के तहत कुल 193 मामले दर्ज

अगर बात साल 2020 की करें तो एनडीपीएस एक्ट के तहत कुल 193 मामले दर्ज किए गए हैं. जिसमें 67 मामलों में 26.618 किलो ग्राम चरस, 11 मामले में 6.750 किलो ग्राम अफीम, 1 मामले में 5.79 ग्राम स्मैक, 81 मामलों में 1.129 किलो ग्राम चिट्टा, 2 मामलों में पपी हस्क 207.26 ग्राम, 1 मामले में ब्राउन शुगर 5.54 ग्राम, 16 मामलों में पपी प्लांटस 11347, 4 मामलों में भांग के पौधे 6849, 2 मामलों में कैप्सूल इएस एनओएस 380, 3 मामलों में टैबलेट एस.इन एन.ओ.एस. 602 और 5 मामलों में रेक्सकोफ बोतल 209 पकड़े हैं. इसके अलावा आरोपियों से 1 लाख 53 हजार 320 रुपये कैश भी बरामद किया गया है.

साल 2019 में एनडीपीएस एक्ट के कुल 154 मामले दर्ज

साल 2019 में एनडीपीएस एक्ट के कुल 154 मामले दर्ज किए गए थे. इनमें 48 मामलों में 11.440 किलोग्राम चरस, 8 मामलों में 7.938 किलोग्राम अफीम, 1 मामले में गांजा 20 ग्राम, 83 मामलों में चिट्टा 1.959 किलोग्राम, 6 मामलों में पॉपी प्लांट 3555, 3 मामलों में भांग के पौधे 860, 2 मामलों में टैबलेट एसइन एनओएस 287 और 3 मामलों में रेक्सकोफ 104 पकड़े हैं. इसके अलावा आरोपियों से 3 लाख 44 हजार 760 रुपये कैश बरामद किया गया है.

पिछले साल की अपेक्षा इस साल में कई गुना अधिक नशीले पदार्थ पकड़े गए हैं. इससे तो साफ जाहिर है कि जिला शिमला नशे की जाल में फंस चुका है. हालांकि पुलिस ने कई तस्कारों का पर्दाफाश कर चुकी है लेकिन फिर भी छोटे-छोटे तस्कर नशीले पदार्थों की सप्लाई करने से बाज नहीं आ रहे हैं. आंकड़ों के मुताबिक, सबसे ज्यादा चरस व चिट्टा की सप्लाई हो रही है.

इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोग चिट्टा और चरस के काफी शैकिन हो चुके हैं. पुलिस नशीले पदार्थों को पकड़ने के लिए स्पेशल अभियान भी चलाती है जिसके तहत इन तस्करों को पकड़ा गया है. लगातार बढ़ रहे मामलों को लेकर पुलिस को और ज्यादा अर्लट होना पड़ेगा वरना यहां पर कोरोबार काफी ज्यादा बढ़ सकता है.

कहां से हो रही नशीले पदार्थ की सप्लाई?

पुलिस द्वारा जो छोटे तस्कर पकड़े जाते है वे यह नहीं बताते कि वे नशीले पदार्थ कहां से लाए थे. ऐसे में पुलिस बड़े तस्करों तक नहीं पहुंच पाती. कुछ ही मामलों में पुलिस ने बड़े तस्करों का पर्दाफाश किया है. पुलिस द्वारा जारी आंकड़ों से तो यही साबित होता है कि नशीले पदार्थों की सप्लाई बाहरी राज्य से ही हो रही है क्योंकि हिमाचल में इतना ज्यादा नशीले पदार्थों का व्यापार नहीं होता है. अगर समय रहते पुलिस ने तस्करों का पर्दाफाश नहीं किया तो लोग जल्द ही भारी मात्रा में नशे की चपेट में आ जाएंगे.

नशे का शिकार हो रहे युवा

नशा करना न स्टाइल स्टेटमेंट है और न ही तनाव का कोई समाधान. यह सिर्फ नाशवान होता है जिसके दुष्परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं. अधिकतर वाहन दुर्घटनाओं का कारण नशा ही होता है जिनमें कई लोग अपनी जान गंवा देते हैं. इसके अलावा नशे के कारण ही पारिवारिक झगड़े भी बढ़ रहे हैं. हर उम्र के लोग नशे के जाल में फंसते जा रहे हैं.

नशे की गिरफ्त में 12 साल से 60 साल तक के लोग शामिल हैं जिनमें कुछ महिलाएं भी शामिल हैं. विशेष रूप से स्कूल और कॉलेज जाने वाले छात्र में नशे की प्रवृति बड़ी तेजी से बढ़ रही है. हिमाचल प्रदेश सरकार भी नशे को मुक्त करने के लिए काफी प्रयास कर रही है लेकिन नशीले पदार्थों का कारोबार खतरा बन चुका है। देश को नशामुक्त बनाने के लिए प्रदेश सरकार व पुलिस प्रशासन ही नहीं बल्कि नशा न करने वाले लोगों को भी नशा मुक्त करवाने के प्रयास करने होंगे, तभी युवा पीढ़ी नशे से बच सकती है.

बदार्शत नहीं किए जाएंगे तस्कर: एएसपी

शिमला के एएसपी प्रवीर ठाकुर ने कहा कि नशीले पदार्थों की सप्लाई करने वाले तस्कारों को पुलिस बदार्शत नहीं करेंगी. वैसे तो हर समय पुलिस अलर्ट है लेकिन बीच-बीच में पुलिस नशीले पदार्थों को पकड़ने के लिए स्पेशल अभियान भी चलाती है. इस साल जिला में पुलिस ने नशीले पदार्थों संग कई लोगों को पकड़ा है और आगे भी पुलिस की यही कोशिश रहेगी कि जिला में किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थ की सप्लाई न हो. जिला को शीघ्र ही नशामुक्त बनाया जाएगा.

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