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हिमाचल की सेहत मंद होने से बचाता है यहां का हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर, प्रदेश में सरप्लस हैं मेडिकल ऑफिसर्स

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Published : Jul 1, 2023, 7:33 PM IST

हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में हिमाचल प्रदेश के देश के कई राज्यों से आगे है. महज 70 लाख की आबादी में स्वास्थ्य संस्थानों से लेकर डॉक्टरों की संख्या तक अच्छी खासी है. औसतन प्रति व्यक्ति डॉक्टर के मामले में भी हिमाचल का औसत राष्ट्रीय औसत से अच्छा है. हिमाचल के स्वास्थ्य क्षेत्र के बारे में जानने के लिए पढ़ें.

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शिमला: हिमाचल प्रदेश छोटा पहाड़ी राज्य है, लेकिन यहां का हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर देश के अन्य राज्यों के मुकाबले बेहतर है. आश्चर्य की बात है कि हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य ढांचे की रीढ़ समझे जाने वाले मेडिकल ऑफिसर्स यानी एमबीबीएस डॉक्टर्स के पद सरप्लस हैं. प्रदेश में मेडिकल ऑफिसर्स की कुल सेंक्शन पोस्टें 2499 हैं और यहां 2514 मेडिकल ऑफिसर्स सेवाएं दे रहे हैं. हिमाचल में पहले मेडिकल ऑफिसर्स के कुल पद 2200 थे. पूर्व सरकार के समय 500 डॉक्टर्स के नए पद सृजित करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी. जिसके बाद राज्य का कैडर 2700 किया गया था. उसमें से अभी सेंक्शन पोस्ट 2499 हैं.

आलम ये है कि पहले हिमाचल में डॉक्टर्स की कमी के कारण सरकार वॉक-इन-इंटरव्यू आयोजित करती थी यानी एमबीबीएस की डिग्री कंप्लीट हुई और उधर सरकारी नौकरी का अवसर केवल इंटरव्यू के ही जरिए मिल जाता था. इंटरव्यू में केवल डॉक्टर्स की डिग्री और कागजात देखे जाते थे और नियुक्ति मिल जाती थी. अब डॉक्टर्स सरप्लस हो गए तो वॉक-इन-इंटरव्यू की प्रक्रिया नहीं अपनाई जा रही. ये सही है कि हिमाचल के पास पर्याप्त संख्या में मेडिकल ऑफिसर्स हैं, लेकिन पीजी डॉक्टर्स की जरूर कमी है. फील्ड में विशेषज्ञ डॉक्टर्स पर्याप्त नहीं है. हिमाचल में इस समय फील्ड में 380 से अधिक पीजी डॉक्टर्स सेवाएं दे रहे हैं. प्रदेश को फील्ड में 600 के करीब विशेषज्ञ डॉक्टर्स की जरूरत है.

हिमाचल की सेहत का राज़
हिमाचल की सेहत का राज़

हिमाचल प्रदेश में 2022-23 के सेशन में एमबीबीएस की 870 सीटें भरी गई. इनमें 720 सरकारी मेडिकल कॉलेज व 150 निजी मेडिकल कॉलेज में थी. इसी तरह पीजी यानी एमडी/एमएस यानी विशेषज्ञ डॉक्टर्स की 322 सीटें भरी गईं. स्वास्थ्य सुविधाओं की बात की जाए तो हिमाचल प्रदेश में 4.78 लाख परिवार कैशलेस उपचार के पात्र हैं. वहीं, सत्तर लाख की आबादी के लिए अगर इन्फ्रास्ट्रक्चर देखा जाए तो हिमाचल प्रदेश में आईजीएमसी शिमला, डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा, डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज नाहन, नेरचौक मेडिकल कॉलेज, डॉ. राधाकृष्णन मेडिकल कॉलेज हमीरपुर, जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज चंबा के तौर पर सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं. इसके अलावा प्राइवेट सेक्टर में एमएमयू मेडिकल कॉलेज सोलन जिला के कुमारहट्टी में है. बिलासपुर में एम्स फंक्शनल हो चुका है. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में 108 सिविल अस्पताल हैं. कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर्स की संख्या 104, प्राइमरी हेल्थ सेंटर्स की संख्या 580 व ईएसआई औषधालयों की संख्या 16 है.

अन्य बड़े संस्थानों की बात की जाए तो हिमाचल में राजधानी शिमला में राज्य स्तरीय मातृ व शिशु कल्याण अस्पताल है. रीजनल कैंसर सेंटर भी शिमला में है. जोनल अस्पतालों की बात की जाए तो शिमला में डीडीयू अस्पताल सहित हमीरपुर, बिलासपुर, मंडी, कुल्लू, सोलन, धर्मशाला, चंबा, ऊना, रिकांगपिओ में जोनल अस्पताल हैं. शिमला के चम्याणा में सुपर स्पेशिएलिटी हेल्थ इंस्टीट्यूट को फंक्शनल करने की दिशा में काम किया जा रहा है.

हिमाचल की सेहत का राज़
हिमाचल की सेहत का राज़

हिमाचल प्रदेश में सरकार अपने नागरिकों के स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति देश में सबसे अधिक खर्च करने वाली सरकारों में से एक है. हिमाचल में प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य सुविधाओं पर 27,400 रुपए खर्च होते हैं. ये देश में हिमालयी राज्यों में जेएंडके के बाद सर्वाधिक है. हिमाचल में इस समय 2600 लोगों पर एक हेल्थ सब-सेंटर की सुविधा है. राष्ट्रीय स्तर पर ये औसत 5470 है. इसी तरह प्रदेश में एक प्राइमरी हेल्थ सेंटर कुल 11521 लोगों को सुविधाएं देता है. वहीं, राष्ट्रीय औसत 34 हजार से अधिक है. हिमाचल में एक कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर 76,418 लोगों को स्वास्थ्य देखभाल देता है. वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर ये औसत 1.68 लाख है. हिमाचल प्रदेश में 3081 लोगों पर एक डॉक्टर की सुविधा है, वहीं नेशनल एवरेज साढ़े सात हजार से अधिक है.

हिमाचल में पोषण, शिशु मृत्यु दर व लिंग अनुपात के आंकड़े भी देश के अन्य राज्यों के मुकाबले बेहतर है. राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डॉयरेक्टर डॉ. रमेश चंद के अनुसार सभी सरकारों ने हिमाचल में स्वास्थ्य ढांचा विकसित करने की दिशा में अच्छा काम किया है. हिमाचल प्रदेश में हेल्थ सब सेंटर से लेकर सिविल अस्पताल व मेडिकल कॉलेज अस्पताल का विशाल नेटवर्क है. हालांकि अभी भी स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी काम किया जाना बाकी है. डॉ. रमेश का कहना है कि एम्स बिलासपुर के पूरी तरह से फंक्शनल हो जाने के बाद हिमाचल की जनता को बहुत लाभ होगा.

ये भी पढें: हिमाचल में सेहत का हाल, 3 महीने में जोनल अस्पतालों से 1902 मरीज रेफर, अकेले ऊना से 780 रोगी भेजे PGI

ये भी पढ़ें: हिमाचल के सबसे बड़े अस्पताल में आग का तांडव, तस्वीरें रोंगटे खड़े कर देंगी

शिमला: हिमाचल प्रदेश छोटा पहाड़ी राज्य है, लेकिन यहां का हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर देश के अन्य राज्यों के मुकाबले बेहतर है. आश्चर्य की बात है कि हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य ढांचे की रीढ़ समझे जाने वाले मेडिकल ऑफिसर्स यानी एमबीबीएस डॉक्टर्स के पद सरप्लस हैं. प्रदेश में मेडिकल ऑफिसर्स की कुल सेंक्शन पोस्टें 2499 हैं और यहां 2514 मेडिकल ऑफिसर्स सेवाएं दे रहे हैं. हिमाचल में पहले मेडिकल ऑफिसर्स के कुल पद 2200 थे. पूर्व सरकार के समय 500 डॉक्टर्स के नए पद सृजित करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी. जिसके बाद राज्य का कैडर 2700 किया गया था. उसमें से अभी सेंक्शन पोस्ट 2499 हैं.

आलम ये है कि पहले हिमाचल में डॉक्टर्स की कमी के कारण सरकार वॉक-इन-इंटरव्यू आयोजित करती थी यानी एमबीबीएस की डिग्री कंप्लीट हुई और उधर सरकारी नौकरी का अवसर केवल इंटरव्यू के ही जरिए मिल जाता था. इंटरव्यू में केवल डॉक्टर्स की डिग्री और कागजात देखे जाते थे और नियुक्ति मिल जाती थी. अब डॉक्टर्स सरप्लस हो गए तो वॉक-इन-इंटरव्यू की प्रक्रिया नहीं अपनाई जा रही. ये सही है कि हिमाचल के पास पर्याप्त संख्या में मेडिकल ऑफिसर्स हैं, लेकिन पीजी डॉक्टर्स की जरूर कमी है. फील्ड में विशेषज्ञ डॉक्टर्स पर्याप्त नहीं है. हिमाचल में इस समय फील्ड में 380 से अधिक पीजी डॉक्टर्स सेवाएं दे रहे हैं. प्रदेश को फील्ड में 600 के करीब विशेषज्ञ डॉक्टर्स की जरूरत है.

हिमाचल की सेहत का राज़
हिमाचल की सेहत का राज़

हिमाचल प्रदेश में 2022-23 के सेशन में एमबीबीएस की 870 सीटें भरी गई. इनमें 720 सरकारी मेडिकल कॉलेज व 150 निजी मेडिकल कॉलेज में थी. इसी तरह पीजी यानी एमडी/एमएस यानी विशेषज्ञ डॉक्टर्स की 322 सीटें भरी गईं. स्वास्थ्य सुविधाओं की बात की जाए तो हिमाचल प्रदेश में 4.78 लाख परिवार कैशलेस उपचार के पात्र हैं. वहीं, सत्तर लाख की आबादी के लिए अगर इन्फ्रास्ट्रक्चर देखा जाए तो हिमाचल प्रदेश में आईजीएमसी शिमला, डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा, डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज नाहन, नेरचौक मेडिकल कॉलेज, डॉ. राधाकृष्णन मेडिकल कॉलेज हमीरपुर, जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज चंबा के तौर पर सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं. इसके अलावा प्राइवेट सेक्टर में एमएमयू मेडिकल कॉलेज सोलन जिला के कुमारहट्टी में है. बिलासपुर में एम्स फंक्शनल हो चुका है. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में 108 सिविल अस्पताल हैं. कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर्स की संख्या 104, प्राइमरी हेल्थ सेंटर्स की संख्या 580 व ईएसआई औषधालयों की संख्या 16 है.

अन्य बड़े संस्थानों की बात की जाए तो हिमाचल में राजधानी शिमला में राज्य स्तरीय मातृ व शिशु कल्याण अस्पताल है. रीजनल कैंसर सेंटर भी शिमला में है. जोनल अस्पतालों की बात की जाए तो शिमला में डीडीयू अस्पताल सहित हमीरपुर, बिलासपुर, मंडी, कुल्लू, सोलन, धर्मशाला, चंबा, ऊना, रिकांगपिओ में जोनल अस्पताल हैं. शिमला के चम्याणा में सुपर स्पेशिएलिटी हेल्थ इंस्टीट्यूट को फंक्शनल करने की दिशा में काम किया जा रहा है.

हिमाचल की सेहत का राज़
हिमाचल की सेहत का राज़

हिमाचल प्रदेश में सरकार अपने नागरिकों के स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति देश में सबसे अधिक खर्च करने वाली सरकारों में से एक है. हिमाचल में प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य सुविधाओं पर 27,400 रुपए खर्च होते हैं. ये देश में हिमालयी राज्यों में जेएंडके के बाद सर्वाधिक है. हिमाचल में इस समय 2600 लोगों पर एक हेल्थ सब-सेंटर की सुविधा है. राष्ट्रीय स्तर पर ये औसत 5470 है. इसी तरह प्रदेश में एक प्राइमरी हेल्थ सेंटर कुल 11521 लोगों को सुविधाएं देता है. वहीं, राष्ट्रीय औसत 34 हजार से अधिक है. हिमाचल में एक कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर 76,418 लोगों को स्वास्थ्य देखभाल देता है. वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर ये औसत 1.68 लाख है. हिमाचल प्रदेश में 3081 लोगों पर एक डॉक्टर की सुविधा है, वहीं नेशनल एवरेज साढ़े सात हजार से अधिक है.

हिमाचल में पोषण, शिशु मृत्यु दर व लिंग अनुपात के आंकड़े भी देश के अन्य राज्यों के मुकाबले बेहतर है. राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डॉयरेक्टर डॉ. रमेश चंद के अनुसार सभी सरकारों ने हिमाचल में स्वास्थ्य ढांचा विकसित करने की दिशा में अच्छा काम किया है. हिमाचल प्रदेश में हेल्थ सब सेंटर से लेकर सिविल अस्पताल व मेडिकल कॉलेज अस्पताल का विशाल नेटवर्क है. हालांकि अभी भी स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी काम किया जाना बाकी है. डॉ. रमेश का कहना है कि एम्स बिलासपुर के पूरी तरह से फंक्शनल हो जाने के बाद हिमाचल की जनता को बहुत लाभ होगा.

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