शिमला: हिमाचल में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में सरकार बने छह माह हो गए हैं, लेकिन कैबिनेट विस्तार अभी भी लटका हुआ है. लोकसभा चुनाव आने वाले हैं. उससे पहले सीएम सुखविंदर सिंह और कांग्रेस हाईकमान को झंडी वाली कारों का फैसला करना होगा. इस समय कैबिनेट में तीन मंत्रियों की जगह खाली है. कांगड़ा जिला को कैसे मंत्रिमंडल में एडजस्ट किया जाएगा, इस सवाल पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं.
कैबिनेट विस्तार की चर्चा: सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू मंगलवार को दिल्ली रवाना हुए थे. इस बार उनके दिल्ली दौरे में कैबिनेट विस्तार की चर्चा भी होगी. दिल्ली में वे केंद्रीय नेताओं से तो मिलेंगे ही, हाईकमान से भी चर्चा होगी. राज्य प्रभारी राजीव शुक्ला व अन्य पार्टी नेताओं से कैबिनेट विस्तार को लेकर बात होगी. इस बार उम्मीद है कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू तीन मंत्रियों के पद भरने को लेकर कोई न कोई फार्मूला लेकर लौटेंगे. इसके अलावा निगम व बोर्डों के चेयरमैन व वाइस चेयरमैन भी नियुक्त होने हैं. अभी विधानसभा का उपाध्यक्ष भी नियुक्त होना है.
मंत्रियों की संभावित लिस्ट: इस समय मंत्रियों की संभावित लिस्ट में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के करीबी और घुमारवीं से विधायक राजेश धर्माणी, वीरभद्र सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा और जयसिंहपुर से विधायक यादवेंद्र गोमा का नाम प्रमुख है. हमीरपुर से राजेंद्र राणा व बड़सर से इंद्रदत्त लखनपाल भी कतार में हैं. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे चाहते हैं कि यादवेंद्र गोमा को कैबिनेट में जगह मिले. गोमा अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं. मंत्रियों के पद तीन हैं और यदि विधानसभा उपाध्यक्ष के पद पर भी नियुक्ति की जाती है तो चार लोग एडजस्ट हो सकते हैं.
संतुलन साधने की चुनौती: सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार पर ये आरोप लगता आया है कि कैबिनेट में शिमला जिला को अहमियत दी गई है. इस समय शिमला जिला से विक्रमादित्य सिंह, रोहित ठाकुर, अनिरुद्ध सिंह कैबिनेट मंत्री हैं. किन्नौर से जगत सिंह नेगी व सिरमौर से हर्षवर्धन चौहान कैबिनेट में शामिल हैं. इसी तरह सोलन जिला से कर्नल धनीराम शांडिल स्वास्थ्य मंत्री हैं. डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री के पास कुछ प्रमुख विभाग हैं. वहीं, कांगड़ा जिला से केवल एक मंत्री ही शामिल है. ऐसे में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के समक्ष संतुलन साधने की चुनौती है.
लोकसभा चुनाव से पहले करना होगा फैसला: भाजपा मिशन-2024 के लिए कमर कस चुकी है. हमीरपुर सीट पर फिर से अनुराग ठाकुर चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू को इस संसदीय सीट पर कसौटी पर खरा उतरना होगा. यदि हमीरपुर सीट भाजपा फिर से जीत जाती है तो न केवल सीएम बल्कि डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री के लिए भी ये चिंता की बात होगी. कारण ये है कि ऊना जिला भी हमीरपुर सीट के तहत आता है. वहीं, कांगड़ा का किला बचाने के लिए भी सुक्खू सरकार को अभी से प्रयास करने होंगे.
कैबिनेट मंत्री को लेकर असमंजस: मंडी जिला से एकमात्र विधायक चंद्रशेखर जीत कर आए हैं. उन्हें भी कोई बड़ा पद दिए जाने की मांग उठती रही है, लेकिन सभी को एडजस्ट करना संभव नहीं है. सीएम सुक्खू के सामने चुनौती ये है कि एक क्षेत्र को खुश करेंगे तो दूसरा नाराज हो जाएगा. यही कारण है कि राजेंद्र राणा, राजेश धर्माणी, सुधीर शर्मा आदि को लेकर असमंजस बरकरार है.
कांगड़ा की अनदेखी पड़ सकती है भारी: वरिष्ठ मीडिया कर्मी उदय सिंह का कहना है कि कांगड़ा की अनदेखी सरकार को भारी पड़ सकती है. यदि राजेंद्र राणा या फिर इंद्र दत्त लखनपाल को विधानसभा उपाध्यक्ष बनाने की पेशकश की जाती है तो भी समस्या कम नहीं होगी. सरकार विधानसभा में चीफ व्हिप और डिप्टी चीफ व्हिप का पद भी दे सकती है. कैबिनेट रैंक की सुविधाओं वाले ये पद कौन स्वीकार करेगा, ये भी सोचने वाली बात है.
कैबिनेट विस्तार में देरी से बढ़ेगी चनौती: कुल मिलाकर लब्बो-लुआब ये है कि एक को मनाएंगे तो दूसरा रूठेगा ही. इसलिए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू को फूंक-फूंक कर कदम रखते हुए कैबिनेट विस्तार करना होगा. हां, ये जरूर है कि अब विस्तार में देरी से सीएम के सामने चुनौतियां बढ़ेंगी. फिर लोकसभा चुनाव भी सिर पर है. ऐसे में सीएम के दिल्ली दौरे से मंत्रीपद की बिल्ली जरूर थैले से बाहर निकलेगी, ये उम्मीद है.
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