शिमला: हिमाचल प्रदेश में अगर सरकार शिक्षा विभाग को स्कूल खोलने की अनुमति देती है, तो विभाग स्कूलों को अनलॉक चार में खोलने के लिए पूरी तरह से तैयार है. प्रदेश में अभिभावक जहां अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार हैं, तो वहीं छात्र स्कूल आना भी चाह रहे हैं. यही वजह है कि अगर प्रदेश सरकार अनलॉक के चौथे चरण में कंटेनमेंट जोन से बाहर के स्कूलों को खोलने की अनुमति देती है, तो प्रदेश में 9वीं कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा तक के छात्रों को स्कूलों में बुलाया जा सकता है.
उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक इस बात को मान रहे है कि प्रदेश में अभिभावक अपने बच्चों को जो 9वीं से 12वीं कक्षा में पढ़ रहे है, उन्हें स्कूल भेजना चाह रहे है. वहीं, छात्र भी स्कूल आना चाह रहे हैं, तो अगर 50 फीसदी छात्रों को बुला कर स्कूलों को खोला जा सकता है.
उच्च शिक्षा विभाग निदेशक डॉ. अमरजीत शर्मा ने कहा कि बहुत से अभिभावक, शिक्षक हमें फोन कर रहे हैं, जो बड़ी कक्षाओं के बच्चों को स्कूल भेजना चाह रहे हैं. बस उन्हें इस बात का आश्वासन देने की जरूरत है कि स्कूलों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के साथ ही एसओपी के सभी नियमों का पालन किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि बच्चों की पढ़ाई के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा. अगर हमें 50 फीसदी स्ट्रेंथ के साथ स्कूल खोलने की अनुमति दी जाती है, तो मैं यह आश्वासन देता हूं कि सभी नियमों का पालन किया जाएगा और छात्रों को सुरक्षित माहौल स्कूलों में दिया जाएगा.
इससे पहले भी एमएचआरडी और प्रदेश सरकार की ओर से जो भी नियम तय किए गए हैं या जो भी अधिसूचना जारी की गई है, उसके अनुसार ही कार्य विभाग ने किया है. आगे भी जो आदेश ओर निर्देश विभाग को जारी किए जाएंगे उसके अनुसार विभाग कार्य करेगा.
बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से अनलॉक के चौथे चरण लेकर जो गाइडलाइंस जारी की गई हैं, इन गाइडलाइंस में भी यह कहा गया है कि 21 सितंबर से 9वीं कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा तक के छात्र शिक्षकों से मार्गदर्शन लेने के अभिभावकों की सहमति से स्कूल आ सकते हैं.
कोरोना की वजह से प्रदेश में स्कूल बंद हैं, ऐसे में अब अनलॉक के चौथे चरण में छात्रों को यह अवसर दिया जा रहा है कि अगर वह पढ़ाई को लेकर कोई भी मार्गदर्शन अपने शिक्षकों से लेना चाहते हैं, तो वह स्कूल जा सकते हैं. वहीं, अब इस गाइडलाइन को लेकर प्रदेश सरकार जो फैसला लेगी विभाग उसी के तहत कार्य करेगा, लेकिन यह स्पष्ट है कि अब अभिभावक हो या छात्र वह घर पर रहकर पढ़ाई करने को प्राथमिकता न दे कर स्कूल जा कर शिक्षा ग्रहण करना चाहते हैं.
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