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World Diabetes Day: हिमाचल में बढ़ रही डायबिटीज रोगियों की तादाद, जानें कारण और बचाव

Diabetic Patients Increasing In Himachal: हिमाचल प्रदेश में डायबिटीज रोगियों की संख्या बढ़ते ही जा रही है. डॉक्टरों का कहना है कि गांवों की अपेक्षा शहरी क्षेत्रों के 15 से 18 फीसदी अधिक लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं. डायबिटीज मरीज को अगर समय पर इलाज मिल जाए तो शुगर लेवल कंट्रोल किया जा सकता है. इसको लेकर आईजीएसमी शिमला के मधुमेह विशेषज्ञ डॉ जितेंद्र मोक्ता ने जानकारी दी है. पढ़ें पूरी खबर..

Diabetes Cases Increasing In Himachal
हिमाचल में बढ़ने लगे मधुमेह के रोगी
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 13, 2023, 10:14 PM IST

Updated : Nov 14, 2023, 7:19 AM IST

शिमला: हर साल 14 नवंबर को मधुमेह दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. इसका उद्देश्य लोगों को डायबिटीज के प्रति जागरुक करना है. भारत में भी मधुमेह रोगियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. वहीं, अगर बात हिमाचल प्रदेश की करें तो यहां भी मधुमेह खतरे की संकेत दे रही है. दरअसल, भारत में डायबिटीज मरीजों की संख्या 9.8 फीसदी है. जबकि हिमाचल में 11.5 फीसदी लोग डायबिटीज की बीमारी से जूझ रहे हैं. इसके अलावा 50 फीसदी लोग ऐसे हैं, जो मधुमेह की जांच ही नहीं करवाते हैं. अगर बात भारत के शहरी इलाकों की करे तो वहां मधुमेह रोगियों की संख्या 13 फीसदी है. जबकि हिमाचल में एक फीसदी ज्यादा यानी 14 फीसदी लोगों को मधुमेह है. ग्रामीण क्षेत्रों में ये भारत के 7.8 के मुकाबले 3 फीसदी ज्यादा है.

आईजीएमसी अस्पताल के मधुमेह विशेषज्ञ डॉ. जितेंद्र मोक्ता ने बताया कि 126 से ज्यादा का मधुमेह लेवल बढ़ी हुई शुगर का संकेत है. जबकि 110 तक बॉर्डर लाइन का है. मधुमेह का मुख्य कारण मोटापा है, हिमाचल के 38 फीसदी लोगों में मोटापा है. 61 फीसदी लोग निष्क्रिय रहते हैं, जबकि 3 फीसदी लोग सक्रिय और 5 फीसदी अति सक्रिय रहते हैं. खानपान भी मधुमेह का मुख्य कारण है. हिमाचल के 31.2 फीसदी लोगों का रक्तचाप बढ़ा हुआ है. जो भारत के 32 फीसदी के ही लगभग है. 76 फीसदी लोगों का लिपिड ठीक नहीं है.

हिमाचल में शहरी क्षेत्र के लोगों को मधुमेह रोग अपनी गिरफ्त में ले रहा है. गांवों की अपेक्षा शहरी क्षेत्रों के 15 से 18 फीसदी लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं. गांवों में यह आंकड़ा 8 से 10 फीसदी है. देश के अन्य राज्यों की तुलना में हिमाचल के शहरी क्षेत्रों की हालत खराब है. वहीं, विशेषज्ञ चिकित्सक इसका कारण शहरी क्षेत्रों में शारीरिक कसरत कम और खानपान सही न होना बताते हैं. अगर इस पर ध्यान दिया जाए तो लोग इस बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं.

शुरुआती तथ्यों के अनुसार, प्रदेश की स्थिति चिंताजनक है. राज्य के शहरी क्षेत्रों में 15 से 18 फीसदी लोगों को मधुमेह है. जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 8 से 10 फीसदी लोगों को है. कुछ दशक पहले मधुमेह की बीमारी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में महज 1 से 2 फीसदी लोगों में होती थी. लोगों के जीवन शैली बदलने के कारण यह बीमारी पांव पसारती जा रही है.

डॉ. मोक्ता ने कहा आश्चर्य की बात यह है की मधुमेह छोटे बच्चों में भी तेजी से फैल रहा है, खास कर लड़कियां मधुमेह की चपेट में ज्यादा आ रही है. उन्होंने कहा बच्चों में टाइप 1 प्रकार का मधुमेह पाया जाता है, लेकिन टाइप 2 प्रकार का मधुमेह जिसमें मोटापा होता है. वह भी अधिक तेजी से फैल रहा है. मोक्ता ने कहा मधुमेह विकासशील देशों में सबसे अधिक रहा है. 80 प्रतिशत लोग मधुमेह की गिरफ्त में है. उन्होंने कहा कि हिमाचल में 7 प्रतिशत लोग मधुमेह बीमारी से पीड़ित हैं.

मधुमेह के लक्षण: मधुमेह से पीड़ित मरीजों को बार बार पेशाब करने जाना पड़ता है. इसके अलावा वजन कम होना, फोड़े-फुंसी अधिक होना, प्यास ज्यादा लगना यदि मरीज में ये लक्षण दिखाई दे तो मरीज को तुरंत अस्पताल में जांच करवानी चाहिए, उसे मधुमेह हो सकता है.

ऐसे करें बचाव: मधुमेह की बीमारी से बचने के लिए लोगों को पौष्टिक आहार खाना चाहिए. सुबह उठकर वॉक पर जाना चाहिए. डॉ. मोक्ता ने कहा कि मधुमेह से पीड़ित मरीज पौष्टिक खाना खाए, वॉक पर जाए और नियमित दवाई खाए तो मरीज लंबी जिंदगी आराम से जी सकता है.

ये भी पढ़ें: World Brain Stroke Day: हिमाचल में बढ़ रहा ब्रेन स्ट्रोक का खतरा, युवा भी हो रहे शिकार, जानें लक्षण और बचाव

शिमला: हर साल 14 नवंबर को मधुमेह दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. इसका उद्देश्य लोगों को डायबिटीज के प्रति जागरुक करना है. भारत में भी मधुमेह रोगियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. वहीं, अगर बात हिमाचल प्रदेश की करें तो यहां भी मधुमेह खतरे की संकेत दे रही है. दरअसल, भारत में डायबिटीज मरीजों की संख्या 9.8 फीसदी है. जबकि हिमाचल में 11.5 फीसदी लोग डायबिटीज की बीमारी से जूझ रहे हैं. इसके अलावा 50 फीसदी लोग ऐसे हैं, जो मधुमेह की जांच ही नहीं करवाते हैं. अगर बात भारत के शहरी इलाकों की करे तो वहां मधुमेह रोगियों की संख्या 13 फीसदी है. जबकि हिमाचल में एक फीसदी ज्यादा यानी 14 फीसदी लोगों को मधुमेह है. ग्रामीण क्षेत्रों में ये भारत के 7.8 के मुकाबले 3 फीसदी ज्यादा है.

आईजीएमसी अस्पताल के मधुमेह विशेषज्ञ डॉ. जितेंद्र मोक्ता ने बताया कि 126 से ज्यादा का मधुमेह लेवल बढ़ी हुई शुगर का संकेत है. जबकि 110 तक बॉर्डर लाइन का है. मधुमेह का मुख्य कारण मोटापा है, हिमाचल के 38 फीसदी लोगों में मोटापा है. 61 फीसदी लोग निष्क्रिय रहते हैं, जबकि 3 फीसदी लोग सक्रिय और 5 फीसदी अति सक्रिय रहते हैं. खानपान भी मधुमेह का मुख्य कारण है. हिमाचल के 31.2 फीसदी लोगों का रक्तचाप बढ़ा हुआ है. जो भारत के 32 फीसदी के ही लगभग है. 76 फीसदी लोगों का लिपिड ठीक नहीं है.

हिमाचल में शहरी क्षेत्र के लोगों को मधुमेह रोग अपनी गिरफ्त में ले रहा है. गांवों की अपेक्षा शहरी क्षेत्रों के 15 से 18 फीसदी लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं. गांवों में यह आंकड़ा 8 से 10 फीसदी है. देश के अन्य राज्यों की तुलना में हिमाचल के शहरी क्षेत्रों की हालत खराब है. वहीं, विशेषज्ञ चिकित्सक इसका कारण शहरी क्षेत्रों में शारीरिक कसरत कम और खानपान सही न होना बताते हैं. अगर इस पर ध्यान दिया जाए तो लोग इस बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं.

शुरुआती तथ्यों के अनुसार, प्रदेश की स्थिति चिंताजनक है. राज्य के शहरी क्षेत्रों में 15 से 18 फीसदी लोगों को मधुमेह है. जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 8 से 10 फीसदी लोगों को है. कुछ दशक पहले मधुमेह की बीमारी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में महज 1 से 2 फीसदी लोगों में होती थी. लोगों के जीवन शैली बदलने के कारण यह बीमारी पांव पसारती जा रही है.

डॉ. मोक्ता ने कहा आश्चर्य की बात यह है की मधुमेह छोटे बच्चों में भी तेजी से फैल रहा है, खास कर लड़कियां मधुमेह की चपेट में ज्यादा आ रही है. उन्होंने कहा बच्चों में टाइप 1 प्रकार का मधुमेह पाया जाता है, लेकिन टाइप 2 प्रकार का मधुमेह जिसमें मोटापा होता है. वह भी अधिक तेजी से फैल रहा है. मोक्ता ने कहा मधुमेह विकासशील देशों में सबसे अधिक रहा है. 80 प्रतिशत लोग मधुमेह की गिरफ्त में है. उन्होंने कहा कि हिमाचल में 7 प्रतिशत लोग मधुमेह बीमारी से पीड़ित हैं.

मधुमेह के लक्षण: मधुमेह से पीड़ित मरीजों को बार बार पेशाब करने जाना पड़ता है. इसके अलावा वजन कम होना, फोड़े-फुंसी अधिक होना, प्यास ज्यादा लगना यदि मरीज में ये लक्षण दिखाई दे तो मरीज को तुरंत अस्पताल में जांच करवानी चाहिए, उसे मधुमेह हो सकता है.

ऐसे करें बचाव: मधुमेह की बीमारी से बचने के लिए लोगों को पौष्टिक आहार खाना चाहिए. सुबह उठकर वॉक पर जाना चाहिए. डॉ. मोक्ता ने कहा कि मधुमेह से पीड़ित मरीज पौष्टिक खाना खाए, वॉक पर जाए और नियमित दवाई खाए तो मरीज लंबी जिंदगी आराम से जी सकता है.

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Last Updated : Nov 14, 2023, 7:19 AM IST
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