शिमला: राजनीति के मैदान में विरोधियों को चित्त करने के दांव-पेच सीखने वाले राजनेता कब दिल की बाजी हार जाएं, यह कोई नहीं जानता. हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम से लेकर भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी, शाहनवाज हुसैन और मोदी कैबिनेट में मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी राजनीति के दांव पेच लड़ते-लड़ते अपना दिल हार बैठे.
आज मोदी कैबिनेट का गठन होने जा रहा है. पिछली मोदी सरकार में पैट्रोलियम मंत्री रह चुके धर्मेंद्र प्रधान को इस बार भी मंत्री पद दिए जाने की पूरी संभावना है. धर्मेंद्र प्रधान का हिमाचल से खास नाता है उनका मंडी जिला में ससुराल है.
अपने कुशल कामकाज से पीएम नरेंद्र मोदी का दिल जीतने वाले उड़ीसा के युवा भाजपा नेता धर्मेंद्र प्रधान हिमाचल की तेजतर्रार छात्र नेता मृदुला ठाकुर के हाथों दिल की बाजी हार गए थे. हिमाचल के मंडी जिला के छोटे से गांव कोठुवां की रहने वाली मृदुला ठाकुर नब्बे के दशक में हिमाचल यूनिवर्सिटी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की नेता थीं.
मुंबई में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक अधिवेशन में धर्मेंद्र प्रधान की मुलाकात मृदुला ठाकुर से हुई. उसी अधिवेशन में मौजूदा केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय के साथ-साथ कौशल विकास व उद्यमिता मंत्रालय संभालने वाले धर्मेंद्र प्रधान मृदुला के मुरीद हो गए थे.
धर्मेंद्र प्रधान को मृदुला ठाकुर की छात्र राजनीति की समझ इस कदर भा गई कि उन्होंने मृदुला को जीवनसाथी बनाने का फैसला कर लिया. इस तरह छात्र राजनीति ने उड़ीसा व हिमाचल का रिश्ता जोड़ दिया. वे 1998 में विवाह बंधन में बंधे थे. राजनीति में अति व्यस्त होने के कारण धर्मेंद्र प्रधान न के बराबर हिमाचल आ पाते हैं.
अलबत्ता उनके मंत्री रहते हिमाचल के मंडी जिला यानी उनकी ससुराल को दो गैस एजेंसियां जरूर मंजूर हुई हैं. यदि छात्र राजनीति की बात करें तो इसने और भी जोड़े बनाए हैं. उनमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा व मध्य प्रदेश के जबलपुर की मल्लिका नड्डा के साथ-साथ हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की पत्नी और जयपुर में छात्र राजनीति में सक्रिय रहीं डॉ. साधना के नाम उल्लेखनीय हैं.
छात्र राजनीति के साथी बन गए जीवनसाथी
उत्कल यूनिवर्सिटी से एंथ्रोपॉलोजी में परास्नातक यानी एमए की डिग्री हासिल करने वाले धर्मेंद्र प्रधान राजनीतिक परिवार से हैं. वे छात्र राजनीति में भी सक्रिय रहे. बाद में भारतीय जनता युवा मोर्चा के दो साल तक राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. राजनीति में कई पदों को संभाल चुके धर्मेंद्र प्रधान एक अधिवेशन में मुंबई में मृदुला ठाकुर से मिले थे.
मृदुला ठाकुर हिमाचल में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के मुख्य चेहरों में से एक रही हैं. हालांकि 1994 में वे केंद्रीय छात्र संघ के महासचिव पद का चुनाव बेहद कम अंतर से हार गई थीं, लेकिन उनके द्वारा हासिल वोट का आंकड़ा आज भी एबीवीपी के किसी भी छात्र नेता से अधिक है.
मृदुला ठाकुर के मां-पिता दोनों शिक्षक के तौर पर सेवारत रहे हैं. मृदुला के पिता भगतराम व मां रामप्यारी ने उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया है. विवाह के बाद मृदुला पूरी तरह से गृहस्थी को समर्पित हैं और अपने पति धर्मेंद्र प्रधान को राजनीति में सहयोग करती हैं. प्रधान दंपत्ति के एक बेटी व बेटा हैं.
मल्लिका से दिल हार गए थे जेपी नड्डा
जेपी नड्डा हिमाचल के बिलासपुर जिला के हैं. उनकी पत्नी मल्लिका नड्डा जबलपुर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में सक्रिय थीं. मल्लिका नड्डा भी तेजतर्रार नेता रही हैं. जेपी नड्डा कुशल वक्ता के तौर पर पहचान रखते हैं. वे हिमाचल यूनिवर्सिटी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बैनर तले पहले केंद्रीय छात्र संघ अध्यक्ष रहे हैं. मल्लिका व जेपी नड्डा भी छात्र राजनीति के जरिए ही एक-दूसरे के परिचय में आए थे.
इसी तरह हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी छात्र राजनीति के जरिए ही आगे बढ़े हैं. वे हिमाचल भाजपा के अध्यक्ष रहने के साथ-साथ प्रेम कुमार धूमल सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थे. उनकी पत्नी डॉ. साधना जयपुर से हैं. हालांकि मूल रूप से वे कर्नाटक की रहने वाली हैं. साधना भी छात्र राजनीति में जाना-पहचाना नाम रही हैं. ये दोनों भी राजनीति के जरिए ही संपर्क में आए थे.
जयराम ठाकुर अब हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. हिमाचल की राजनीति में जयराम अब एक बड़ा नाम बन चुके हैं. इससे पहले उनके ही अध्यक्ष रहते हिमाचल में भाजपा सरकार बनी थी. इसी तरह भाजपा नेता राजीव प्रताप रूड़ी भी हिमाचल के कांगड़ा जिला की रहने वाली नीलम के साथ विवाह बंधन में बंधे हैं.