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हिमाचल प्रदेश की मौजूदा वित्तीय हालात के लिए पूर्व की बीजेपी सरकार जिम्मेदार, सरकार केंद्र से अपना पक्ष नहीं रख पाई: मुकेश अग्निहोत्री - Himachal Pradesh News in Hindi

मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की मौजूदा वित्तीय हालात के लिए पूर्व की बीजेपी सरकार जिम्मेदार है. मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि जयराम सरकार केंद्र सरकार के समक्ष अपना पक्ष नहीं रख पाई. पढ़ें पूरी खबर... (Deputy CM Mukesh Agnihotri).

Deputy CM Mukesh Agnihotri
डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 24, 2023, 9:37 PM IST

डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री

शिमला: डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हिमाचल की मौजूदा वित्तीय हालात के लिए पर्व भाजपा सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार है. शिमला में पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि जयराम सरकार केंद्र सरकार के समक्ष अपना पक्ष नहीं रख पाई जिसकी वजह से 15वें वित्त आयोग से बहुत कम वित्तीय राशि मिली है. डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि 15वें वित्त आयोग में प्रदेश जयराम ठाकुर सरकार अपना पक्ष सही ढंग से नहीं रख पाई, जिस वजह से केवल 8 फीसदी ही बढ़ोतरी हुई, जबकि 14वें वित्त आयोग के सामने कांग्रेस सरकार ने प्रभावशील तरीके से पक्ष रखा था. यही वजह है कि 13वें वित्त आयोग की तुलना में 14वें वित्त आयोग की बढ़ोतरी 232 फीसदी थी. उन्होंने कहा कि इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जयराम सरकार वित्तीय मोर्चे पर पूरी तरह से विफल साबित हुई.

डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि जयराम ठाकुर अब यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि वे बेकसूर है और उन्होंने कुछ गलत नहीं किया. उन्होंने कहा कि अगर गलत न किया होता तो जो सवाल हम पूछ रहे हैं, उसका जबाब देते, जो वे नहीं दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि जुलाई 2022 में जीएसटी क्षतिपूर्ति समाप्त होने के बाद सरकार की जीएसटी से राजस्व 2624 करोड़ कम हो गया. यह केंद्र ने करना था जो कि कम हुआ. इसके लिए जिम्मेदार कौन है. उन्होंने कहा कि 2023-24 में रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट 2022-23 की तुलना में 1319 करोड़ कम गई है और 2024-25 में यह घटकर 6268 करोड़ हो जाएगी. इसके बाद 2025-26 में यह 3257 करोड़ रहेगी. उन्होंने कहा कि रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट 11 हजार करोड़ से चली थी और इनके वित्तीय कुप्रबंधन से 3257 तक पहुंच जाएगी.

'केंद्र सरकार ने कर्ज लेने की सीमा घटा दी': मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि इनकी वजह से केंद्र ने कर्ज की सीमा 2022-23 की तुलना में 2836 करोड़ कम कर दी, इसके लिए कौन जिम्मेदार है. फिर एनपीएस 9 हजार करोड़ केंद्र के पास पड़ा है, यह पैसा नहीं दिया जा रहा. हिमाचल में ओपीएस दे दिया और शुरू भी हो गया. इसकी राशि हिमाचल को नहीं मिल रही. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने हिमाचल में ओपीएस देने के एवज में कर्ज लेने की सीमा 2836 करोड़ कम कर दी, वहीं विदेश फंड फारेन फंडिंग 2023-24 से 2025-26 तक के लिए कैप लगा दी कि हिमाचल 2944 करोड़ से ज्यादा कर्ज नहीं लेगा. उन्होंने कहा कि हिमाचल ने विद्युत परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाया तो इस पर कंपनियों को भड़का दिया गया.

मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि पूर्व की भाजपा सरकार ने पार्टी कार्यक्रमों को सरकारी खजाने से करवाया ताकि चुनावों में उसका फायदा मिल सके. पूर्व सरकार ने लगभग 92 हज़ार करोड़ रुपए की देनदारियां छोड़ी है. फिजूलखर्ची को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया. इसके अलावा इन्वेस्टर मीट ,आजादी का अमृत महोत्सव, प्रगतिशील हिमाचल कार्यक्रमों के माध्यम से हिमाचल के खजाने को करोड़ों चपत लगाई गई, जबकि संसाधनों को अर्जित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया.

ये भी पढ़ें- Chitta Smuggling in Shimla: ठियोग में दो मामलों में 41.95 ग्राम चिट्टा बरामद, 2 लोग गिरफ्तार, NDPS एक्ट के तहत केस दर्ज

डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री

शिमला: डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हिमाचल की मौजूदा वित्तीय हालात के लिए पर्व भाजपा सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार है. शिमला में पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि जयराम सरकार केंद्र सरकार के समक्ष अपना पक्ष नहीं रख पाई जिसकी वजह से 15वें वित्त आयोग से बहुत कम वित्तीय राशि मिली है. डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि 15वें वित्त आयोग में प्रदेश जयराम ठाकुर सरकार अपना पक्ष सही ढंग से नहीं रख पाई, जिस वजह से केवल 8 फीसदी ही बढ़ोतरी हुई, जबकि 14वें वित्त आयोग के सामने कांग्रेस सरकार ने प्रभावशील तरीके से पक्ष रखा था. यही वजह है कि 13वें वित्त आयोग की तुलना में 14वें वित्त आयोग की बढ़ोतरी 232 फीसदी थी. उन्होंने कहा कि इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जयराम सरकार वित्तीय मोर्चे पर पूरी तरह से विफल साबित हुई.

डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि जयराम ठाकुर अब यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि वे बेकसूर है और उन्होंने कुछ गलत नहीं किया. उन्होंने कहा कि अगर गलत न किया होता तो जो सवाल हम पूछ रहे हैं, उसका जबाब देते, जो वे नहीं दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि जुलाई 2022 में जीएसटी क्षतिपूर्ति समाप्त होने के बाद सरकार की जीएसटी से राजस्व 2624 करोड़ कम हो गया. यह केंद्र ने करना था जो कि कम हुआ. इसके लिए जिम्मेदार कौन है. उन्होंने कहा कि 2023-24 में रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट 2022-23 की तुलना में 1319 करोड़ कम गई है और 2024-25 में यह घटकर 6268 करोड़ हो जाएगी. इसके बाद 2025-26 में यह 3257 करोड़ रहेगी. उन्होंने कहा कि रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट 11 हजार करोड़ से चली थी और इनके वित्तीय कुप्रबंधन से 3257 तक पहुंच जाएगी.

'केंद्र सरकार ने कर्ज लेने की सीमा घटा दी': मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि इनकी वजह से केंद्र ने कर्ज की सीमा 2022-23 की तुलना में 2836 करोड़ कम कर दी, इसके लिए कौन जिम्मेदार है. फिर एनपीएस 9 हजार करोड़ केंद्र के पास पड़ा है, यह पैसा नहीं दिया जा रहा. हिमाचल में ओपीएस दे दिया और शुरू भी हो गया. इसकी राशि हिमाचल को नहीं मिल रही. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने हिमाचल में ओपीएस देने के एवज में कर्ज लेने की सीमा 2836 करोड़ कम कर दी, वहीं विदेश फंड फारेन फंडिंग 2023-24 से 2025-26 तक के लिए कैप लगा दी कि हिमाचल 2944 करोड़ से ज्यादा कर्ज नहीं लेगा. उन्होंने कहा कि हिमाचल ने विद्युत परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाया तो इस पर कंपनियों को भड़का दिया गया.

मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि पूर्व की भाजपा सरकार ने पार्टी कार्यक्रमों को सरकारी खजाने से करवाया ताकि चुनावों में उसका फायदा मिल सके. पूर्व सरकार ने लगभग 92 हज़ार करोड़ रुपए की देनदारियां छोड़ी है. फिजूलखर्ची को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया. इसके अलावा इन्वेस्टर मीट ,आजादी का अमृत महोत्सव, प्रगतिशील हिमाचल कार्यक्रमों के माध्यम से हिमाचल के खजाने को करोड़ों चपत लगाई गई, जबकि संसाधनों को अर्जित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया.

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