शिमला: कोरोना वायरस के चलते प्रदेश में पर्यटन कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. पर्यटन से जुड़ी सभी इकाइयां लंबे समय से बंद है और यही हालात आगामी काफी महीनों तक रहने की संभावना है. अभी समर सीजन कि शुरुआत हो चुकी है और इस सीजन में लाखों की संख्या में पर्यटक राजधानी शिमला सहित प्रदेश भर के अन्य पर्यटन क्षेत्रों का रुख करते थे लेकिन इस बार यह आंकड़ा कोरोना की वजह से शून्य है.
ऐसे में अब स्थिति सामान्य होने पर भी पर्यटन से जुड़ी इकाइयों को दोबारा संचालित करने के लिए आर्थिक सहायता की आवश्यकता है. ऑल हिमाचल एसोसिएशन ऑफ हॉस्पिटैलिटी एंड टूरिज्म फोरम ने सरकार से पर्यटन को वापस लाने के लिए राहत पैकेज की मांग की है.
पर्यटन व्यवसाय से जुड़ी इकाइयों ने नए मंच का गठन किया है जिसके तहत सरकार को नुकसान के बारे में अवगत करवाया जा सके. अपनी इन्हीं मांगों को लेकर बुधवार को फोरम का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से भी मिलकर समस्याओं से निजात दिलवाने की मांग की है.
फोरम के राज्य संयोजक मोहिंद्र सेठ का कहना है कि पिछले दो-तीन वर्षों से विभिन्न कारणों के कारण पर्यटकों की आमद में गिरावट के कारण पर्यटन उद्योग के खराब वित्तीय हालात के बारे में मुख्यमंत्री को अवगत करवाया गया है. फिक्स्ड एक्सपेंडिचर का भुगतान पर्यटन क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है क्योंकि कोरोना महामारी के कारण हिमाचल में पर्यटन कारोबार पूरी तरह से बंद हो गया है.
हिमाचल के पर्यटन कारोबार को बड़ा झटका इसलिए भी लगा है क्योंकि महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और राजस्थान जैसे राज्य कोरोना के कारण बुरी तरह से प्रभावित है. पड़ोसी राज्य पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर से भी कोरोना माहामारी के चलते पर्यटकों की आवाजाही बंद है.
पर्यटन से जुड़े उद्यमियों के लिए फिक्स्ड एक्सपेंडिचर के लिए वित्त की व्यवस्था करना और दूसरी ओर पर्यटन इकाइयों के आवश्यक परिवर्तन और नवीकरण और रख रखाव के लिए वित्त की व्यवस्था करना एक चुनौती बन गया है. ऐसे में सरकार पर्यटन उद्योग के हितधारकों के लिए एक स्पेशल पैकेज की घोषणा करें, जिससे कारोबारियों को सहायता मिल सके.